उत्तराखंड की जनसंख्या लगभग 1.1 करोड़ है, जिनमें 15–29 वर्ष की आयु वर्ग लगभग 30 लाख के करीब है। मगर पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा व स्किल का स्तर और अवसरों की कमी के चलते employability दर और कम है – करीब 35-40%,क्या होनी चाहिए योजना और उसका समाधान एक विश्लेषण।

उत्तराखंड में युवाओं की कम Employability (रोजगार-योग्यता) विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में एक गंभीर सामाजिक-आर्थिक चुनौती बन चुकी है। इस समस्या के समाधान हेतु हमें एक समग्र (Holistic), स्थान-विशेष (Context-Specific), और स्थायी (Sustainable) योजना की आवश्यकता है। नीचे इसका विस्तृत विश्लेषण एवं समाधान प्रस्तुत किया गया है:


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1. समस्या की जड़ें: क्यों कम है Employability

(क) शिक्षा की गुणवत्ता

रोजगारोन्मुख शिक्षा का अभाव: स्कूल-कॉलेजों में व्यावसायिक शिक्षा या डिजिटल साक्षरता पर जोर नहीं।

शिक्षकों की कमी और ट्रेन्ड न होना, खासकर विज्ञान, गणित व तकनीकी विषयों में।

ऑनलाइन शिक्षा की पहुंच सीमित – नेटवर्क व डिजिटल डिवाइड के कारण।


(ख) कौशल विकास में कमी

पर्वतीय जिलों में आईटीआई/पॉलीटेक्निक/स्किल सेंटर की संख्या बहुत कम।

स्थानीय अर्थव्यवस्था (जैसे कृषि, टूरिज्म, वनोपज) से जुड़ी स्किल ट्रेनिंग नहीं।


(ग) रोजगार के अवसरों की कमी

सीमित उद्योग, और उनमें भी बाहरी लोगों की भागीदारी ज्यादा।

सरकारी नौकरियों पर अत्यधिक निर्भरता।



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2. समाधान व योजना: 5 स्तंभ आधारित रणनीति

(1) शिक्षा को रोजगार से जोड़ना (Edu-Employ Linkage)

पर्वतीय कॉलेजों में B.Voc (Vocational Bachelor Courses) शुरू किए जाएं जैसे–

टूरिज्म व ईको-गाइडिंग

ऑर्गेनिक फार्मिंग

हर्बल वैल्यू चेन


स्कूल स्तर पर "Skilling Clubs" – कक्षा 9 से 12 तक कौशल आधारित पाठ्यक्रम।



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(2) "Zonal Skill Development Hubs" की स्थापना

प्रत्येक ब्लॉक में एक मिनी स्किल सेंटर – जहाँ NSDC, ITI व स्थानीय SHG मिलकर प्रशिक्षण दें।

लोकल स्किल को बढ़ावा – जैसे मंडुवा-बुरांश उत्पादों की प्रोसेसिंग, जैविक खेती, बांस/रिंगाल शिल्प।

गांव स्तर पर "Skill Vahini" Mobile Vans – जो प्रशिक्षण व career guidance दे।



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(3) स्वरोजगार और उद्यमिता

मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना को पर्वतीय जिलों के अनुसार री-डिज़ाइन करें।

Interest-Free Seed Capital व mentorship support ग्राम स्तर पर उपलब्ध कराया जाए।

FPO और Cooperative मॉडल को युवाओं से जोड़कर, क्लस्टर आधारित व्यवसाय (जैसे हर्बल प्रोसेसिंग, मशरूम फार्मिंग) विकसित किए जाएं।



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(4) डिजिटल और ग्रीन स्किलिंग

ग्रामीण BPO, टेलीमेडिसिन, ऑनलाइन ट्यूटरिंग जैसे रोजगारों में युवाओं को प्रशिक्षित करें।

Renewable Energy, Solar Repairing, Forest Carbon Credit जैसे नए क्षेत्रों में स्किलिंग।

E-commerce Training ताकि युवा खुद के उत्पाद ऑनलाइन बेच सकें।



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(5) Migration Management और Youth Tracking

"Youth Employability Index" Dashboard हर जिले में, जो ट्रैक करे:

कितने युवा स्किल्ड हैं?

कौन पलायन कर चुका है?

किस क्षेत्र में स्किल की मांग है?




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3. संभावित संस्थागत मॉडल: "UYEM – Uttarakhand Youth Employability Mission"

घटक कार्य

जिला युवा केंद्र प्रशिक्षण व करियर मार्गदर्शन
पंचायत स्तर पर कौशल परिषद स्थानीय मांग के अनुसार पाठ्यक्रम चुनना
CSR और NGO साझेदारी स्किल डेवलपमेंट में निवेश



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4. निष्कर्ष:

उत्तराखंड के युवाओं की आधी आबादी को नौकरी लायक बनाने के लिए केवल शिक्षा सुधार नहीं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था से जुड़े स्किल, स्वरोजगार व डिजिटल समावेशन आवश्यक हैं।

अगर राज्य अगले 5 वर्षों में 50% Employability Rate को छूना चाहता है, तो इन 5 स्तंभों पर आधारित योजनाबद्ध और संसाधनयुक्त हस्तक्षेप की आवश्यकता है।



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