संयुक्त राष्ट्र की घोषणाएं और जलवायु परिवर्तन और उत्तराखंड की वर्तमान स्थिति

 ### **1. संयुक्त राष्ट्र की घोषणाएं और जलवायु परिवर्तन**  

संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन पर फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) ने जलवायु संकट से निपटने के लिए वैश्विक प्रयासों का नेतृत्व किया है। हाल की घोषणाएं इस बात पर जोर देती हैं कि:  


- ग्लोबल वार्मिंग को 1.5°C तक सीमित करने के लिए त्वरित कदम उठाए जाएं।  

- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम किया जाए।  

- जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में अनुकूलन के लिए वित्तीय सहायता बढ़ाई जाए।  

- विभिन्न क्षेत्रों में सतत विकास को बढ़ावा दिया जाए।  


ये घोषणाएं COP जैसे सम्मेलनों की नींव हैं।  


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### **2. COP29 (कॉप 29)**  

**29वां कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज (COP29)** 2024 में **बेलीज और त्रिनिदाद और टोबैगो** में आयोजित होगा। यह पहली बार है जब किसी छोटे द्वीप विकासशील देश (Small Island Developing State) को इसकी मेजबानी का अवसर मिला है। इसके मुख्य विषय होंगे:  


- द्वीपीय देशों की जलवायु चुनौतियों जैसे समुद्र के बढ़ते स्तर और चरम मौसम की घटनाओं पर चर्चा।  

- COP27 और COP28 में तय किए गए "हानि और क्षति फंड" के ढांचे को अंतिम रूप देना।  

- नवीकरणीय ऊर्जा और सतत विकास के लिए वैश्विक प्रतिबद्धताओं को मजबूत करना।  


द्वीपीय राष्ट्र औद्योगीकृत देशों से अधिक कड़े जलवायु कदमों की मांग करेंगे।  


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### **3. उत्तराखंड की वर्तमान स्थिति**  

उत्तराखंड, जो भारतीय हिमालय में स्थित है, वर्तमान में गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहा है, जो वैश्विक जलवायु संकट से जुड़े हैं:  


#### **पर्यावरणीय समस्याएं:**  

- **भूस्खलन और बाढ़:** वनों की कटाई, अनियंत्रित निर्माण, और बदलते मौसम के कारण बार-बार ये घटनाएं हो रही हैं।  

- **हिमनद पिघलना:** गंगोत्री जैसे ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे जल स्तर और आपदाओं का खतरा बढ़ रहा है।  

- **नदी प्रदूषण:** गंगा जैसी नदियां शहरी और औद्योगिक कचरे से दूषित हो रही हैं।  


#### **जलवायु अनुकूलन प्रयास:**  

- **ईको-सेंसिटिव जोन:** जोशीमठ जैसे क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण के लिए संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने की पहल।  

- **वनीकरण अभियान:** पेड़ लगाने और खराब हो चुकी भूमि को पुनर्जीवित करने पर ध्यान।  

- **हाइड्रो प्रोजेक्ट विवाद:** ऊर्जा जरूरतों और पारिस्थितिकी के बीच संतुलन बनाना एक बड़ा मुद्दा है।  


#### **पर्यटन और विकास:**  

- **चारधाम परियोजना:** पर्यटन को बढ़ावा देने वाली इस परियोजना ने पर्यावरणीय स्थिरता को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।  

- **सतत पर्यटन:** इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने और कचरे को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।  


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### **इन तीनों विषयों का आपस में संबंध**  

उत्तराखंड की स्थिति वैश्विक जलवायु चुनौतियों का एक छोटा उदाहरण है। COP29 में द्वीपीय और पर्वतीय क्षेत्रों जैसे संवेदनशील इलाकों पर विशेष जोर दिया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र की घोषणाएं समाधान के लिए ढांचा प्रदान करती हैं, लेकिन उत्तराखंड जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में उनका स्थानीय स्तर पर क्रियान्वयन अत्यंत महत्वपूर्ण है। 

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