क्या भारत वास्तव में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है? – एक विश्लेषण
भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। वर्तमान में (2024-25 तक), भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी से पीछे है। लेकिन क्या भारत वास्तव में जल्द ही तीसरे स्थान पर पहुँच सकता है? आइए इसका विश्लेषण करें:
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1. वर्तमान स्थिति (2024-25)
भारत की GDP (सकल घरेलू उत्पाद) लगभग $3.7 ट्रिलियन (नाममात्र) है।
जापान और जर्मनी की अर्थव्यवस्थाएं क्रमशः $4.2 ट्रिलियन और $4.5 ट्रिलियन के आसपास हैं।
IMF और World Bank जैसे संगठनों के अनुसार, 2027-28 तक भारत तीसरे स्थान पर आ सकता है।
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2. भारत की ताकतें
(क) उच्च विकास दर
भारत की GDP वृद्धि दर लगभग 6%–7% प्रति वर्ष है, जो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ है।
(ख) जनसंख्या और युवा कार्यबल
भारत के पास दुनिया की सबसे बड़ी कार्यशील जनसंख्या (Working Population) है — एक बड़ा डेमोग्राफिक डिविडेंड।
(ग) उद्योगों का विकास
IT, फार्मा, रक्षा, अंतरिक्ष, डिजिटल सेवा जैसे क्षेत्रों में भारत की तेज़ी से बढ़ती हिस्सेदारी।
(घ) FDI और निवेश में वृद्धि
वैश्विक कंपनियां चीन के विकल्प के रूप में भारत को देख रही हैं — China + 1 रणनीति।
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3. चुनौतियाँ
(क) बेरोज़गारी और असमानता
आर्थिक विकास के बावजूद नौकरियों की कमी और ग्रामीण-शहरी असमानता।
(ख) इन्फ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स की बाधाएं
भारत की लॉजिस्टिक्स लागत अभी भी GDP का ~14% है (चीन में 8%)।
(ग) शिक्षा और कौशल विकास में कमी
बड़ी आबादी के बावजूद skilled labor की कमी।
(घ) वैश्विक अनिश्चितताएं
अमेरिका-चीन तनाव, तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, जलवायु परिवर्तन आदि भारत को प्रभावित करते हैं।
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4. आगे की राह: क्या यह संभव है?
हाँ, यदि निम्नलिखित कारक सकारात्मक बने रहते हैं:
आर्थिक सुधारों की गति बनी रहे (Make in India, Ease of Doing Business, Production Linked Incentives आदि)।
निजी निवेश को बढ़ावा मिले।
बुनियादी ढाँचे (इन्फ्रास्ट्रक्चर) में बड़े पैमाने पर निवेश जारी रहे।
राजनीतिक स्थिरता और पारदर्शी नीतियां बनी रहें।
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5. विश्लेषण निष्कर्ष
भारत का तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना संभाव्य और यथार्थवादी लक्ष्य है, विशेष रूप से 2027–2030 तक। परंतु यह तभी संभव होगा जब देश आंतरिक ढांचे को मजबूत बनाए, समावेशी विकास करे, और वैश्विक चुनौतियों का रणनीतिक उत्तर दे।
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