अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21

 अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 का सरल और स्पष्ट हिंदी में विवरण दिया गया है:


---

अनुच्छेद 14 – समानता का अधिकार

मूल पाठ:
"राज्य भारत के राज्यक्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधियों के समक्ष समानता या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा।"

मुख्य बिंदु:

सभी व्यक्तियों (नागरिक और गैर-नागरिक) को कानून के समक्ष समानता और कानून का समान संरक्षण मिलता है।

राज्य किसी के साथ भेदभाव नहीं कर सकता।

वाजिब वर्गीकरण (reasonable classification) की अनुमति है, लेकिन मनमानी या वर्ग आधारित कानून (class legislation) की नहीं।


उदाहरण:

जाति, लिंग, धर्म, स्थान या जन्म के आधार पर किया गया भेदभाव अनुच्छेद 14 का उल्लंघन माना जाएगा।

यदि कोई नीति केवल एक समूह को लाभ देती है और दूसरों को बिना कारण वंचित करती है, तो उसे चुनौती दी जा सकती है।



---

अनुच्छेद 21 – जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार

मूल पाठ:
"किसी व्यक्ति को उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा, सिवाय विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार।"

मुख्य बिंदु:

हर व्यक्ति (नागरिक और गैर-नागरिक) को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार है।

'विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया' का अर्थ है – कानूनन, और वह प्रक्रिया न्यायपूर्ण, उचित और तर्कसंगत होनी चाहिए।


न्यायपालिका ने इसमें कई अधिकार जोड़े हैं:

निजता का अधिकार (Right to Privacy)

रोजगार का अधिकार (Right to Livelihood)

स्वास्थ्य और स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार

कानूनी सहायता का अधिकार (Legal Aid)

सम्मानपूर्वक मृत्यु का अधिकार (Passive Euthanasia)


प्रसिद्ध मामला:
मेनका गांधी बनाम भारत संघ (1978): इस निर्णय में अदालत ने कहा कि अनुच्छेद 21 में दी गई "विधि की प्रक्रिया" न्यायपूर्ण, निष्पक्ष और उचित होनी चाहिए।


---


Comments

Popular posts from this blog

उत्तराखंड का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) वित्तीय वर्ष 2024-25

कृषि व्यवसाय और ग्रामीण उद्यमिता विकास