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Showing posts from August, 2024

उत्तराखंड को संविधान की पांचवी अनुसूची में क्यों शामिल होना चाइए।

 उत्तराखंड को संविधान की पाँचवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग के पीछे कुछ महत्वपूर्ण तर्क हैं, जो इस राज्य के जनजातीय और पर्वतीय क्षेत्रों की विशिष्ट चुनौतियों और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उठाए जा रहे हैं। यहाँ कुछ प्रमुख कारण दिए गए हैं कि क्यों उत्तराखंड को पाँचवीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए: ### 1. **जनजातीय आबादी का संरक्षण और विकास:** उत्तराखंड में भोटिया, थारू, बुक्सा, और जौनसारी जैसी कई जनजातियाँ निवास करती हैं। ये जनजातियाँ अपनी विशिष्ट संस्कृति, परंपराओं, और जीवनशैली के लिए जानी जाती हैं, लेकिन आधुनिक विकास और बाहरी प्रभावों के कारण उनके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। पाँचवीं अनुसूची में शामिल होने से इन जनजातियों के भूमि और संसाधनों की रक्षा की जा सकेगी, और उनकी संस्कृति और जीवनशैली को संरक्षित रखने में मदद मिलेगी। ### 2. **भौगोलिक और आर्थिक चुनौतियाँ:** उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में विकासात्मक गतिविधियाँ अन्य राज्यों की तुलना में अधिक चुनौतीपूर्ण हैं। यहां की कठिन भौगोलिक परिस्थितियाँ, जैसे कि कठिनाई से पहुंच सकने वाले पहाड़ी क्षेत्र, आर्थिक पिछड़ेपन ...

प्रेस क्लब और प्रेस एसोसिएशन में अंतर

 प्रेस क्लब और प्रेस एसोसिएशन दोनों ही पत्रकारिता और मीडिया से जुड़े संगठन हैं, लेकिन उनके उद्देश्यों, कार्यों, और संरचनाओं में कुछ महत्वपूर्ण अंतर होते हैं। यहां उनके बीच के प्रमुख अंतर दिए जा रहे हैं: ### 1. **उद्देश्य और भूमिका**:    - **प्रेस क्लब**:       - प्रेस क्लब का मुख्य उद्देश्य पत्रकारों के लिए एक सामाजिक और पेशेवर मंच प्रदान करना है। यह पत्रकारों के बीच नेटवर्किंग, सहयोग, और समर्थन की भावना को बढ़ावा देता है।       - प्रेस क्लब का वातावरण अक्सर अनौपचारिक होता है और इसमें सामाजिक, सांस्कृतिक, और पेशेवर गतिविधियों का आयोजन होता है, जैसे कि सेमिनार, कार्यशालाएँ, और सांस्कृतिक कार्यक्रम।    - **प्रेस एसोसिएशन**:      - प्रेस एसोसिएशन एक पेशेवर संगठन होता है जो पत्रकारों और मीडिया कर्मियों के अधिकारों और हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से काम करता है।      - इसका ध्यान मुख्य रूप से प्रेस की स्वतंत्रता, पत्रकारों की सुरक्षा, और उनके अधिकारों की रक्षा पर होता है। प्रेस एसोसिएशन आमतौर पर...

प्रेस क्लब का महत्व और उसकी उपलब्धियाँ पत्रकारिता और मीडिया के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

 प्रेस क्लब एक ऐसा संगठन है जो पत्रकारों, मीडिया कर्मियों, और संवाददाताओं के बीच नेटवर्किंग, सहयोग, और समर्थन प्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य पत्रकारिता को मजबूत बनाना, प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करना, और पत्रकारों के हितों की रक्षा करना है। ### प्रेस क्लब का महत्व: 1. **मीडिया का समर्थन और सहयोग**: प्रेस क्लब पत्रकारों के लिए एक ऐसा मंच प्रदान करता है जहाँ वे अपने अनुभव साझा कर सकते हैं, नए विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं, और एक दूसरे की सहायता कर सकते हैं। 2. **प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा**: प्रेस क्लब प्रेस की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करता है और यदि किसी पत्रकार को किसी प्रकार की चुनौती या दबाव का सामना करना पड़ता है, तो प्रेस क्लब उसके साथ खड़ा होता है। 3. **सूचना और प्रशिक्षण**: प्रेस क्लब विभिन्न प्रकार के सेमिनार, कार्यशालाएं, और वार्ता का आयोजन करता है, जिससे पत्रकारों को उनके पेशेवर कौशल को बढ़ाने का मौका मिलता है।  4. **सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ**: प्रेस क्लब पत्रकारों और उनके परिवारों के लिए सांस्कृतिक और सामाजिक कार्...

