"जनता ही असली ताकत है" – भाषण मसौदा



"जनता ही असली ताकत है" – भाषण मसौदा

प्रिय साथियो,
आज हम ऐसे समय में खड़े हैं जब नेता और जनता के बीच की दूरी बढ़ती जा रही है।
कभी नेता हमारे बीच रहते थे, हमारे सुख-दुख में साझेदार बनते थे।
लेकिन अब? नेता आलीशान गाड़ियों में चलते हैं, सुरक्षा घेरे में रहते हैं और जनता से सिर्फ वोट लेने आते हैं।
जनता के मुद्दे? — रोजगार, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य — ये सब उनके भाषणों तक सीमित रह गए हैं।

सवाल ये है कि गलती किसकी है?
नेताओं की? या हमारी?
हमने ही उन्हें ये ताकत दी कि वे चुनाव जीतकर हमें भूल जाएं।
हम वोट देते समय मुद्दों पर नहीं, बल्कि जाति, धर्म, नोट और प्रचार के शोर में फंस जाते हैं।

पर साथियो, लोकतंत्र में असली ताकत जनता के पास है!
जब हम सवाल पूछेंगे –
“पाँच साल में आपने क्या किया?”
जब हम वादा मांगेंगे –
“रोज़गार कब देंगे? पानी और सड़क कब देंगे?”
और जब हम वोट मुद्दों पर डालेंगे –
तब कोई भी नेता जनता से दूर नहीं भाग पाएगा।

बदलाव आसान नहीं है, लेकिन असंभव भी नहीं है।
स्थानीय स्तर पर आवाज़ उठाइए, संगठित होइए, अपने अधिकार मांगिए।
नेता वही असली होगा, जो जनता के बीच रहेगा और आपके लिए लड़ेगा।

आइए संकल्प लें:
– हम वोट सिर्फ मुद्दों पर देंगे।
– हम अपने नेता से हिसाब मांगेंगे।
– हम अपनी ताकत पहचानेंगे और उसका इस्तेमाल करेंगे।

याद रखिए,
"जो जनता को जवाबदेह नहीं बनाता, वो लोकतंत्र को कमजोर करता है।"
अब समय है जागने का, सवाल पूछने का और असली बदलाव लाने का।

जय हिंद, जय जनता!



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