भारत मैं heat wave की चुनौती और उसका उत्तराखंड में असर
भारत में हीट वेव (Heat Wave) की चुनौती हर साल गंभीर होती जा रही है, और 2025 में भी गर्मी का असर पहले से अधिक तीव्र रहने की संभावना है। विशेष रूप से उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य, जो पहले अपेक्षाकृत ठंडे माने जाते थे, अब हीट वेव के असर से अछूते नहीं रहे।
भारत की तैयारी – Heat Waves के लिए:
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राष्ट्रीय और राज्य स्तर की योजनाएं:
- NDMA (National Disaster Management Authority) ने हीट वेव से निपटने के लिए गाइडलाइंस बनाई हैं।
- कई राज्य Heat Action Plans लागू कर रहे हैं – जैसे गुजरात और महाराष्ट्र की तर्ज पर।
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स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारी:
- अस्पतालों को अलर्ट पर रखा जाता है।
- एंबुलेंस, दवाइयों और बर्फ/ठंडा पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है।
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जन जागरूकता अभियान:
- लोगों को पर्याप्त पानी पीने, दोपहर में बाहर न निकलने और गर्मी से बचाव के उपायों के बारे में जागरूक किया जाता है।
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शहरी क्षेत्रों में Cooling Zones:
- शहरों में Shade Structures, Cooling Centers बनाने की योजना है।
उत्तराखंड में हीट वेव का असर:
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मैदानी क्षेत्र (जैसे कोटद्वार, हरिद्वार, ऋषिकेश):
- गर्मी का स्तर खतरनाक हो चुका है। तापमान 40°C पार कर जाता है।
- वृद्ध, बच्चे और श्रमिक सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
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पहाड़ी क्षेत्र:
- पहले अपेक्षाकृत ठंडे रहने वाले स्थान जैसे पौड़ी, श्रीनगर, बागेश्वर आदि में भी अब तापमान असामान्य रूप से बढ़ रहा है।
- इससे ग्लेशियर पिघलाव, जल स्रोतों का सूखना और बायोडायवर्सिटी पर असर हो सकता है।
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खेती और जल संकट:
- तापमान बढ़ने से फसलें खराब हो सकती हैं।
- प्राकृतिक जल स्रोत जैसे गदेरे, नाले सूख सकते हैं।
क्या किया जाना चाहिए उत्तराखंड में:
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हीट एक्शन प्लान का स्थानीयकरण:
- ज़िला और ब्लॉक स्तर पर Heat Wave Action Plans बनें, खासकर कोटद्वार, हरिद्वार जैसे मैदानी क्षेत्रों में।
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पानी के स्रोतों की सुरक्षा:
- जल संरक्षण, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग और पुराने स्रोतों का पुनर्जीवन जरूरी है।
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वनों का संरक्षण और वृक्षारोपण:
- गर्म हवाओं को रोकने के लिए हरियाली ज़रूरी है।
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गांवों में जागरूकता अभियान:
- कैसे गर्मी से बचें, क्या खाना चाहिए, कैसे शरीर को ठंडा रखें – इस पर ग्रामीणों को जानकारी देना जरूरी है।
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