क्या ग्राम पंचायेतें जब चुन कर आती है और वो संस्थाओं के प्रति इमानदार नहीं है तो क्या वो ग्राम सभाओं के लिए खतरा है ?

 हाँ, बिल्कुल।

अगर ग्राम पंचायतें चुनाव के बाद संस्थाओं (सरकारी योजनाओं, ग्राम विकास समिति, सहकारी समितियों, स्वयं सहायता समूहों, आदि) के प्रति ईमानदार नहीं हैं, तो यह सीधे-सीधे **ग्राम सभाओं के लोकतांत्रिक ढाँचे और उनके अधिकारों के लिए खतरा** बन जाती हैं।


इसका कारण और असर कुछ इस तरह समझिए —


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### 1. **ग्राम सभा की शक्ति कमजोर होना**


* **ग्राम सभा** गाँव की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली इकाई है, लेकिन अगर चुनी हुई पंचायत अपने हित या बाहरी दबाव में काम करे, तो वह ग्राम सभा के निर्णयों की अनदेखी करती है।

* इससे ग्राम सभा महज़ “औपचारिक बैठक” बनकर रह जाती है और वास्तविक निर्णय कहीं और से होने लगते हैं।


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### 2. **विकास योजनाओं में भ्रष्टाचार**


* संस्थाओं के प्रति ईमानदारी न होने का मतलब है कि योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही खत्म हो जाती है।

* नतीजा — बजट का दुरुपयोग, अधूरे या घटिया काम, और लाभ केवल चुनिंदा लोगों को।


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### 3. **सामुदायिक एकता में दरार**


* जब पंचायत पक्षपात या निजी लाभ के लिए काम करती है, तो गाँव के समूहों में आपसी अविश्वास और गुटबाज़ी बढ़ती है।

* ग्राम सभा की बैठकों में माहौल तनावपूर्ण हो जाता है और सामूहिक निर्णय संभव नहीं रहते।


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### 4. **कानूनी और संवैधानिक खतरा**


* 73वें संविधान संशोधन के तहत ग्राम सभा और पंचायतें **जन-भागीदारी व पारदर्शिता** के लिए हैं।

* यदि पंचायत इन मूल सिद्धांतों को तोड़े, तो यह **संवैधानिक भावना के खिलाफ** होता है और ग्राम स्वराज की अवधारणा कमजोर पड़ती है।


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### 5. **दीर्घकालिक असर**


* युवाओं और ग्रामीणों का लोकतंत्र से भरोसा उठने लगता है।

* ग्रामीण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, सहकारी विकास और सामाजिक पूंजी घटने लगती है।

* बाहरी ठेकेदार, राजनैतिक दल और बिचौलिये गाँव के संसाधनों पर हावी हो जाते हैं।


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📌 **निष्कर्ष**

हाँ, अगर ग्राम पंचायत ईमानदार नहीं है तो वह ग्राम सभा के लिए **सबसे बड़ा खतरा** बन जाती है, क्योंकि ग्राम सभा की असली ताकत **ईमानदारी, पारदर्शिता और जन-भागीदारी** पर टिकी है।

ऐसी स्थिति में ग्राम सभा को अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए —


* पंचायत से जवाब मांगना,

* सोशल ऑडिट कराना,

* और आवश्यक होने पर जिला प्रशासन को लिखित शिकायत देना —

  जैसे कदम उठाने चाहिए।


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