वृद्धावस्था को क्या दिव्यांगता में नहीं लाया जा सकता है ?
वृद्धावस्था को अपने आप में दिव्यांगता नहीं कहा जा सकता, लेकिन यह एक ऐसी अवस्था होती है जिसमें अक्सर शारीरिक, मानसिक और संवेदी क्षमताओं में कमी आ सकती है। इस उम्र में लोग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त हो सकते हैं, जैसे चलने-फिरने में कठिनाई, सुनने और देखने में कमी, या मानसिक क्षमताओं में गिरावट। हालाँकि, सभी वृद्ध लोग दिव्यांग नहीं होते, लेकिन उम्र के साथ शारीरिक चुनौतियाँ बढ़ सकती हैं, जिससे उन्हें विशेष सहायता की आवश्यकता हो सकती है। दिव्यांगता का मतलब किसी व्यक्ति की शारीरिक या मानसिक क्षमता में दीर्घकालिक और महत्वपूर्ण कमी होती है। अगर वृद्ध व्यक्ति में कोई विशेष क्षमता की कमी होती है, जैसे चलने, सुनने या देखने की, तो उसे दिव्यांगता के अंतर्गत रखा जा सकता है। सरकार द्वारा भी वृद्धावस्था और दिव्यांगता को अलग-अलग श्रेणियों में रखा जाता है और दोनों के लिए अलग-अलग योजनाएँ बनाई जाती हैं।