उत्तराखंड के लिए एक वैकल्पिक, समावेशी और टिकाऊ विकास मॉडल पर नजर डालते हैं, जो खनन, शराब और निजीकरण पर निर्भर न होकर स्थानीय संसाधनों, संस्कृति और सामुदायिक भागीदारी पर आधारित हो।



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उत्तराखंड के लिए वैकल्पिक विकास मॉडल

1. खनन के स्थान पर: पारिस्थितिक आजीविका मॉडल

वन आधारित आजीविका: रिंगाल (बाँस), जड़ी-बूटी, शहद, फल व फूलों पर आधारित उद्योग।

सामुदायिक वन प्रबंधन: वनों की देखरेख और उत्पादनों से स्थानीय लोगों को सीधी आमदनी।

पर्यावरण पर्यटन (Eco-tourism): स्थानीय गाइड, होमस्टे, ट्रेकिंग रूट – युवाओं के लिए रोजगार।


2. शराब के स्थान पर: सामाजिक स्वास्थ्य व सामूहिक अर्थव्यवस्था

स्थानीय उत्पाद आधारित उद्यम: बुरांश जूस, माल्टा, कीवी, अचार, लोक हस्तकला आदि पर आधारित ग्रामीण महिला समितियां।

नशामुक्त गाँव अभियान: महिला मंगल दल और युवाओं की भूमिका के साथ स्वच्छ जीवनशैली का प्रचार।

राजस्व विकल्प: हैंडीक्राफ्ट, फार्म टूरिज्म, और स्थानीय फूड ब्रांड से राज्य को आय।


3. निजीकरण के स्थान पर: सहकारी और समुदाय-आधारित मॉडल

सहकारी विद्यालय और अस्पताल: गाँव स्तर पर समुदाय की भागीदारी से संचालित संस्थाएं।

"एक गाँव, एक शिक्षक-स्वास्थ्यसेवक" मॉडल: स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित कर गाँव में ही सेवा देना।

डिजिटल शिक्षा और टेलीमेडिसिन: सस्ता, सुलभ और तकनीक आधारित समाधान।



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मुख्य सिद्धांत:

सतत विकास (Sustainable Development)

सामुदायिक भागीदारी (Community Ownership)

स्थानीय संस्कृति और जैव विविधता की रक्षा

ग्राम स्वराज्य और आत्मनिर्भरता



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