चांद पुर गढ़ और उससे जुड़ी दंत कथाएं
चांदपुर गढ़, उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र का एक ऐतिहासिक किला, अपने प्राचीन गौरव और दंतकथाओं के लिए प्रसिद्ध है। इस गढ़ से जुड़ी कई कथाएं स्थानीय लोकसंस्कृति और परंपराओं में रची-बसी हैं। इनमें से एक प्रमुख दंतकथा चांदपुर गढ़ के वीर राजा और देवी के आशीर्वाद से जुड़ी है।
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चांदपुर गढ़ और देवी का आशीर्वाद
कहा जाता है कि चांदपुर गढ़ का निर्माण कत्यूरी राजाओं में से एक ने करवाया था। यह राजा न केवल वीर और प्रजापालक था, बल्कि वह देवी भगवती का परम भक्त भी था। राजा के शासन के दौरान पड़ोसी राज्यों के राजाओं ने गढ़ पर आक्रमण करने का षड्यंत्र रचा। राजा ने अपनी सेना को संगठित किया, लेकिन उसकी सेना दुश्मनों की तुलना में कमजोर थी।
इस संकट के समय, राजा ने गढ़ के निकट स्थित एक पवित्र देवी मंदिर में जाकर माता से सहायता की प्रार्थना की। कहा जाता है कि माता ने राजा को स्वप्न में दर्शन दिए और कहा, "यदि तुम अपने राज्य और प्रजा की भलाई के लिए युद्ध करोगे, तो मैं तुम्हारे साथ रहूंगी।"
अगले दिन युद्ध शुरू हुआ। राजा और उसकी सेना ने अदम्य साहस के साथ युद्ध किया। लोककथाओं के अनुसार, युद्ध के दौरान देवी ने स्वयं एक अदृश्य शक्ति के रूप में राजा और उसकी सेना का साथ दिया। दुश्मन राजा की सेना को पराजित कर दिया गया, और चांदपुर गढ़ की रक्षा हो गई।
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गढ़ के पास देवी मंदिर
कहा जाता है कि चांदपुर गढ़ के निकट स्थित देवी का यह मंदिर आज भी मौजूद है। स्थानीय लोग इस मंदिर को "गढ़ की देवी" के रूप में पूजते हैं। नवरात्रि और अन्य त्योहारों के दौरान यहां विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
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चांदपुर गढ़ का पतन और देवी की भविष्यवाणी
एक अन्य दंतकथा के अनुसार, जब कत्यूरी वंश का पतन हुआ, तो देवी ने भविष्यवाणी की थी कि "यह गढ़ कभी पराजित नहीं होगा, लेकिन जब इसके शासक अन्याय और अहंकार करेंगे, तो यह धीरे-धीरे अपनी शक्ति खो देगा।"
कहा जाता है कि गढ़ का पतन इस भविष्यवाणी के अनुरूप हुआ, क्योंकि कत्यूरी शासकों के उत्तराधिकारियों में आपसी कलह और अन्याय बढ़ गया था। इसके बाद गढ़ धीरे-धीरे महत्वहीन हो गया।
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निष्कर्ष
चांदपुर गढ़ से जुड़ी ये दंतकथाएं स्थानीय इतिहास और लोकसंस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। ये न केवल इस गढ़ के गौरवशाली अतीत को जीवित रखती हैं, बल्कि यह भी सिखाती हैं कि न्याय, धर्म और भक्ति के बल पर बड़े से बड़ा संकट टाला जा सकता है।
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