गढ़वाली सिनेमा का इतिहास उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

 गढ़वाली सिनेमा का इतिहास उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका आरंभ 1983 में हुआ था जब पहली गढ़वाली फ़िल्म **"जग्वाल"** रिलीज़ हुई थी। इस फ़िल्म का निर्देशन उत्तराखंड के प्रसिद्ध फ़िल्म निर्माता और निर्देशक *पराशर गौड़* ने किया था।  ### प्रमुख घटनाएं और मील के पत्थर: 1. **"जग्वाल" (1983)**: यह गढ़वाली सिनेमा की पहली फ़िल्म थी, जो एक सामाजिक मुद्दे पर आधारित थी और इसमें पहाड़ी समाज की समस्याओं को दिखाया गया था। इस फ़िल्म को गढ़वाली सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है।     2. **1980 और 1990 का दशक**: इस समय गढ़वाली सिनेमा में धीमी गति से विकास हुआ। कुछ फ़िल्में तो आईं, लेकिन दर्शकों की कमी और सीमित संसाधनों के कारण यह उद्योग तेजी से बढ़ नहीं पाया। 3. **2000 का दशक**: उत्तराखंड राज्य बनने के बाद गढ़वाली सिनेमा में एक नई ऊर्जा आई। इस दौर में कई फ़िल्में बनीं जिनमें *"सुपड़िया,"* *"कन्यादान,"* और *"ब्योली"* प्रमुख हैं। इन फ़िल्मों ने क्षेत्रीय संस्कृति को मजबूत किया और लोककथाओं व पारंपरिक मूल्यों को प्रदर...

एपीई‍डीए ने पोलैंड को अंजीर के जूस की पहली खेप निर्यात की

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीई‍डीए) ने जीआई-टैग वाले पुरंदर अंजीर से बने भारत के प्रथम पीने के लिए तैयार अंजीर के रस को पोलैंड को निर्यात के लिए सुगम बनाया। अंजीर के रस की यह खेप सभी हितधारकों की उपस्थिति में एपीई‍डीए के अध्यक्ष श्री अभिषेक देव द्वारा हरी झंडी दिखाकर 1 अगस्त, 2024 को जर्मनी के हैम्बर्ग बंदरगाह से होते हुए रवाना हुई। यह आयोजन वैश्विक मंच पर भारत के विशिष्ट कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस अभिनव अंजीर के रस की यात्रा ग्रेटर नोएडा, नई दिल्ली में आयोजित एसआईएएल   2023 के दौरान कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण मंडप में शुरू हुई। यह आयोजित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला ने प्रदर्शित उत्पादों को वैश्विक बाजार में पहचान के लिए एक मंच प्रदान किया। पुरंदर हाइलैंड्स फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड द्वारा उत्पादित अंजीर के रस ने सभी का ध्यान आकर्षित किया और इस कार्यक्रम में एक पुरस्कार जीता, जिसने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी क्षमता को विशिष्ट रूप से दर्शाया। इस उत्पाद के विकास और निर्यात में कृ...

रोहिणी के आशा किरण आश्रय गृह में कैदियों की मौत पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया

एनएचआरसी ने मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है कि दिल्ली सरकार द्वारा संचालित आश्रय गृह में 15 जुलाई से 31 जुलाई के बीच 12 कैदियों की मौत हो गई आश्रय गृह की क्षमता 500 कैदियों की है, लेकिन अब कथित तौर पर इसमें 1,000 से अधिक कैदी रह रहे हैं, जिसके कारण इसमें भीड़भाड़ हो रही है। फोटो: ट्रिब्यून फाइल नई दिल्ली, 3 अगस्त राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने शनिवार को कहा कि उसने रोहिणी के आश्रय गृह में एक महीने के भीतर 12 कैदियों की मौत के आरोप वाली रिपोर्ट पर दिल्ली सरकार और शहर के पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी किया है। एनएचआरसी ने एक बयान में कहा कि इतने कम समय में इतनी बड़ी संख्या में कैदियों की मौत "अधिकारियों की ओर से लापरवाही" को दर्शाती है। एनएचआरसी ने मीडिया रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लिया है कि मानसिक रूप से कमज़ोर लोगों के लिए दिल्ली सरकार द्वारा संचालित आश्रय गृह - आशा किरण - में 15 जुलाई से 31 जुलाई के बीच 12 कैदियों की मौत हो गई। कथित तौर पर, उनमें 10 महिलाएं और दो पुरुष शामिल थे। उनके लक्षण समान थे यानी दस्त और उल्टी। आयोग ने कहा कि कई अन्य कैदियों का कथित तौर पर ...

