उत्तराखंड को संविधान की पांचवी अनुसूची में क्यों शामिल होना चाइए।
उत्तराखंड को संविधान की पाँचवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग के पीछे कुछ महत्वपूर्ण तर्क हैं, जो इस राज्य के जनजातीय और पर्वतीय क्षेत्रों की विशिष्ट चुनौतियों और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उठाए जा रहे हैं। यहाँ कुछ प्रमुख कारण दिए गए हैं कि क्यों उत्तराखंड को पाँचवीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए: ### 1. **जनजातीय आबादी का संरक्षण और विकास:** उत्तराखंड में भोटिया, थारू, बुक्सा, और जौनसारी जैसी कई जनजातियाँ निवास करती हैं। ये जनजातियाँ अपनी विशिष्ट संस्कृति, परंपराओं, और जीवनशैली के लिए जानी जाती हैं, लेकिन आधुनिक विकास और बाहरी प्रभावों के कारण उनके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। पाँचवीं अनुसूची में शामिल होने से इन जनजातियों के भूमि और संसाधनों की रक्षा की जा सकेगी, और उनकी संस्कृति और जीवनशैली को संरक्षित रखने में मदद मिलेगी। ### 2. **भौगोलिक और आर्थिक चुनौतियाँ:** उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में विकासात्मक गतिविधियाँ अन्य राज्यों की तुलना में अधिक चुनौतीपूर्ण हैं। यहां की कठिन भौगोलिक परिस्थितियाँ, जैसे कि कठिनाई से पहुंच सकने वाले पहाड़ी क्षेत्र, आर्थिक पिछड़ेपन ...