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Showing posts from September, 2024

वृद्धावस्था को क्या दिव्यांगता में नहीं लाया जा सकता है ?

 वृद्धावस्था को अपने आप में दिव्यांगता नहीं कहा जा सकता, लेकिन यह एक ऐसी अवस्था होती है जिसमें अक्सर शारीरिक, मानसिक और संवेदी क्षमताओं में कमी आ सकती है। इस उम्र में लोग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त हो सकते हैं, जैसे चलने-फिरने में कठिनाई, सुनने और देखने में कमी, या मानसिक क्षमताओं में गिरावट। हालाँकि, सभी वृद्ध लोग दिव्यांग नहीं होते, लेकिन उम्र के साथ शारीरिक चुनौतियाँ बढ़ सकती हैं, जिससे उन्हें विशेष सहायता की आवश्यकता हो सकती है। दिव्यांगता का मतलब किसी व्यक्ति की शारीरिक या मानसिक क्षमता में दीर्घकालिक और महत्वपूर्ण कमी होती है। अगर वृद्ध व्यक्ति में कोई विशेष क्षमता की कमी होती है, जैसे चलने, सुनने या देखने की, तो उसे दिव्यांगता के अंतर्गत रखा जा सकता है।  सरकार द्वारा भी वृद्धावस्था और दिव्यांगता को अलग-अलग श्रेणियों में रखा जाता है और दोनों के लिए अलग-अलग योजनाएँ बनाई जाती हैं।

पेचकस (screwdriver) बदलने से परिणाम में बदलाव की संभावना

 पेचकस (screwdriver) बदलने से परिणाम में बदलाव की संभावना इसलिए होती है क्योंकि विभिन्न पेचकसों की डिज़ाइन, आकार और उपयोग करने का तरीका अलग होता है। उदाहरण के लिए: 1. **प्रकार का अंतर**: फ़िलिप्स और स्लॉटेड स्क्रू के लिए अलग-अलग पेचकस होते हैं। गलत पेचकस का उपयोग करने से स्क्रू सही तरीके से कसने या ढीला करने में समस्या हो सकती है।     2. **आकार**: अगर पेचकस का सिरा स्क्रू के सिर के आकार से मेल नहीं खाता है, तो यह स्क्रू को नुकसान पहुंचा सकता है या कसने-खोलने में मुश्किल पैदा कर सकता है। 3. **गुणवत्ता और सामग्री**: पेचकस की गुणवत्ता भी परिणाम को प्रभावित कर सकती है। सस्ते या कमजोर पेचकस से काम सही तरीके से नहीं हो पाता। इसलिए, सही परिणाम प्राप्त करने के लिए स्क्रू के अनुसार सही प्रकार और आकार का पेचकस चुनना ज़रूरी है।

भलाई में पत्थर पड़ना एक कहानी की माध्यम से

 "भलाई में पत्थर पड़ना" एक कहावत है, जो अक्सर उस स्थिति को दर्शाने के लिए इस्तेमाल की जाती है जब कोई अच्छा काम करने की कोशिश करता है, लेकिन बदले में उसे कठिनाई या अपमान झेलना पड़ता है। इसे एक कहानी के माध्यम से समझाया जा सकता है: **कहानी: दयालु किसान और भिखारी** एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में एक दयालु किसान रहता था। वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता था। एक दिन, किसान अपनी खेत से घर लौट रहा था, तभी उसने रास्ते में एक भिखारी को देखा, जो भूखा और थका हुआ था। भिखारी ने किसान से मदद की गुहार लगाई। किसान ने दया दिखाई और उसे अपने घर ले जाकर खाना खिलाया और आराम करने की जगह दी। कई दिनों तक किसान ने भिखारी की पूरी देखभाल की। धीरे-धीरे भिखारी ने अपनी ताकत वापस पा ली और स्वस्थ हो गया। किसान ने सोचा कि अब भिखारी अपने रास्ते जाएगा, लेकिन भिखारी ने और दिन रुकने का आग्रह किया। किसान ने फिर से उसे अपने घर में ठहरने दिया। काफी दिनों बाद, एक दिन जब किसान अपने खेत में काम कर रहा था, तो भिखारी ने किसान के घर में चोरी करने की योजना बनाई। जब किसान खेत से वापस आया, तो उसने देखा कि ...

