क्या शराब भारतीय सरकार की नज़र में नशा है
हां, भारतीय सरकार की नज़र में शराब एक नशा है, लेकिन इसे एक कानूनी रूप से नियंत्रित पदार्थ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसका मतलब है कि शराब का उत्पादन, बिक्री और उपयोग सरकार द्वारा नियंत्रित और लाइसेंस प्राप्त है, और इसके उपभोग के लिए कानूनी उम्र तय की गई है।
शराब और नशे के संदर्भ में भारतीय सरकार का दृष्टिकोण:
कानूनी स्थिति: भारत में शराब की बिक्री और सेवन वैध है, लेकिन यह राज्य सरकारों के नियमन के तहत आता है। हर राज्य में शराब पर अलग-अलग कानून होते हैं। कुछ राज्यों में शराब पर पूरी तरह से प्रतिबंध है, जैसे गुजरात, बिहार, मणिपुर, और नागालैंड, जहां शराब का उत्पादन, बिक्री और उपभोग अवैध है।
नियंत्रण और लाइसेंस: शराब की बिक्री के लिए विशेष लाइसेंस की आवश्यकता होती है, और इसे केवल लाइसेंस प्राप्त दुकानों, होटलों, या बार में ही बेचा जा सकता है। शराब का सेवन केवल तय की गई कानूनी उम्र (जो अलग-अलग राज्यों में भिन्न हो सकती है, जैसे 18 से 25 वर्ष के बीच) के बाद ही किया जा सकता है।
स्वास्थ्य और सामाजिक प्रभाव: भारतीय सरकार शराब को नशा मानती है और इसके अनियंत्रित उपयोग से जुड़े स्वास्थ्य और सामाजिक खतरों को पहचानती है। शराब के अत्यधिक सेवन से स्वास्थ्य समस्याएँ, दुर्घटनाएँ, और सामाजिक समस्याएँ (जैसे घरेलू हिंसा, अपराध) हो सकती हैं। इसलिए, सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियाँ शराब के दुरुपयोग के खतरों के बारे में जागरूकता अभियान भी चलाती हैं।
शराब पर कर (Excise Duty): शराब से सरकार को भारी राजस्व प्राप्त होता है। इसे नियंत्रित करने और इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकार शराब पर भारी कर लगाती है। इस राजस्व का उपयोग स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के कार्यक्रमों में किया जाता है।
शराब और अन्य नशीले पदार्थों में अंतर:
- शराब भारत में कानूनी रूप से विनियमित है और इसका उत्पादन और बिक्री सरकार की अनुमति के तहत होती है।
- अन्य नशीले पदार्थ जैसे हेरोइन, कोकीन, और गांजा का उपयोग, व्यापार, और उत्पादन अवैध है और इन पर सख्त कानून हैं।
इस प्रकार, शराब को एक प्रकार का नशा माना जाता है, लेकिन इसे नियंत्रित तरीके से उपभोग किया जा सकता है, जबकि अन्य नशीली दवाओं पर पूर्ण प्रतिबंध है।
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