उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में "वर्क फ्रॉम विलेज" (वर्क फ्रॉम विलेज या डिजिटल नोमैड विलेज) मॉडल को लागू करने की योजना बनाई है।
उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में "वर्क फ्रॉम विलेज" (वर्क फ्रॉम विलेज या डिजिटल नोमैड विलेज) मॉडल को लागू करने की योजना बनाई है।
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क्या है यह पहल?
पायलट प्रोजेक्ट: देहरादून और हल्द्वानी के आसपास के दो गांवों को डिजिटल नोमैड विलेज के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है, जहाँ दूर से काम (work-from-village) करने वाले पेशेवर सुगमता से रह सकेंगे और काम कर सकेंगे ।
मॉडल का संदर्भ: इस योजना का मॉडल सिक्किम के याकटेन गांव पर आधारित है, जिसे भारत का पहला डिजिटल नोमैड विलेज माना गया है ।
सरकारी दृष्टिकोण: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पहल को पलायन रोकने और ग्रामीण आर्थिक सशक्तिकरण के तहत शुरू करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं ।
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बुनियादी सुविधाएँ और योजना की रूपरेखा:
डिजिटल व बुनियादी इन्फ्रास्ट्रक्चर: हाई-स्पीड इंटरनेट, वाई-फाई, बेहतर सड़क संपर्क, बिजली, पानी, और ड्रेनेज जैसी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएंगी ।
होमस्टे और स्थानीय रोजगार: स्थानीय होमस्टे (stay-at-home) मॉडल को बढ़ावा दिया जाएगा—ग्रामीणों के लिए यह अतिरिक्त आय का स्रोत बन सकता है, और पर्यटकों को आरामदायक व स्थानीय संस्कृति का अनुभव भी मिलेगा ।
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उदेश्य और लक्ष्य:
पलायन रोकना: ग्रामीण क्षेत्रों से कामगारों के पलायन को रोकने में यह मॉडल सहायक हो सकता है—लोगों को अपने गांवों में ही प्रवासी-आधारित रोजगार उपलब्ध कराया जा सकेगा ।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल: पर्यटन और डिजिटल रोजगार के माध्यम से ग्रामीण समुदायों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी ।
विस्तार की संभावनाएँ: पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इसे अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में भी बढ़ाने का प्लान है ।
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सारांश तालिका (पाइथ सारांश)
पहलु विवरण
स्थल देहरादून और हल्द्वानी के पास दो पैलट गांव
मॉडल सिक्किम (याकटेन गांव) प्रेरित
फायदे डिजिटल सुविधा, होमस्टे, पलायन नियंत्रण, ग्रामीण रोजगार
लक्ष्य ग्रामीण पुनरुद्धार और आर्थिक सशक्तिकरण
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