सामाजिक कार्यकर्ता कैंसे संघठनों में परिवर्तन कैंसे ला सकता है

 सामाजिक कार्यकर्ता संगठनों में परिवर्तन लाने के लिए कई रणनीतियों और तरीकों का उपयोग कर सकते हैं। ये प्रयास संगठन के आंतरिक ढांचे, कार्यप्रणाली, मिशन और सामाजिक प्रभाव को बेहतर बनाने पर केंद्रित होते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख तरीके दिए गए हैं जिनसे सामाजिक कार्यकर्ता संगठन में परिवर्तन ला सकते हैं: 1. संगठन की संरचना और नेतृत्व में सुधार नेतृत्व में बदलाव : सामाजिक कार्यकर्ता संगठन में नेतृत्व के स्तर पर सुधार करने का प्रयास कर सकते हैं, जिससे अधिक जवाबदेही, पारदर्शिता और समावेशिता को बढ़ावा दिया जा सके। टीम विकास : टीम के सदस्यों के कौशल और क्षमताओं का विकास करके संगठन की दक्षता को बढ़ाया जा सकता है। प्रशिक्षण और कार्यशालाएं इस दिशा में सहायक हो सकती हैं। विविधता और समावेशन : सामाजिक कार्यकर्ता संगठन में विविधता को बढ़ावा देने का काम कर सकते हैं, जिससे विभिन्न पृष्ठभूमियों और अनुभवों वाले लोग निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल हो सकें। 2. संवाद और जागरूकता फैलाना सदस्यों और समुदाय के बीच संवाद : संगठनों में बदलाव लाने के लिए संवाद आवश्यक है। सामाजिक कार्यकर्ता संगठन के सदस्यों के साथ म...

**पेच और पेचकस की दोस्ती की कहानी**

बहुत समय पहले की बात है, औज़ारों की दुनिया में एक छोटे से पेच और पेचकस की दोस्ती हो गई। दोनों में गहरा प्यार और समझ थी, और वे हमेशा एक-दूसरे की मदद करने के लिए तैयार रहते थे। पेच अपने आप को बहुत अकेला महसूस करता था, क्योंकि वह जानता था कि जब तक उसे कोई कसने वाला नहीं मिलेगा, वह किसी काम का नहीं रहेगा। वह सोचता, "मैं तो सिर्फ एक छोटा सा धातु का टुकड़ा हूँ, मैं क्या कर सकता हूँ?" उसकी सारी ताकत छुपी हुई थी, उसे बस एक साथी की जरूरत थी जो उसकी ताकत को प्रकट कर सके। दूसरी ओर, पेचकस भी यही महसूस करता था। वह बहुत सीधा और पतला था, और सोचता था कि "मैं तो बस एक साधारण सा औज़ार हूँ। मैं किसी की मदद के बिना अकेला कुछ नहीं कर सकता।" एक दिन, एक लकड़ी का कुर्सी बन रहा था और कुर्सी को मज़बूत करने के लिए कुछ पेच लगाने की जरूरत थी। उसी समय पेच और पेचकस दोनों को बुलाया गया। पहले पेच कुर्सी में लगा दिया गया, लेकिन वह ढीला था और कुर्सी ठीक से खड़ी नहीं हो पा रही थी। फिर पेचकस को बुलाया गया। पेचकस ने पेच की ओर देखा और मुस्कुराया, "तुम्हें कसने की जरूरत है दोस्त, और यह काम सिर्फ मैं ...

पेच और पेचकस का मानवीय रिश्ता और खतरनाक परिणाम

 पेच और पेचकस का मानवीय रिश्ता एक प्रतीकात्मक दृष्टिकोण से देखा जा सकता है। पेच और पेचकस दो उपकरण हैं, जिनका उपयोग एक साथ किसी चीज़ को कसने, जोड़ने या मजबूती से बांधने के लिए किया जाता है। यह रिश्ते और मानवीय संबंधों के संदर्भ में प्रतीकात्मक हो सकता है। **पेच और पेचकस का मानवीय रिश्ता**: 1. **सहयोग और समर्थन**: पेच और पेचकस बिना एक-दूसरे के अधूरे हैं। एक पेच तब तक कस नहीं सकता जब तक पेचकस उसे सहारा नहीं देता। यह मनुष्यों के बीच आपसी समर्थन और सहयोग की भावना को दर्शाता है। जिस तरह पेच और पेचकस एक साथ मिलकर काम करते हैं, वैसे ही मनुष्य एक-दूसरे के समर्थन और सहयोग से अपनी समस्याओं को हल कर सकते हैं। 2. **समझ और सामंजस्य**: जिस तरह से पेचकस को पेच में सही तरीके से लगाना पड़ता है, वैसे ही रिश्तों में भी सही समझ और सामंजस्य की ज़रूरत होती है। अगर पेचकस गलत दिशा में घुमा दिया जाए, तो पेच टूट सकता है, ठीक वैसे ही जैसे एक रिश्ते में गलतफहमी या संवाद की कमी रिश्ते को नुकसान पहुंचा सकती है। 3. **दबाव और तनाव**: जब पेचकस को जरूरत से ज्यादा कस दिया जाता है, तो पेच टूट सकता है। यह दर्शाता है कि...

