"मेरा घर, मेरा सपना – इसे मत तोड़ो!"





🎯 मुख्य संदेश:

> “घर सिर्फ चार दीवारें नहीं, एक इंसान का सपना होता है। बिना वैकल्पिक व्यवस्था और न्यायपूर्ण प्रक्रिया के किसी का घर तोड़ना एक नैतिक और मानवीय अपराध है।”



📌 मांगें:

1. बिना नोटिस और पुनर्वास योजना के किसी भी घर को न तोड़ा जाए।


2. झुग्गी-झोपड़ी या अस्थायी आवासों के लिए वैकल्पिक घर या पुनर्वास अनिवार्य हो।


3. नगर निगमों, विकास प्राधिकरणों और प्रशासन की कार्यवाही में मानवीय दृष्टिकोण और पारदर्शिता लाई जाए।


4. पीड़ित परिवारों को मुआवज़ा, कानूनी सहायता और अस्थायी आवास दिया जाए।


5. न्यायिक निगरानी में पुनर्वास नीति की समीक्षा की जाए।



📢 नारे / स्लोगन:

“घर तोड़ना, इंसानियत तोड़ना है।”

“हर सपना बसाने दो, मत तोड़ो किसी का घर।”

“पुनर्वास के बिना बेदखली नहीं चलेगी।”

“न्याय दो – घर मत छीनो!”


📍 कैसे चलाएं अभियान:

सोशल मीडिया: #MeraGharMeraSapna

जमीनी स्तर पर: पर्चे, नुक्कड़ नाटक, हस्ताक्षर अभियान

RTI दायर करें: स्थानीय निकायों से बेदखली की नीति और आंकड़े माँगें

लोकल प्रेस: पीड़ित परिवारों की कहानियाँ प्रकाशित करें



---

⚖️ जनहित याचिका (Public Interest Litigation - PIL) का प्रारूप

(यह प्रारंभिक ड्राफ्ट है; किसी वकील की मदद से इसे अंतिम रूप दें)

🧾 शीर्षक:

माननीय उच्च न्यायालय, (राज्य नाम)
जनहित याचिका संख्या: ____/2025

🧑‍⚖️ याचिकाकर्ता:**

[आपका नाम / संस्था का नाम]
(पता, संपर्क, पहचान)

🙏 विषय:

बिना वैकल्पिक पुनर्वास और पूर्वसूचना के घरों / झुग्गियों को तोड़ना – संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और गरिमा का अधिकार) का उल्लंघन।

📚 मूल आधार:

1. यह कार्रवाई मानवाधिकारों और संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) के विरुद्ध है।


2. सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाई कोर्ट्स ने पूर्व में पुनर्वास के बिना बेदखली को असंवैधानिक ठहराया है (उदाहरण: Olga Tellis v. Bombay Municipal Corporation, 1985)।


3. किसी भी नागरिक का घर बिना वैकल्पिक व्यवस्था के गिराना असंवेदनशील और अवैध है।



🧾 प्रार्थना (Prayers):

1. राज्य सरकार को निर्देशित किया जाए कि बिना पुनर्वास नीति के किसी का घर न तोड़ा जाए।


2. प्रशासन को बाध्य किया जाए कि वे सभी कार्यवाहियों में पूर्व सूचना, सुनवाई का अवसर, पुनर्वास की योजना और मानवीय दृष्टिकोण अपनाएं।


3. जिनका घर तोड़ा गया है उन्हें उचित मुआवज़ा और पुनर्वास प्रदान किया जाए।


4. एक न्यायिक समिति गठित की जाए जो इस प्रकार की कार्रवाई की निगरानी करे।




---

Comments

Popular posts from this blog

उत्तराखंड का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) वित्तीय वर्ष 2024-25

कृषि व्यवसाय और ग्रामीण उद्यमिता विकास