उत्तराखंड सरकार ने राज्य में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code - UCC) लागू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
उत्तराखंड सरकार ने राज्य में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code - UCC) लागू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
UCC की पृष्ठभूमि
समान नागरिक संहिता का उद्देश्य विवाह, तलाक, संपत्ति अधिकार, उत्तराधिकार, और दत्तक ग्रहण जैसे मामलों में सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून स्थापित करना है, जिससे विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच कानूनी भेदभाव समाप्त हो सके।
उत्तराखंड में UCC की प्रगति
विधानसभा में पारित: उत्तराखंड विधानसभा ने 7 फरवरी, 2024 को समान नागरिक संहिता विधेयक पारित किया, जिससे यह ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बन गया।
राष्ट्रपति की मंजूरी: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 11 मार्च, 2024 को इस विधेयक को मंजूरी दी, जिससे यह कानून बन गया।
लागू करने की योजना: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संकेत दिया है कि राज्य में UCC को जनवरी 2025 में लागू किया जाएगा, संभवतः गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के अवसर पर।
UCC के मुख्य प्रावधान
उत्तराखंड के UCC में निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं:
विवाह और तलाक: सभी नागरिकों के लिए विवाह और तलाक के समान नियम।
संपत्ति अधिकार: उत्तराधिकार और संपत्ति वितरण में लैंगिक समानता सुनिश्चित करना।
दत्तक ग्रहण: दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया में एकरूपता।
लिव-इन संबंधों का पंजीकरण: लिव-इन रिलेशनशिप का अनिवार्य पंजीकरण, जिससे कानूनी मान्यता और सुरक्षा प्रदान की जा सके।
चुनौतियाँ और प्रतिक्रियाएँ
UCC के कार्यान्वयन को लेकर विभिन्न समुदायों और संगठनों में मिश्रित प्रतिक्रियाएँ देखी गई हैं।
समर्थन: कई लोगों का मानना है कि यह लैंगिक समानता और सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
विरोध: कुछ समूहों ने धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक विविधता के संदर्भ में चिंताएँ व्यक्त की हैं।
अन्य राज्यों की प्रतिक्रिया
उत्तराखंड के इस पहल के बाद, असम सहित कई भाजपा शासित राज्यों ने भी UCC को अपनाने की इच्छा व्यक्त की है।
निष्कर्ष
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का कार्यान्वयन एक ऐतिहासिक कदम है, जो राज्य में कानूनी एकरूपता और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देगा। हालांकि, इसके प्रभाव और चुनौतियों का मूल्यांकन समय के साथ किया जाएगा।
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