मुंबई भिक्षावृत्ति निषेध अधिनियम, 1959 (The Bombay Prevention of Begging Act, 1959)
मुंबई भिक्षावृत्ति निषेध अधिनियम, 1959 (The Bombay Prevention of Begging Act, 1959) की धारा 5(5) एक उपधारा है जो किसी व्यक्ति को न्यायालय में प्रस्तुत करने या फिर विशेष परिस्थितियों में उसे पुनर्वास केंद्र भेजने से संबंधित होती है।
हालाँकि, इस अधिनियम की मूल धारा 5 संक्षेप में यह प्रावधान करती है कि यदि कोई व्यक्ति भिक्षा माँगते हुए पाया जाता है, तो पुलिस अधिकारी उसे गिरफ़्तार कर सकता है और उसे न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा। इसके बाद न्यायालय उसे भिक्षावृत्ति के अपराध में आरोपी मानते हुए पुनर्वास गृह (Certified Institution) भेज सकता है।
धारा 5(5) का आशय:
Section 5(5) प्रायः इस बात को स्पष्ट करता है कि जब किसी व्यक्ति को भिक्षा करते हुए पकड़ा गया हो और उसे न्यायालय में पेश किया जाए, तो यदि न्यायालय को लगता है कि यह व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ है या उसे विशेष देखभाल की आवश्यकता है, तो वह व्यक्ति को सीधे पुनर्वास या चिकित्सा केंद्र में भेज सकता है।
सरल भाषा में:
अगर कोई व्यक्ति भिक्षा मांगते हुए पकड़ा जाता है और वह मानसिक रूप से अस्वस्थ प्रतीत होता है, तो न्यायालय उसे जेल में भेजने की बजाय किसी उपयुक्त पुनर्वास केंद्र में भेज सकता है ताकि उसकी देखभाल की जा सके।
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