उत्तराखंड विक्टिम कम्पेंसेशन स्कीम

 उत्तराखंड सरकार ने कहा है कि वह एसिड अटैक की पीड़िताओं को 5 से 6 हजार रुपए महीने तक की पेंशन देगी,पंजाब सरकार ने जून 2017 में एसिड पीड़ितों को 8 हजार रुपए पेंशन देने की घोषणा करते हुए नोटिफिकेशन जारी किया था

यह स्कीम एसिड पीड़ितों कोआर्थिक रूप से सुरक्षित और स्वावलंबी बनने में मिलेगी मदद।

उत्तराखंड में करीब 10 से 11 एसिड अटैक की पीड़िताएं मौजूद हैं, जिनको आर्थिक रूप से सुरक्षित बनाने के लिए राज्य सरकार ने ये फैसला लिया है।

एसिड अटैक उत्तराखंड सहित पूरे भारत में एक गंभीर अपराध है, और इससे पीड़ित व्यक्तियों की सहायता और पुनर्वास के लिए विभिन्न नीतियां और कानून लागू किए गए हैं। उत्तराखंड सरकार और भारत सरकार, दोनों स्तरों पर एसिड अटैक पीड़ितों के समर्थन के लिए निम्नलिखित प्रमुख पहलें की गई हैं: ### 1. **कानूनी सहायता और मुआवजा:** - **क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट, 2013** के तहत, एसिड अटैक को गंभीर अपराध के रूप में परिभाषित किया गया है। दोषियों के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान है, जिसमें न्यूनतम 10 साल की कैद हो सकती है, और यह सजा उम्रकैद तक बढ़ाई जा सकती है। - पीड़ितों को तुरंत और समय पर मुआवजा प्रदान करने के लिए **उत्तराखंड विक्टिम कम्पेंसेशन स्कीम** लागू की गई है। मुआवजे की राशि का निर्धारण राज्य सरकार द्वारा किया जाता है, और यह पीड़ित की चिकित्सा और पुनर्वास के लिए होती है। ### 2. **मेडिकल सहायता:** - पीड़ितों को मुफ्त और समय पर चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा अस्पतालों और मेडिकल संस्थानों को निर्देशित किया गया है। उत्तराखंड सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि सरकारी और कुछ निजी अस्पताल एसिड अटैक पीड़ितों का मुफ्त इलाज करें। - पीड़ितों को विशेष प्लास्टिक सर्जरी और दीर्घकालिक चिकित्सा देखभाल की सुविधा दी जाती है। ### 3. **पुनर्वास और रोजगार:** - एसिड अटैक पीड़ितों के पुनर्वास के लिए **कौशल विकास कार्यक्रम** चलाए जाते हैं, ताकि उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सके। इसके तहत उन्हें रोजगार देने के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाता है। - पीड़ितों के लिए **रिजर्वेशन** का प्रावधान भी किया गया है, जिससे वे सरकारी नौकरियों में भाग ले सकें और सामान्य जीवन जी सकें। ### 4. **एसिड की बिक्री पर नियंत्रण:** - एसिड की बिक्री पर सख्त नियंत्रण के लिए **Poison Act, 1919** के तहत नियम बनाए गए हैं। उत्तराखंड सरकार ने निर्देश जारी किए हैं कि एसिड केवल उन्हीं दुकानों पर बेचा जाए, जिनके पास वैध लाइसेंस हो। - एसिड खरीदने के लिए पहचान प्रमाण और कारण बताना अनिवार्य है, और प्रत्येक बिक्री का रिकॉर्ड रखना होता है। ### 5. **समाजिक जागरूकता और सिविल सोसाइटी की भागीदारी:** - राज्य सरकार के साथ कई गैर सरकारी संगठन (NGOs) और सामाजिक संगठन एसिड अटैक पीड़ितों की सहायता के लिए कार्य कर रहे हैं। वे पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा, मानसिक स्वास्थ्य सेवा, और समाज में पुन: एकीकरण के लिए प्रयास करते हैं। - **उत्तराखंड महिला आयोग** और अन्य महिला संगठन पीड़ितों की सुरक्षा और पुनर्वास के लिए सक्रिय हैं, और जागरूकता अभियान चलाते हैं ताकि ऐसे हमलों को रोका जा सके। उत्तराखंड में एसिड अटैक पीड़ितों के लिए सरकार द्वारा किए गए ये प्रयास और नीतियां इस सामाजिक अपराध को रोकने और पीड़ितों को न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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