जैविक खेती की अग्रणी और प्रेरणास्रोत श्रीमती पप्पाम्मलके निधन का समाचार

जैविक खेती की अग्रणी और प्रेरणास्रोत श्रीमती पप्पाम्मल के निधन का समाचार उनके क्षेत्र और जैविक खेती से जुड़े लोगों के लिए एक गहरा आघात है। पप्पाम्मल एक 105 वर्षीय किसान थीं, जिन्होंने तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले में जैविक खेती को बढ़ावा दिया और अपने जीवनभर कृषि के प्रति समर्पित रहीं। उन्हें भारत सरकार ने उनके योगदान के लिए 2021 में पद्मश्री से सम्मानित किया था। पप्पाम्मल ने खेती में आधुनिक तकनीकों के साथ पारंपरिक तरीकों को जोड़ा और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका योगदान न केवल खेती के क्षेत्र में था, बल्कि उन्होंने महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें कृषि कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए भी प्रेरित किया।

पर्यटन मंत्रालय आज विश्व पर्यटन दिवस मनाएगा, इस साल की थीम है ‘पर्यटन और शांति’

Chaआज पर्यटन मंत्रालय विश्व पर्यटन दिवस मना रहा है, और इस साल की थीम है 'पर्यटन और शांति' 'पर्यटन और शांति' विषय के तहत, इस साल पर्यटन की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है कि कैसे यह लोगों को करीब लाने, तनाव को कम करने और विश्व शांति में योगदान देने में सहायक हो सकता है। आप इस थीम को और किस दिशा में देखना चाहेंगे?

पत्रकार सुरक्षा कानून और सरकार का दायित्व

 भारत में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई विशेष राष्ट्रीय कानून अभी तक लागू नहीं किया गया है, लेकिन इस दिशा में कई पहल और सुझाव दिए गए हैं। पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर कई बार मांगें उठी हैं, खासकर तब जब वे सरकार या आपराधिक संगठनों की आलोचना करते हुए खतरे में पड़ जाते हैं। हालांकि, कुछ कानूनी प्रावधान और राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए कदम इस मुद्दे को संबोधित करते हैं। ### **पत्रकार सुरक्षा के लिए संभावित कानून**: 1. **महाराष्ट्र का पत्रकार सुरक्षा अधिनियम**:      महाराष्ट्र पहला राज्य है जिसने 2017 में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने की दिशा में पहल की। इस अधिनियम के तहत पत्रकारों के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा करने वालों को कड़ी सजा का प्रावधान है। यह कानून पत्रकारों को सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उन्हें न्याय दिलाने का काम करता है। 2. **राष्ट्रीय स्तर पर पत्रकार सुरक्षा अधिनियम की मांग**:      कई पत्रकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने लंबे समय से केंद्र सरकार से पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की मांग की है। यह का...

