7 अप्रैल 2025 का 'ब्लैक मंडे' (Black Monday) एक ऐसा दिन बन गया जब वैश्विक शेयर बाजारों में भारी गिरावट दर्ज की गई।
7 अप्रैल 2025 का 'ब्लैक मंडे' (Black Monday) एक ऐसा दिन बन गया जब वैश्विक शेयर बाजारों में भारी गिरावट दर्ज की गई। इसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लागू किए गए नए आयात शुल्क (टैरिफ़्स) और उससे उत्पन्न वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका के कारण देखा जा रहा है।
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मुख्य कारण:
राष्ट्रपति ट्रंप ने "लिबरेशन डे" के मौके पर 10% आयात शुल्क की घोषणा की, जो चीन और अन्य देशों से आने वाले उत्पादों पर लागू हुआ।
इसका मकसद अमेरिकी उत्पादन को बढ़ावा देना था, लेकिन इससे व्यापारिक साझेदारों में नाराजगी और वैश्विक बाजारों में घबराहट फैल गई।
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बाजार की प्रतिक्रिया:
डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज में 4,000 अंकों की गिरावट आई — यह 2020 के बाद सबसे बड़ी गिरावटों में से एक है।
NASDAQ और S&P 500 में भी तीव्र गिरावट देखी गई। नैस्डैक तो "Bear Market" ज़ोन में पहुंच गया।
निवेशकों में मंदी की आशंका से घबराहट फैल गई, और शेयर बेचने की होड़ मच गई।
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सरकारी प्रतिक्रिया:
व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने कहा कि इस नीति से मंदी नहीं आएगी, बल्कि यह अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी।
उन्होंने दावा किया कि डाउ जोंस 40,000 तक पहुंच सकता है।
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विशेषज्ञों की चेतावनी:
प्रसिद्ध निवेशक बिल ग्रॉस ने कहा कि इस गिरावट को "Buy the Dip" (गिरावट में खरीदारी) का मौका मानना खतरनाक हो सकता है।
उन्होंने निवेशकों को सावधानी बरतने, नकद और डिविडेंड देने वाले घरेलू शेयरों में निवेश करने की सलाह दी।
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आर्थिक प्रभाव:
वैश्विक मंदी की आशंका बढ़ गई है।
ट्रेड वॉर के कारण कंपनियों के मुनाफे में कमी, निवेश में गिरावट, नौकरियों में कटौती और उपभोक्ता खर्च में कमी आने की संभावना जताई जा रही है।
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निष्कर्ष:
7 अप्रैल 2025 का 'ब्लैक मंडे' इस बात का प्रमाण है कि वैश्विक व्यापार नीतियाँ और टैरिफ फैसले, दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं पर कितनी गहरी और तात्कालिक प्रभाव डाल सकते हैं। यह घटना बताती है कि संतुलित और कूटनीतिक दृष्टिकोण के बिना, आंतरिक आर्थिक नीतियाँ वैश्विक संकट को जन्म दे सकती हैं।
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