नगर निगम व्यय निधि संवितरण पद्धति,Municipal Corporation Expenditure Fund Disbursement Methodology

 ### **Municipal Corporation Expenditure Fund Disbursement Methodology**  

नगर निगम व्यय निधि संवितरण पद्धति


नगर निगम (Municipal Corporation) का मुख्य उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में बुनियादी सेवाओं और सुविधाओं का प्रबंधन करना है। इसके लिए नगर निगम विभिन्न स्रोतों से फंड प्राप्त करता है और इन फंड्स का वितरण और उपयोग एक व्यवस्थित प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है।  


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### **1. फंड के मुख्य स्रोत:**  

नगर निगम को फंड कई स्रोतों से मिलता है:  


1. **राजस्व संग्रह:**  

   - संपत्ति कर (Property Tax)।  

   - जल और सीवेज शुल्क।  

   - मनोरंजन कर और अन्य स्थानीय कर।  


2. **राज्य और केंद्रीय अनुदान:**  

   - **राज्य सरकार:** राज्य वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित अनुदान।  

   - **केंद्र सरकार:**  

     - स्मार्ट सिटी मिशन।  

     - अमृत (AMRUT)।  

     - स्वच्छ भारत मिशन।  


3. **ऋण और बॉन्ड:**  

   - नगर निगम बाजार से बॉन्ड जारी करके फंड जुटा सकता है।  


4. **अन्य स्रोत:**  

   - पार्किंग शुल्क, लाइसेंस फीस, विज्ञापन राजस्व, आदि।  


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### **2. फंड का आवंटन:**  

नगर निगम के पास विभिन्न मदों में खर्च करने के लिए बजट होता है, जिसे आमतौर पर निम्नलिखित प्राथमिकताओं के आधार पर विभाजित किया जाता है:  


#### **क. प्रशासनिक खर्च:**  

   - कर्मचारियों के वेतन, पेंशन, और अन्य प्रशासनिक खर्च।  


#### **ख. बुनियादी ढांचा विकास:**  

   - सड़कों, फुटपाथों, पुलों और सार्वजनिक स्थानों का निर्माण और मरम्मत।  

   - जल आपूर्ति और सीवेज सिस्टम का रखरखाव।  


#### **ग. सेवाएं:**  

   - कचरा प्रबंधन, स्वच्छता, और सार्वजनिक शौचालय।  

   - स्ट्रीट लाइट, उद्यान, और सामुदायिक केंद्र।  


#### **घ. सामाजिक कल्याण:**  

   - झुग्गी-झोपड़ियों के पुनर्विकास।  

   - गरीबों के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा परियोजनाएं।  


#### **ङ. आपदा प्रबंधन:**  

   - बाढ़, भूस्खलन, या अन्य आपदाओं से निपटने के लिए।  


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### **3. फंड वितरण की प्रक्रिया:**  


#### **क. बजट तैयार करना:**  

   - हर वित्तीय वर्ष की शुरुआत में नगर निगम एक बजट तैयार करता है।  

   - बजट में आय और व्यय का आकलन किया जाता है।  

   - यह बजट नगर निगम के बोर्ड और संबंधित प्राधिकरणों से अनुमोदित किया जाता है।  


#### **ख. कार्य योजना:**  

   - नगर निगम विभागों को प्राथमिकता के आधार पर कार्य योजनाएं बनानी होती हैं।  

   - योजना में परियोजना का विवरण, अनुमानित लागत, और समय सीमा शामिल होती है।  


#### **ग. परियोजना स्वीकृति:**  

   - कार्य योजनाओं को नगर निगम की स्थायी समितियों या महापौर (Mayor) की अध्यक्षता वाली समितियों द्वारा स्वीकृत किया जाता है।  


#### **घ. टेंडर प्रक्रिया:**  

   - बड़े कार्यों के लिए **टेंडर** जारी किए जाते हैं।  

   - चयनित ठेकेदारों से अनुबंध किया जाता है।  


#### **ङ. फंड का चरणबद्ध वितरण:**  

   - फंड का वितरण परियोजना की प्रगति के आधार पर किया जाता है।  

   - चरणों में भुगतान सुनिश्चित करता है कि काम समय पर और गुणवत्ता के साथ पूरा हो।  


#### **च. निगरानी और लेखा-जोखा:**  

   - फंड के उपयोग की निगरानी संबंधित विभाग और स्वतंत्र लेखा परीक्षकों द्वारा की जाती है।  

   - पूर्ण कार्यों के लिए उपयोगिता प्रमाण पत्र (Utilization Certificate) प्रस्तुत किया जाता है।  


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### **4. प्रमुख खर्च के क्षेत्र:**  


1. **स्वच्छता और कचरा प्रबंधन:**  

   - सफाई कर्मियों का वेतन।  

   - डंपिंग ग्राउंड का प्रबंधन।  


2. **शहरी बुनियादी ढांचा:**  

   - सड़कों, पुलों, और यातायात व्यवस्था का सुधार।  


3. **पेयजल और सीवेज प्रबंधन:**  

   - पाइपलाइन का रखरखाव।  

   - जल शोधन संयंत्रों की स्थापना।  


4. **स्वास्थ्य और शिक्षा:**  

   - नगर निगम अस्पतालों और स्कूलों का संचालन।  

   - टीकाकरण और स्वच्छता अभियान।  


5. **हाउसिंग और पुनर्वास:**  

   - झुग्गी पुनर्वास योजनाएं।  

   - सस्ते आवास परियोजनाएं।  


6. **स्मार्ट सिटी और ई-गवर्नेंस:**  

   - डिजिटल सेवाओं और स्मार्ट प्रोजेक्ट्स के लिए निवेश।  


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### **5. पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उपाय:**  


1. **डिजिटल रिकॉर्ड:**  

   - सभी लेन-देन और परियोजना विवरणों को डिजिटल रूप से रिकॉर्ड किया जाना चाहिए।  


2. **सार्वजनिक भागीदारी:**  

   - नागरिकों से फीडबैक लेकर प्राथमिकता तय करना।  

   - सार्वजनिक सुनवाई आयोजित करना।  


3. **स्वतंत्र ऑडिट:**  

   - वार्षिक ऑडिट करना और रिपोर्ट सार्वजनिक करना।  


4. **रियल-टाइम ट्रैकिंग:**  

   - परियोजनाओं की प्रगति को ऑनलाइन ट्रैक करने की सुविधा।  


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### **चुनौतियां:**  


1. **फंड की कमी:**  

   - कई नगर निगम अपनी आय के स्रोतों पर निर्भर रहते हैं और अनुदानों की प्रतीक्षा करते हैं।  


2. **अनियमितता:**  

   - कुछ मामलों में फंड का अनुचित उपयोग।  


3. **राजनीतिक हस्तक्षेप:**  

   - प्राथमिकताओं में बदलाव और देरी।  


4. **क्षमता की कमी:**  

   - परियोजनाओं के प्रबंधन में कौशल की कमी।  


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### **निष्कर्ष:**  

नगर निगम का फंड वितरण और उपयोग शहरी विकास के लिए महत्वपूर्ण है। पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल प्रक्रियाओं और नागरिक भागीदारी को बढ़ावा देना आवश्यक है। योजनाओं का कुशल क्रियान्वयन शहरी निवासियों के जीवन स्तर में सुधार लाने में सहायक होगा।

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