इंसानियत की पहचान : एक रोटी गाय को, आधी रोटी कुत्ते को



इंसानियत की पहचान : एक रोटी गाय को, आधी रोटी कुत्ते को

भारतीय संस्कृति में गाय को हमेशा से “माँ” का दर्जा दिया गया है। घर के आँगन में बचा हुआ पहला ग्रास गाय के लिए निकालना परंपरा रही है। लेकिन इसके साथ-साथ एक और जीव हमारे आसपास चुपचाप रहता है – कुत्ता, जो वफ़ादारी और सुरक्षा का प्रतीक है।

आज जब सड़कों पर लाखों आवारा कुत्ते भोजन की तलाश में भटकते हैं, तो यह सोचने का समय है कि क्या हमारी करुणा केवल गाय तक सीमित रहनी चाहिए? क्यों न हम अपने संस्कारों का विस्तार करें –

👉 एक रोटी गाय को, आधी रोटी कुत्ते को।

यह केवल खाना खिलाना नहीं है, बल्कि एक संदेश है –

  • समानता का : हर जीव भोजन और दया का हक़दार है।
  • सहअस्तित्व का : प्रकृति तभी संतुलित रहती है जब हर प्राणी का ध्यान रखा जाए।
  • इंसानियत का : भूखे को खिलाना सबसे बड़ा धर्म है, चाहे वह गाय हो या कुत्ता।

निष्कर्ष

अगर हर घर में यह छोटा-सा नियम बन जाए कि एक रोटी गाय के लिए और आधी रोटी कुत्ते के लिए रखी जाएगी, तो न केवल हमारी सड़कों पर आवारा जानवर भूखे नहीं मरेंगे, बल्कि समाज में करुणा और इंसानियत भी मज़बूत होगी।


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