त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में **शराब, धनबल और बाहरी वोटरों की घुसपैठ**

 त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में **शराब, धनबल और बाहरी वोटरों की घुसपैठ** हो रही है, तो यह गाँव के लोकतंत्र के लिए गंभीर और बहुआयामी खतरा है।

यह खतरा सिर्फ चुनावी प्रक्रिया तक सीमित नहीं रहता, बल्कि आने वाले पाँच सालों के शासन, विकास और सामाजिक संरचना को भी बिगाड़ देता है।


---


## **कैसे यह लोकतंत्र के लिए खतरा है**


### 1. **जन-इच्छा का अपहरण**


* जब वोट शराब, पैसा या बाहरी दबाव से खरीदा जाता है, तो असली जन-इच्छा का प्रतिनिधित्व नहीं होता।

* जीतने वाला उम्मीदवार जनता की सेवा के बजाय उन ताकतों का ऋणी होता है, जिन्होंने उसे सत्ता दिलाई।


---


### 2. **ईमानदार उम्मीदवार हाशिये पर**


* शराब और धनबल के सामने ईमानदार, सामाजिक कार्य करने वाले लोग चुनाव में टिक नहीं पाते।

* इससे **ग्राम सभा और पंचायत की गुणवत्ता गिरती है**।


---


### 3. **गाँव में गुटबाज़ी और हिंसा**


* बाहरी वोटरों की घुसपैठ से गाँव में जातीय, क्षेत्रीय या राजनीतिक गुटबाज़ी बढ़ती है।

* चुनाव बाद बदले की राजनीति, धमकी और डर का माहौल बन सकता है।


---


### 4. **भ्रष्टाचार और संसाधनों की लूट**


* जो उम्मीदवार चुनाव में लाखों खर्च करता है, वह जीतने के बाद वही पैसा सरकारी योजनाओं के बजट से वसूलता है।

* नतीजा — विकास कार्यों में गुणवत्ता और पारदर्शिता खत्म।


---


### 5. **संवैधानिक भावना का हनन**


* पंचायत चुनाव का मूल उद्देश्य था *“ग्राम स्वराज और जन-भागीदारी”*।

* शराब, धनबल और फर्जी वोटिंग इन मूल सिद्धांतों को पूरी तरह खत्म कर देते हैं।


---


## **क्या किया जा सकता है**


1. **ग्राम सभा की सक्रिय निगरानी**


   * चुनाव से पहले मतदाता सूची की जाँच और बाहरी नाम हटाने की मांग।

2. **सोशल मीडिया और जन-जागरूकता अभियान**


   * “शराब और पैसे के बदले वोट न दें” पर गाँव स्तर पर संवाद।

3. **आचार संहिता उल्लंघन की शिकायत**


   * चुनाव आयोग और जिला प्रशासन को लिखित व फोटो/वीडियो सबूत के साथ शिकायत।

4. **युवाओं की भागीदारी**


   * बूथ स्तर पर निगरानी दल बनाना, जो बाहरी वोटरों और अवैध गतिविधियों को रोक सके।




Comments

Popular posts from this blog

उत्तराखंड का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) वित्तीय वर्ष 2024-25

कृषि व्यवसाय और ग्रामीण उद्यमिता विकास