"यदि आप कॉकरोच को मारते हैं तो आप नायक हैं, यदि आप तितली को मारते हैं तो आप बुरे हैं। नैतिकता के सौंदर्य मानक होते हैं।"
"यदि आप कॉकरोच को मारते हैं तो आप नायक हैं, यदि आप तितली को मारते हैं तो आप बुरे हैं। नैतिकता के सौंदर्य मानक होते हैं।"
— यह फ्रेडरिक नीत्शे की सोच की गहराई को दर्शाता है, जिसमें वे मूल्य, नैतिकता और सौंदर्यबोध की सामाजिक व्याख्याओं पर प्रश्न उठाते हैं।
इस कथन का विश्लेषण:
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कॉकरोच और तितली यहाँ प्रतीक हैं —
- कॉकरोच को आमतौर पर घृणित, गंदगी फैलाने वाला जीव माना जाता है।
- तितली को सुंदरता, कोमलता और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है।
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जब कोई कॉकरोच मारता है, तो समाज उसे 'सफाई करने वाला', 'साहसी' या 'व्यवहारिक' मानता है।
लेकिन जब कोई तितली मारता है, तो वही समाज उसे निर्दयी, क्रूर या अजीब नजरों से देखता है।
👉 यहाँ नीत्शे यह बताना चाहते हैं कि हमारी नैतिकता अक्सर तर्क पर नहीं, बल्कि सौंदर्यबोध पर आधारित होती है।
जो सुंदर है, उसका मारा जाना अपराध है। जो कुरूप है, उसका मारा जाना वीरता है।
व्यापक सन्दर्भ में नीत्शे का संदेश:
- नीत्शे "परंपरागत नैतिकता" को चुनौती देते हैं।
- वे मानते हैं कि नैतिकता कोई अटल ईश्वरीय सत्य नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सौंदर्यबोध से प्रभावित होती है।
- यह कथन "मूल्य निरपेक्षता" (Moral Relativism) की ओर इशारा करता है — जहाँ अच्छाई-बुराई का मापदंड स्थायी नहीं होता।
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