आहार ही औषधि है"

"आहार ही औषधि है" — यह वाक्य न केवल एक प्राचीन भारतीय दर्शन को दर्शाता है, बल्कि एक गहन जीवनशैली का भी सार है। इसका अर्थ है कि अगर हम सही समय पर, संतुलित और शुद्ध भोजन करें, तो वही भोजन हमारी बीमारी की रोकथाम और उपचार का माध्यम बन सकता है। यह सिद्धांत आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा में विशेष रूप से महत्व रखता है।


🕉️ आयुर्वेद में "आहार ही औषधि"

चरक संहिता कहती है:
"नित्यं हिताहारविहारसेवी समिक्ष्यकारी विषयेष्वसक्तः।
दाता समः सत्यपरः क्षमावानाप्तोपसेवी च भवत्यरोगः॥”

अर्थात जो व्यक्ति उचित आहार, व्यवहार और दिनचर्या का पालन करता है, वह आरोग्यवान रहता है।


🌿 आहार को औषधि मानने के 5 प्रमुख कारण:

  1. रोगों की जड़ – गलत खानपान
    – मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा, पाचन संबंधी रोग – इन सभी की जड़ गलत आहार है।

  2. प्राकृतिक पोषण ही उपचार है
    – फल, सब्जियां, अनाज, जड़ी-बूटियां – ये सभी विटामिन, मिनरल्स, एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं।

  3. उपवास और पंचकर्म जैसे उपायों से शरीर को पुनः सक्रिय किया जा सकता है।

  4. खानपान में ऋतु, प्रकृति और स्थान का ध्यान
    – जैसे गर्मियों में तरल, ठंडे पदार्थ; सर्दियों में ऊष्मा देने वाले पदार्थ जैसे अदरक, गुड़।

  5. मन और शरीर का संबंध
    – सात्त्विक भोजन न केवल शरीर बल्कि मन को भी शुद्ध करता है।


✅ उदाहरण:

  • हल्दी वाला दूध (गोल्डन मिल्क) – सूजन, सर्दी-खांसी और नींद के लिए रामबाण।
  • आंवला – विटामिन C का स्रोत, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला।
  • तुलसी-शहद का सेवन – गले के संक्रमण और सर्दी में उपयोगी।

📜 आधुनिक विज्ञान भी सहमत:

  • Hippocrates (पश्चिम के आयुर्वेदाचार्य) ने कहा था:
    “Let food be thy medicine and medicine be thy food.”
    यानी “भोजन को ही अपनी औषधि बना लो।”

🔆 निष्कर्ष:

यदि आप शुद्ध, संतुलित, मौसमानुकूल और समयानुकूल भोजन करते हैं, तो आपको औषधियों की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। आहार ही आरोग्य का मूलमंत्र है।


✨ नारा:

"थाली से ही थैला खाली होगा!"
"आहार शुद्ध, तो विचार शुद्ध!"
"रसोई बने रामबाण, नहीं पड़े डॉक्टर का ध्यान!"


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