"जहां भी उत्पादन होता है, वो धन होता है"
"जहां भी उत्पादन होता है, वो धन होता है" बहुत गहरा और विचारोत्तेजक है। यह कथन आर्थिक, सामाजिक और आध्यात्मिक तीनों स्तरों पर व्याख्या योग्य है। आइए इसे तीन दृष्टिकोणों से समझते हैं: 1. आर्थिक दृष्टिकोण से: उत्पादन (Production) का अर्थ है – किसी वस्तु, सेवा, या मूल्य का निर्माण करना। और जब कोई मूल्य उत्पन्न होता है, तो वही धन (Wealth) कहलाता है। उदाहरण: यदि कोई किसान खेत में फसल उगाता है, तो वह उत्पादन है – और वही उसकी संपत्ति (धन) है। यदि कोई कारीगर कुछ बनाता है – तो वह भी उत्पादन है – और वही उसका धन है। इसलिए: "उत्पादन = मूल्य = धन" जो समाज उत्पादन करता है, वही समृद्ध होता है। 2. सामाजिक दृष्टिकोण से: केवल भौतिक वस्तुएँ ही नहीं, ज्ञान , संस्कृति , सेवा और सहयोग भी जब उत्पन्न होते हैं, तो वे सामाजिक रूप से धन बनते हैं। जैसे: एक शिक्षक ज्ञान का उत्पादन करता है – यह भी अमूल्य "मानव पूंजी" है। एक स्वयंसेवक सेवा करता है – यह भी सामाजिक धन है। 3. आध्यात्मिक दृष्टिकोण से: यहाँ "उत्पादन" का अर्थ आत्मिक गुणों के विकास से है – जैस...