**मीडिया** और **प्रेस** दोनों शब्द सूचना और समाचार प्रसारण से जुड़े हुए हैं, लेकिन दोनों के बीच महत्वपूर्ण अंतर है।

### **मीडिया**: - **व्यापक संचार माध्यम**:     मीडिया एक बहुत व्यापक शब्द है, जिसमें सभी प्रकार के संचार माध्यम शामिल होते हैं, जैसे कि **टीवी, रेडियो, इंटरनेट, सोशल मीडिया, अखबार, पत्रिकाएं**, आदि। मीडिया का कार्य जानकारी, मनोरंजन, और शिक्षात्मक सामग्री प्रदान करना होता है।    - **विभिन्न प्रकार के मंच**:     मीडिया विभिन्न प्लेटफार्मों के माध्यम से काम करता है। इसमें डिजिटल मीडिया, प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, और सोशल मीडिया शामिल होते हैं। मीडिया का काम सिर्फ खबरों तक सीमित नहीं है; यह मनोरंजन, विज्ञापन, और अन्य प्रकार की सूचनाएं भी लोगों तक पहुंचाता है। - **विविध कार्यक्षेत्र**:     मीडिया का दायरा बहुत बड़ा होता है, जिसमें **फिल्में, टीवी शो, ऑनलाइन स्ट्रीमिंग, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर** आदि भी शामिल हैं। इसका उद्देश्य लोगों को सूचनाओं के साथ-साथ मनोरंजन, शिक्षा, और अन्य प्रकार की सामग्री प्रदान करना है। ### **प्रेस**: - **खबरों का स्रोत**:     प्रेस का मतलब विशेष रूप से उन माध्यमों से है, जो **समाचारों** क...

अंधविश्वास उन्मूलन समिति और श्याम मानव

  श्याम मानव एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जो अंधविश्वास उन्मूलन समिति के संस्थापक और प्रमुख के रूप में जाने जाते हैं। उनका मिशन भारत में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देना और अंधविश्वास तथा झूठी धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ लोगों को जागरूक करना है। श्याम मानव का आंदोलन मुख्य रूप से महाराष्ट्र और आसपास के क्षेत्रों में सक्रिय है, जहां वे अंधविश्वास और कुरीतियों के खिलाफ जागरूकता फैलाने का कार्य कर रहे हैं। अंधविश्वास उन्मूलन समिति के उद्देश्य : वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रचार : समिति का उद्देश्य समाज में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देना और तर्कसंगत दृष्टिकोण को स्थापित करना है। अंधविश्वासों के खिलाफ अभियान : यह समिति ऐसे अंधविश्वासों और कुरीतियों के खिलाफ आंदोलन चलाती है, जो लोगों को भ्रमित कर आर्थिक और मानसिक शोषण का शिकार बनाते हैं। इनमें तांत्रिक क्रियाएं, जादू-टोना, और अन्य कुप्रथाएं शामिल हैं। नकली बाबाओं और ढोंगी धार्मिक नेताओं का पर्दाफाश : श्याम मानव और उनकी समिति ने कई नकली बाबाओं और ढोंगी धार्मिक नेताओं को उजागर किया है, जो जनता को अंधविश्वास के आधार पर धोखा देते हैं। कानूनी पहल : अंधव...

भारत में पत्रकारों के संवैधानिक अधिकार

 भारत में पत्रकारों के संवैधानिक अधिकार भारतीय संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों के अंतर्गत आते हैं, जो उन्हें स्वतंत्रता और सुरक्षा प्रदान करते हैं। पत्रकारों को विशेष रूप से निम्नलिखित संवैधानिक अधिकार प्राप्त होते हैं: ### 1. **अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19(1)(a))**:    - पत्रकारों को **विचारों और अभिव्यक्तियों** की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है। इसका मतलब है कि वे अपनी राय स्वतंत्र रूप से व्यक्त कर सकते हैं और समाचार, सूचना, और आलोचनात्मक दृष्टिकोण को प्रकाशित कर सकते हैं। यह अधिकार उन्हें सरकार या किसी अन्य संस्था से किसी भी प्रकार की सेंसरशिप के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।    - हालांकि, यह अधिकार **यथोचित प्रतिबंधों** के अधीन है, जैसे कि देश की सुरक्षा, जनहित, और नैतिकता की रक्षा। ### 2. **सूचना का अधिकार (RTI) (2005)**:    - **सूचना का अधिकार** अधिनियम 2005 के तहत पत्रकारों को सरकारी एजेंसियों और संस्थाओं से सूचनाएं प्राप्त करने का अधिकार है। यह अधिकार उन्हें सरकारी नीतियों और निर्णयों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने और भ्रष्टाचार पर...

The **Association of Indian Magazines (AIM)** and the **Indian Newspaper Society (INS)** are prominent bodies representing the interests of magazines and newspapers in India.

