सीसीआरएएस विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से "पारंपरिक चिकित्सा में अनुसंधान प्राथमिकता सेटिंग्स" पर एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय परामर्श बैठक आयोजित करेगा

 


 PIB Delhi

आयुष मंत्रालय के अंतर्गत एक शीर्ष स्वायत्त संगठनकेंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस), 24 जून2024 को "पारंपरिक चिकित्सा में अनुसंधान प्राथमिकता सेटिंग्स" पर इंडिया हैबिटेट सेंटरनई दिल्ली में एक दिवसीय राष्ट्रीय परामर्श बैठक आयोजित करने के लिए पूरी तरह तैयार है। डब्ल्यूएचओ-एसईएआरओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन-दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय) और डब्ल्यूएचओ-जीटीएमसी (वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र) के सहयोग से आयोजित होने वाला यह महत्वपूर्ण आयोजनपारंपरिक चिकित्सा अनुसंधान को वैश्विक मानकों और प्राथमिकताओं के साथ संरेखित करने में एक अग्रणी प्रयास को चिन्हित करता है।

अपनी तरह की यह पहली परामर्श बैठकनीति निर्धारकोंशैक्षिक संस्थानोंशोधकर्ताओंरोगियों और उद्योग हितधारकों सहित भारत में पारंपरिक चिकित्सा के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों को एक मंच पर एक साथ लाएगी। इसका उद्देश्य आयुर्वेदसिद्धयूनानी और होम्योपैथी जैसी विभिन्न पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में प्रमुख अनुसंधान क्षेत्रों की पहचान करना और उनको प्राथमिकता देना है। यह पहल पारंपरिक चिकित्सा में डब्ल्यूएचओ के मैनडेट के अनुसार हैजैसा कि सीसीआरएएस के महानिदेशक वैद्य रबीनारायण आचार्य ने बताया है।

हाल ही मेंहैदराबाद में सीसीआरएस के एक परिधीय संस्थान, राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा विरासत संस्थान (एनआईआईएमएचको "पारंपरिक चिकित्सा में मौलिक और साहित्यिक अनुसंधान" (डब्ल्यूएचओसीसी इंड-177) के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ सहयोग करने वाले केंद्र के रूप में नामित किया गया है। यह पदनाम आगामी अनुसंधान प्राथमिकता सेटिंग एक्सरसाइज के महत्व को रेखांकित करता हैजो अगले दशक के लिए एक अनुसंधान रोडमैप तैयार करेगा। इसका उद्देश्य धन का प्रभावकारी उपयोग सुनिश्चित करना और पारंपरिक चिकित्सा के अंदर आवश्यकता के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को संबोधित करना हैताकि इसकी वैश्विक स्वीकृति और एकीकरण का समर्थन किया जा सके।

आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा और प्रोफेसर (वैद्य) रबीनारायण आचार्य की अगुवाई मेंसीसीआरएएस ने पारंपरिक चिकित्सा में अनुसंधान क्षेत्रों को प्राथमिकता देने के लिए इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया को शुरू किया है। इस बैठक में देश भर के पारंपरिक चिकित्सा प्रतिनिधियों की भागीदारी होगीजिनमें आयुष मंत्रालय के सलाहकार और संयुक्त सचिवनीति आयोग के प्रतिनिधिसभी पांच आयुष अनुसंधान परिषदों के महानिदेशकराष्ट्रीय आयोगों (एनसीआईएसएम और एनसीएच) के अध्यक्ष, आयुष/आयुर्वेद विश्वविद्यालयों के कुलपतिआयुष मंत्रालय के तहत आने वाले राष्ट्रीय संस्थानों के निदेशक,  पीएचएफआईआरआईएस-एफआईटीएमसीएसआईआरबीआईएसआईसीएमआरडब्ल्यूएचओआयुष फार्मास्युटिकल उद्योगटीडीयू से एथनोफार्माकोलॉजी और अन्य संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

संबोधित किए जाने वाले प्रमुख विषयों में औषधीय पौधे अनुसंधानगुणवत्तासुरक्षा और प्रभावकारिता अध्ययनपूर्व-नैदानिक ​​​​मान्यताएंपारंपरिक दवाओं का तर्कसंगत उपयोग,  नैदानिक ​​​​परीक्षण निगरानी​​​​चिकित्सा मानव विज्ञान और प्राचीन चिकित्सा साहित्य का डिजिटलीकरण शामिल हैं। आयुष क्षेत्र के लगभग 100 हितधारक/विशेषज्ञ इस बैठक में हिस्सा लेंगे, जो होने वाले संवाद को व्यापक और समावेशी बनाना सुनिश्चित करेगा।

इस एक दिवसीय राष्ट्रीय परामर्श बैठक का उद्देश्य पारंपरिक चिकित्सा में एक दशक लंबी अनुसंधान रणनीति के लिए आरंभिक तैयारी का आधार बनानाहितधारकों के बीच विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना और डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के अनुरूप अपने प्रयासों को संरेखित करना है। इस सहयोगात्मक दृष्टिकोण से वैश्विक स्तर पर पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की उन्नति और एकीकरण में महत्वपूर्ण योगदान मिलने की उम्मीद है।

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