**बुद्धिमान** व्यक्ति वही होता है जो अपनी गलती को स्वीकार करता है, उससे सीखता है और खुद को बेहतर बनाता है। लेकिन **समझदार** वो कहलाता है जो न सिर्फ अपनी गलतियों से, बल्कि दूसरों की गलतियों से भी सीखकर उन्हें दोहराने से बचता है।


**बुद्धिमान** व्यक्ति वही होता है जो अपनी गलती को स्वीकार करता है, उससे सीखता है और खुद को बेहतर बनाता है।  

लेकिन **समझदार** वो कहलाता है जो न सिर्फ अपनी गलतियों से, बल्कि दूसरों की गलतियों से भी सीखकर उन्हें दोहराने से बचता है।  


समझदारी वहीं से शुरू होती है जहां हम अपने अनुभव के साथ दूसरों के अनुभव को भी ध्यान से सुनते हैं, समझते हैं और जीवन में उतारते हैं। यही जीवन की असली *प्रज्ञा* है।  



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