उत्तराखंड पंचायत चुनाव: विकास के वादों के बीच आडी, एसयूवी, शराब, बंदूकें और दो-दो वोटर कार्ड का खेल


उत्तराखंड पंचायत चुनाव: विकास के वादों के बीच आडी, एसयूवी, शराब, बंदूकें और दो-दो वोटर कार्ड का खेल

कोटद्वार/पौड़ी गढ़वाल।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव, जिन्हें ग्रामीण लोकतंत्र का सबसे पवित्र पर्व कहा जाता है, इस बार भी ताक़त, पैसे और जुगाड़ के प्रदर्शन से अछूते नहीं रहे। ग्राम प्रधान से लेकर क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत सदस्य पद के चुनावों में गांव-गांव जो दृश्य दिखे, उन्होंने विकास के नारों को पीछे छोड़ दिया।

चुनावी प्रचार में 'आडी' से लेकर कई लग्ज़री एसयूवी के काफ़िले दौड़े। शराब और पैसों का खुला खेल चला। कई जगह “समाजसेवकों” की कृपा से ग्रामीणों ने बंदूक, माउज़र और पिस्टल तक देख डालीं। लोकतंत्र के स्वयंभू “प्रहरी” अपहरण करने वाले गुंडों के साथ सड़कों पर उतरे, तो चुनावी भाषा भी शिष्टाचार की सारी सीमाएं तोड़ गई—मां-बहन की गालियां सार्वजनिक रूप से दी गईं।

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि कई जगह लोगों के पास दो-दो वोटर कार्ड देखने को मिले। ऐसे मतदाता न केवल चुनाव लड़ते पाए गए, बल्कि मैदान क्षेत्रों से वोट डालकर पहाड़ में भी वोट देने पहुंच गए।

कानूनी पहलू
यह खुला उल्लंघन उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम, 2016 (यथा संशोधित 2019) की धारा 9(6) और 9(7) का है:

धारा 9(6) – “कोई व्यक्ति यदि एक से अधिक ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत अथवा जिला पंचायत की मतदाता सूची में पंजीकृत है, तो वह पंचायत चुनाव में मतदान करने का पात्र नहीं होगा।”

धारा 9(7) – “कोई व्यक्ति यदि एक से अधिक स्थान पर मतदाता के रूप में पंजीकृत है, तो वह किसी भी स्तर पर पंचायत चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य होगा।”


ऐसे मामलों में मतदाता पंजीकरण रद्द, नामांकन निरस्त करने और भ्रष्ट आचरण के तहत आपराधिक कार्यवाही का प्रावधान है।

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह स्थिति लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है। एक ओर सरकार और चुनाव आयोग स्वच्छ और निष्पक्ष चुनाव की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी स्तर पर चुनावी आचार संहिता और कानून की धज्जियां उड़ती दिख रही हैं।

जागरूक नागरिकों की मांग है कि प्रशासन को दोहरे मतदाता पंजीकरण, हथियारों की नुमाइश, धनबल और बाहुबल के इस्तेमाल पर तत्काल सख़्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि पंचायत चुनाव वास्तव में जनता की सेवा और विकास के लिए हों, न कि ताक़त के प्रदर्शन और निजी हितों के लिए।




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