“प्रकृति की विविधता में ही जीवन का अस्तित्व है”
“प्रकृति की विविधता में ही जीवन का अस्तित्व है”
परिचय:
हर वर्ष 22 मई को विश्व जैव विविधता दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य है लोगों को जैव विविधता (Biodiversity) के महत्व, संरक्षण और उसके संकटों के प्रति जागरूक करना। जैव विविधता में सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, सूक्ष्मजीव और पारिस्थितिकी तंत्र शामिल होते हैं, जो धरती पर जीवन को संतुलित और समर्थ बनाते हैं।
2025 की थीम:
2025 में इस दिवस की थीम है – “Be Part of the Plan” यानी “योजना का हिस्सा बनें”। यह थीम इस बात पर बल देती है कि जैव विविधता की रक्षा केवल सरकारों या वैज्ञानिकों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति, समुदाय और संगठन को इसमें भागीदारी निभानी होगी।
जैव विविधता का महत्व:
- पोषण और भोजन: विविध प्रकार की फसलें, फल, सब्जियां और जड़ी-बूटियां पोषण का स्रोत हैं।
- चिकित्सा: 80% औषधियां प्राकृतिक स्रोतों से आती हैं।
- पर्यावरणीय संतुलन: जैव विविधता मिट्टी की उर्वरता, जलवायु संतुलन और प्रदूषण नियंत्रण में सहायक होती है।
- सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व: भारत की अनेक परंपराएं, त्यौहार और पूजा-पद्धतियां प्रकृति और जीवों से जुड़ी हैं।
जैव विविधता पर संकट:
- वनों की कटाई
- प्रदूषण (जल, वायु, भूमि)
- अति दोहन और शिकार
- जलवायु परिवर्तन
- अवैध वन्यजीव व्यापार
भारत और जैव विविधता:
भारत विश्व के 17 “मेगा बायोडायवर्स” देशों में से एक है। यहाँ 47,000 से अधिक पौधों और 90,000 से अधिक प्रजातियों के जानवर पाए जाते हैं। हिमालय से लेकर पश्चिमी घाट और सुंदरबन से लेकर अंडमान-निकोबार तक हर क्षेत्र अनोखी जैव विविधता से समृद्ध है।
संरक्षण की दिशा में कदम:
- जैव विविधता अधिनियम, 2002
- नेशनल बायोडायवर्सिटी अथॉरिटी (NBA) की स्थापना
- जैव विविधता रजिस्टर और पीपुल्स बायोडायवर्सिटी बोर्ड
- जैव विविधता पार्क, अभयारण्य और बायोस्फीयर रिज़र्व
- समुदाय आधारित संरक्षण जैसे “वन पंचायत”, “महिला मंगल दल” की भूमिका
विश्व जैव विविधता दिवस केवल एक दिवस नहीं, बल्कि एक संकल्प है – “प्रकृति के साथ तालमेल में जीने का।” हमें यह समझना होगा कि जैव विविधता की रक्षा करना हमारी अपनी रक्षा करना है। अगर हम प्रकृति की विविधता को बचाएंगे, तभी जीवन की निरंतरता बनी रहेगी।
"प्रकृति को नष्ट करना, स्वयं को नष्ट करना है – आइए, जैव विविधता को बचाने की योजना का हिस्सा बनें।"
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