### **Association of Indian Magazines (AIM)**: - **Purpose**: AIM represents magazine publishers and works to promote the magazine industry. It advocates for policies that support the growth of magazines, helps address challenges faced by publishers, and raises awareness about the unique role of magazines in the media landscape. - **Activities**:   - Helps improve advertising revenues for magazines.   - Provides platforms for networking and collaboration between magazine publishers.   - Lobbies for government policies that favor the magazine industry. ### **Indian Newspaper Society (INS)**: - **Purpose**: INS is a national organization that represents print media, including newspapers and magazines. It ensures the proper functioning and rights of its members by addressing challenges like freedom of the press, government regulation, and advertising revenue issues. - **Activities**:   - Promotes press freedom and ensures fair representation of media interests.   -...

what are the power and works of press council of india

 The Press Council of India (PCI) is a statutory, autonomous body responsible for preserving the freedom of the press while maintaining and improving the standards of journalism in India. Here are its key powers and functions : Powers of the Press Council of India: Judicial Authority: PCI has quasi-judicial powers, allowing it to hear complaints against the press or by the press concerning violations of ethics, professional misconduct, or media-related issues. It can summon people, request documents, and carry out investigations into such complaints. Power to Censure: While the PCI cannot impose penalties, it can censure (publicly reprimand) publications or journalists if found guilty of breaching journalistic ethics. This includes warnings, admonitions, and directions for correction. Advisory Role to Government: The PCI has the power to advise the government on issues affecting the press and its functioning, including matters of press laws and the implementation of press freedom...

प्रेस कौंसिल ऑफ़ इंडिया के मेम्बर का कार्य और पॉवर क्या है

 **प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI)** का सदस्य एक स्वतंत्र और स्वायत्त निकाय का हिस्सा होता है, जो प्रेस की स्वतंत्रता और नैतिकता को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है। इसके सदस्य आमतौर पर विभिन्न वर्गों से आते हैं, जिनमें संपादक, पत्रकार, मीडिया विशेषज्ञ, और सरकारी प्रतिनिधि शामिल होते हैं। उनके कार्य और शक्तियां निम्नलिखित हैं: ### **प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य की भूमिकाएं और कार्य:** 1. **प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा**:      प्रेस की स्वतंत्रता पर किसी भी प्रकार के अवांछनीय हस्तक्षेप या दबाव को रोकने के लिए सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रेस स्वतंत्र रूप से कार्य कर सके और अभिव्यक्ति की आज़ादी को बनाए रखा जाए। 2. **शिकायतों का निपटारा**:      PCI के सदस्य प्रेस से संबंधित किसी भी शिकायत का निपटारा करते हैं। अगर कोई व्यक्ति, संगठन, या सरकार किसी समाचार पत्र या पत्रकार की सामग्री से असंतुष्ट है, तो वे PCI में शिकायत कर सकते हैं। सदस्य इस मामले की जांच करते हैं और निष्पक्ष समाधान निकालते हैं। 3. **आचार संहिता...

फैक्ट चेक यूनिट के कामकाज पर रोक रहेगी​

 भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) के तहत स्थापित होने वाली फैक्ट चेक यूनिट (FCU) की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। यह यूनिट मार्च 2024 में सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के तहत स्थापित की गई थी, जिसका उद्देश्य केंद्र सरकार से संबंधित ऑनलाइन सामग्री की सत्यता की जांच करना था। इस यूनिट को किसी भी झूठी, गलत या भ्रामक जानकारी को पहचानने और उसे सोशल मीडिया से हटाने या डिस्क्लेमर लगाने की सिफारिश करने का अधिकार दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला तब लिया जब एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और कॉमेडियन कुनाल कामरा ने इसे चुनौती दी, यह कहते हुए कि यह यूनिट अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19(1)(a)) पर खतरा पैदा कर सकती है। आलोचकों का कहना है कि यह यूनिट सरकार के खिलाफ किसी भी आलोचना को दबाने का साधन बन सकती है, विशेष रूप से आगामी चुनावों के मद्देनजर। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संविधानिक प्रश्नों को उठाया और कहा कि जब तक बॉम्बे हाई कोर्ट इस पर अंतिम निर्णय नहीं लेती, तब तक फैक्ट चेक यूनिट के कामकाज पर रोक रहेगी​

सांकेतिक भाषा दिवस-2024 का थीम है "साइन अप फॉर साइन लैंग्युजेज राइट्स’

  केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता (एसजेई )   मंत्री ,   डॉ. वीरेंद्र कुमार ,    नई दिल्ली के जनपथ स्थित डॉ. अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र के भीम हॉल में सांकेतिक भाषा दिवस- 2024   समारोह के मुख्य अतिथि होंगे। इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री  ( एसजेई ),   श्री बी.एल. वर्मा ,   सम्मानीय अतिथि होंगे। यह आयोजन भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी ),  नई दिल्ली द्वारा केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्लूडी )  के तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। इस वर्ष के सांकेतिक भाषा दिवस- 2024  का विषय है "साइन अप फॉर साइन लैंग्युजेज राइट्स"। पूरा विश्व एक बार फिर सांकेतिक भाषाओं द्वारा उत्पन्न एकता पर प्रकाश डालेगा। वैश्विक नेतागण और अन्य सरकारी अधिकारियों को बधिर लोगों के भाषाई मानवाधिकारों के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर दिव्यांगजन अधिकारों के बेहतर क्रियान्वयन के लिए प्रयास करने के लिए आमंत्रित किया गया है ;  और ,  सांकेतिक भाषा दिवस पर बधिर समुदाय...

one nation one education

 The concept of One Nation, One Education revolves around the idea of providing a uniform education system across a country. The main objectives include: Equal Access to Quality Education : Ensure that all students, regardless of their geographic location or socio-economic background, receive the same quality of education. This includes access to resources, curriculum, teaching standards, and infrastructure. Standardized Curriculum : A common curriculum would be implemented across all states and regions, emphasizing national integration, unity, and equal opportunities for students. This would likely involve a nationalized curriculum framework, such as the one provided by NCERT in India. Reduction of Inequality : By eliminating differences between state-run and central schools, or between public and private educational institutions, this policy aims to reduce the disparities in educational outcomes and opportunities. Skill-Based and Value-Based Education : Such a system would also...

one nation one health needs

 The concept of **One Nation, One Education** revolves around the idea of providing a **uniform education system** across a country. The main objectives include: 1. **Equal Access to Quality Education**: Ensure that all students, regardless of their geographic location or socio-economic background, receive the same quality of education. This includes access to resources, curriculum, teaching standards, and infrastructure. 2. **Standardized Curriculum**: A common curriculum would be implemented across all states and regions, emphasizing national integration, unity, and equal opportunities for students. This would likely involve a nationalized curriculum framework, such as the one provided by NCERT in India. 3. **Reduction of Inequality**: By eliminating differences between state-run and central schools, or between public and private educational institutions, this policy aims to reduce the disparities in educational outcomes and opportunities. 4. **Skill-Based and Value-Based Educati...

महिलाओं को अब पीरियड्स के लिए मिलेगी 6 छुट्टी! पैसा भी नहीं कटेगा; लागू हो सकता है ये नियम

  5/5 शेष फ्री लेख महिलाओं को अब पीरियड्स के लिए मिलेगी 6 छुट्टी! पैसा भी नहीं कटेगा; लागू हो सकता है ये नियम सरकार महिलाओं को पीरियड्स के लिए साल में 6 दिनों की छुट्टी देने पर विचार कर रही है। सरकार ने महिलाओं के पीरियड्स लीव और मासिक धर्म से जुड़े स्वास्थ्य उत्पादों पर एक विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए 18 सदस्यीय समिति का गठन किया है। इसमें कहा जा रहा है महिलाओं को छह दिन की पेड छुट्टियां मिलेंगी और उसमें कोई पैसा नहीं कटेगा। HIGHLIGHTS महिलाओं को छह दिन की पेड छुट्टियां मिलेंगी समिति की अध्यक्ष डॉ. सपना ने पेश की रिपोर्ट डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक सरकार प्राइवेट और पब्लिक दोनों सेक्टर में नौकरी करने वाली महिलाओं के लिए खुशखबरी देने जा रही है। सरकार महिलाओं को पीरियड्स के लिए साल में 6 दिनों की छुट्टी देने पर विचार कर रही है। इसको लेकर अब श्रम मंत्रालय की तरफ से गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है और महिलाओं के लिए 6 दिन की मासिक छुट्टी की सिफारिश की है। सरकार ने महिलाओं के पीरियड्स लीव और मासिक धर्म से जुड़े स्वास्थ्य उत्पादों तक मुफ्त पहुंच के अधिकार पर एक विधेयक...

