जिन अखबारों को हमने खरीद के बड़ा बनाया सुना है वो अब बिक के खबरें छाप रहे हैं और उत्तराखंड जैसे छोटे से राज्य में मौज कर रहे हैं ।
आज के दौर में पत्रकारिता का व्यवसायीकरण और राजनीतिक दखल इस स्तर तक बढ़ गया है कि बड़े मीडिया हाउस जनता की आवाज़ बनने के बजाय सत्ता और पूंजीपतियों के हितों के रक्षक बन गए हैं। खासकर उत्तराखंड जैसे छोटे राज्यों में, जहां संसाधन सीमित हैं और मीडिया पर पूंजीपतियों व राजनीतिक दलों की पकड़ मजबूत होती जा रही है, निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए जगह सिकुड़ती जा रही है।
मौजूदा मीडिया परिदृश्य और उसकी चुनौतियाँ
1. कॉरपोरेट और राजनीतिक नियंत्रण – बड़े अखबार और न्यूज चैनल अब स्वतंत्र नहीं रहे। वे वही खबरें छापते हैं, जो उनके मालिकों और विज्ञापनदाताओं के हित में होती हैं।
2. स्थानीय मुद्दों की अनदेखी – जलवायु परिवर्तन, पलायन, ग्रामीण विकास, सांस्कृतिक संरक्षण जैसे अहम मुद्दे हाशिए पर चले गए हैं, क्योंकि ये "TRP फ्रेंडली" नहीं माने जाते।
3. स्वतंत्र पत्रकारों के लिए सीमित अवसर – निष्पक्ष पत्रकारों को या तो बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है या फिर उन्हें किनारे कर दिया जाता है।
4. खबरों का बाज़ारीकरण – अब खबरें सच्चाई नहीं, बल्कि ‘ब्रांड’ बन चुकी हैं, जिन्हें बेचा जाता है। ‘पेड न्यूज’ और ‘एजेंडा सेटिंग’ आम हो गई है।
समाधान: स्वतंत्र और स्थानीय पत्रकारिता को बढ़ावा देना
यही वह जगह है जहां 'Udaen News Network' जैसे स्वतंत्र मीडिया प्लेटफॉर्म की आवश्यकता और प्रासंगिकता बढ़ जाती है। यदि उत्तराखंड में निष्पक्ष, लोक-हितकारी पत्रकारिता को बढ़ावा देना है, तो हमें कुछ ठोस कदम उठाने होंगे:
1. डिजिटल और ग्रासरूट रिपोर्टिंग पर फोकस
बड़े मीडिया हाउस भले ही सत्ता के इशारों पर काम करें, लेकिन डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल करके स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता दी जा सकती है।
मोबाइल पत्रकारिता (MoJo) को बढ़ावा देकर गांव-गांव से रिपोर्टिंग की जा सकती है।
2. जनसहयोग आधारित मीडिया मॉडल
विज्ञापन और राजनीतिक फंडिंग पर निर्भरता खत्म करने के लिए 'Gift Economy' और क्राउडफंडिंग जैसे मॉडल अपनाए जा सकते हैं।
सब्सक्रिप्शन बेस्ड या लोकसहयोगी मीडिया प्लेटफॉर्म विकसित किए जा सकते हैं।
3. स्थानीय पत्रकारों और युवाओं को मंच देना
पत्रकारिता के इच्छुक युवाओं को स्वतंत्र और निष्पक्ष रिपोर्टिंग के लिए प्रशिक्षित किया जाए।
ग्रामीण इलाकों से स्थानीय संवाददाताओं का नेटवर्क बनाया जाए, जो जमीनी मुद्दों को सामने लाए।
4. पारंपरिक मीडिया के विकल्प खड़े करना
उत्तराखंड में वैकल्पिक मीडिया संस्थान खड़े किए जाएं, जो न केवल खबरें दें, बल्कि लोगों को मीडिया साक्षरता भी सिखाएं।
डोक्यूमेंट्री, पॉडकास्ट, ग्राउंड रिपोर्टिंग और डिजिटल कंटेंट पर अधिक ध्यान दिया जाए।
निष्कर्ष
यदि पत्रकारिता को जनता की आवाज़ बनाए रखना है, तो स्वतंत्र मीडिया प्लेटफॉर्म को मजबूत करना ही एकमात्र उपाय है। उत्तराखंड जैसे राज्य में जहां प्राकृतिक संसाधन, संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, वहां निष्पक्ष और जिम्मेदार मीडिया की जरूरत और भी ज्यादा है। 'Udaen News Network' इसी दिशा में एक अहम भूमिका निभा सकता है, बशर्ते इसे सही रणनीति और समर्थन मिले।
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