उत्तराखंड का क्षेत्रीय सिनेमा धीरे-धीरे लोकप्रियता हासिल कर रहा है और यहाँ के लोगों का इस पर रुझान भी बढ़ रहा है। स्थानीय संस्कृति, भाषा, और परंपराओं को सिनेमा के माध्यम से प्रदर्शित करने का प्रयास किया जा रहा है। यहाँ कुछ प्रमुख पहलू दिए जा रहे हैं:

 उत्तराखंड का क्षेत्रीय सिनेमा धीरे-धीरे लोकप्रियता हासिल कर रहा है और यहाँ के लोगों का इस पर रुझान भी बढ़ रहा है। स्थानीय संस्कृति, भाषा, और परंपराओं को सिनेमा के माध्यम से प्रदर्शित करने का प्रयास किया जा रहा है। यहाँ कुछ प्रमुख पहलू दिए जा रहे हैं: ### क्षेत्रीय सिनेमा की स्थिति 1. **भाषा और संस्कृति**: उत्तराखंड के क्षेत्रीय सिनेमा में मुख्य रूप से गढ़वाली और कुमाऊँनी भाषाओं का प्रयोग होता है। ये फिल्में स्थानीय कहानियों, संस्कृति, और परंपराओं पर आधारित होती हैं, जिससे लोग आसानी से जुड़ पाते हैं। 2. **प्रमुख फिल्में**: उत्तराखंड में बनी कुछ प्रमुख क्षेत्रीय फिल्में जैसे कुमाउनी "मेघा आ",  और गढ़वाली "जगवाल" ने दर्शकों के बीच अच्छी पहचान बनाई है। इन फिल्मों ने न केवल स्थानीय दर्शकों को बल्कि बाहरी दर्शकों को भी आकर्षित किया है। 3. **फिल्म फेस्टिवल और पुरस्कार**: उत्तराखंड फिल्म फेस्टिवल और अन्य स्थानीय फिल्म समारोहों का आयोजन होता है, जहाँ क्षेत्रीय फिल्मों को प्रदर्शित किया जाता है और उन्हें पुरस्कृत किया जाता है। यह फिल्म निर्माताओं को प्रोत्साहित करता है और नए ...

उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य है, जो हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित है। इस राज्य की भूगोलिक परिस्थितियाँ इसे प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बनाती हैं। उत्तराखंड में प्रमुख आपदाएँ निम्नलिखित हैं:

 उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य है, जो हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित है। इस राज्य की भूगोलिक परिस्थितियाँ इसे प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बनाती हैं। उत्तराखंड में प्रमुख आपदाएँ निम्नलिखित हैं: 1. **बाढ़**: मानसून के दौरान भारी वर्षा के कारण नदियों में जलस्तर बढ़ जाता है, जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है। 2013 की केदारनाथ आपदा एक प्रमुख उदाहरण है जब अचानक बाढ़ ने भारी तबाही मचाई थी। 2. **भूस्खलन**: पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश और बर्फ पिघलने के कारण भूस्खलन की घटनाएँ सामान्य हैं। भूस्खलन से सड़कें अवरुद्ध हो जाती हैं और गाँवों का संपर्क टूट जाता है। 3. **बर्फीले तूफान**: उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फीले तूफान आम हैं। ये तूफान जान-माल को नुकसान पहुँचाते हैं और यात्रा को बाधित करते हैं। 4. **भूकंप**: उत्तराखंड एक भूकंप प्रवण क्षेत्र में स्थित है। राज्य में समय-समय पर छोटे और मध्यम आकार के भूकंप आते रहते हैं। 5. **वनाग्नि (जंगल की आग)**: गर्मियों के दौरान जंगल में आग लगने की घटनाएँ सामान्य हैं। ये आग पर्यावरण को नुकसान पहुँचाती हैं और जीव-जंतुओं के लिए खतरा होती हैं।...