**NPS वात्सल्य पेंशन योजना**

 भारत में बच्चों और अनाथों के कल्याण के लिए एक प्रस्तावित पेंशन योजना है। इसका उद्देश्य बच्चों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है, खासकर उन बच्चों के लिए जो अपने माता-पिता या अभिभावकों को खो चुके हैं। योजना की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हो सकती हैं: 1. **पात्रता**: अनाथ बच्चे, जिन्हें कोई कानूनी अभिभावक नहीं है, या जिनके माता-पिता दोनों की मृत्यु हो चुकी है, इस योजना के लिए पात्र हो सकते हैं। सरकार द्वारा चिह्नित वंचित वर्ग के बच्चे भी इसका लाभ उठा सकते हैं।    2. **निधि का स्रोत**: यह योजना केंद्र या राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित हो सकती है, जिसमें सरकार अनाथ बच्चों के लिए पेंशन योगदान करेगी। सामाजिक संगठनों और व्यक्तिगत दानदाताओं को भी योगदान की अनुमति हो सकती है। 3. **पेंशन की राशि**: बच्चे की आयु और उसकी आवश्यकताओं के आधार पर एक निश्चित मासिक पेंशन दी जा सकती है, जो उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य, और दैनिक जरूरतों को पूरा करने में सहायक हो। 4. **समर्थन और निगरानी**: योजना के तहत बच्चों की देखरेख और शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित विभागों और संस्थानों की भूमिका होगी। बच्चों...

अगर मंदिर का दान सामजिक सरोकारों की तरफ मोड़ दिया जाये तो समाज में क्या बदलाव होगा

 यदि मंदिरों का दान बड़े पैमाने पर सामाजिक सरोकारों की ओर मोड़ा जाए, तो समाज में कई महत्वपूर्ण और सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं। मंदिरों के पास अपार आर्थिक संसाधन होते हैं, जिन्हें सही दिशा में उपयोग करके समाज के विकास में बड़ा योगदान किया जा सकता है। इसका प्रभाव निम्नलिखित तरीकों से देखा जा सकता है: ### 1. **शिक्षा में सुधार**    - मंदिरों के दान को स्कूलों, कॉलेजों और शिक्षा संस्थानों के विकास में निवेश किया जा सकता है। विशेषकर ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में स्कूलों और शिक्षण सामग्री की कमी को दूर किया जा सकता है। मुफ्त शिक्षा और छात्रवृत्ति कार्यक्रमों से गरीब बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलने की संभावना बढ़ेगी, जिससे समाज का समग्र विकास होगा।     ### 2. **स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्धि**    - मंदिर दान का उपयोग अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों और चिकित्सा सुविधाओं की स्थापना में किया जा सकता है। विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में मुफ्त या सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं। दान का इस्तेमाल कैंसर, हृदय रोग, और अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए वित्तीय सह...

मंदिर अर्थ तंत्र से भारत की अर्थव्यवस्था

 मंदिर अर्थतंत्र का भारत की अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव है, विशेषकर धार्मिक पर्यटन, सांस्कृतिक धरोहर, और धार्मिक गतिविधियों के माध्यम से। इस तंत्र का प्रभाव निम्नलिखित पहलुओं में देखा जा सकता है: ### 1. **धार्मिक पर्यटन और रोजगार सृजन**    - मंदिर स्थल धार्मिक पर्यटन के मुख्य केंद्र होते हैं, जिनसे लाखों श्रद्धालु हर साल यात्रा करते हैं। यह पर्यटन उद्योग को प्रोत्साहित करता है, जिससे परिवहन, होटल, भोजन और विभिन्न सेवाओं में रोजगार के अवसर पैदा होते हैं। धार्मिक पर्यटन स्थलों में आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या से स्थानीय व्यापारियों को भी आर्थिक लाभ मिलता है।     ### 2. **दान और आर्थिक संग्रहण**    - मंदिरों में नियमित रूप से दान और चढ़ावा आता है, जो मंदिरों की संपत्ति और आर्थिक ताकत को बढ़ाता है। यह धन स्थानीय सामाजिक कार्यों, शिक्षा, चिकित्सा सुविधाओं, और विकास परियोजनाओं में लगाया जा सकता है। बड़े मंदिर संस्थान अपने आर्थिक संसाधनों से बड़े पैमाने पर सामाजिक विकास में योगदान करते हैं।     ### 3. **स्थानीय अर्थव्यवस्था का विकास** ...

आज के वर्तमान श्रेणी में दिव्यांग

दिव्यांग, यानी शारीरिक या मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण जीवन जीने वाले लोग, हमारे समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। आज के आधुनिक युग में, जहां विज्ञान और तकनीक ने कई क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की है, वहीं दिव्यांग व्यक्तियों के जीवन में भी सकारात्मक बदलाव आए हैं।  सरकार और विभिन्न संगठनों के प्रयासों से दिव्यांग व्यक्तियों के लिए विशेष सुविधाएं और अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और सार्वजनिक स्थानों पर उनकी सुविधा के लिए अनेक योजनाएं और नीतियाँ बनाई गई हैं। इसके बावजूद, कई चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं जिन्हें हल करने की आवश्यकता है। शिक्षा के क्षेत्र में, कई दिव्यांग बच्चों को सामान्य स्कूलों में शामिल किया जा रहा है, जिससे उन्हें मुख्यधारा की शिक्षा प्राप्त हो रही है। इसके लिए स्कूलों में विशेष शिक्षकों और संसाधनों की व्यवस्था की जा रही है। हालाँकि, ग्रामीण क्षेत्रों में इन सुविधाओं की अभी भी कमी है। इसे दूर करने के लिए सरकार को और अधिक प्रयास करने होंगे। रोजगार के क्षेत्र में भी दिव्यांग व्यक्तियों को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। निजी ...

उत्तराखंड में रोजगार और स्वरोजगार वर्तमान समय में ज्वलंत मुद्दे

 उत्तराखंड में रोजगार और स्वरोजगार वर्तमान समय में ज्वलंत मुद्दे बने हुए हैं, और इसके पीछे कई सामाजिक, आर्थिक और भौगोलिक कारण हैं। राज्य के विकास के साथ-साथ बेरोजगारी, पलायन और रोजगार के सीमित अवसरों जैसी समस्याएँ सामने आई हैं। इसके अलावा, स्वरोजगार को बढ़ावा देने के प्रयास भी किए जा रहे हैं, लेकिन इसमें भी कई चुनौतियाँ हैं। आइए इन मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करते हैं: ### 1. **बेरोजगारी और पलायन** उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में रोजगार के सीमित अवसर और आधारभूत ढांचे की कमी के कारण बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है। विशेषकर युवा वर्ग बेहतर अवसरों की तलाश में राज्य के मैदानी क्षेत्रों या दूसरे राज्यों की ओर जा रहे हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि, पर्यटन और हस्तशिल्प जैसे उद्योगों की कमज़ोरी के कारण रोजगार के पर्याप्त साधन नहीं मिल पा रहे हैं। यह एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि राज्य के पहाड़ी हिस्सों में जनसंख्या घटती जा रही है, जिससे गाँव वीरान हो रहे हैं। ### 2. **कृषि में संकट** उत्तराखंड की भूमि का एक बड़ा हिस्सा पहाड़ी क्षेत्र है, जो कृषि के लिए आदर्श नहीं है। इसके कारण राज्य की कृषि ...
 quad क्या है और उसको क्या फायदा है ChatGPT said: ChatGPT QUAD (Quadrilateral Security Dialogue) एक रणनीतिक संगठन है, जिसमें चार देश शामिल हैं: भारत, अमेरिका, जापान, और ऑस्ट्रेलिया। इसका उद्देश्य मुख्य रूप से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, स्थिरता, और समृद्धि सुनिश्चित करना है। यह संगठन मुख्य रूप से भू-राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर केंद्रित है, खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए। QUAD के मुख्य उद्देश्य और फायदे: सुरक्षा और स्थिरता: QUAD का प्राथमिक उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखना है, ताकि क्षेत्रीय देशों की स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। रणनीतिक सहयोग: चारों देश सामरिक सहयोग को बढ़ावा देते हैं, जैसे कि नौसैनिक अभ्यास, साइबर सुरक्षा, और आतंकवाद विरोधी प्रयास। इससे रक्षा क्षमता में वृद्धि होती है। अर्थव्यवस्था और व्यापार: QUAD सदस्य देश आपसी व्यापार और आर्थिक सहयोग को प्रोत्साहित करते हैं। इससे क्षेत्रीय और वैश्विक अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। हिंद-प्रशांत में संतुलन: QUAD चीन की बढ़ती...