यदि एक बालिग महिला और पुरुष अपनी स्वेच्छा से किसी निजी स्थान (जैसे होटल, लॉज, अपार्टमेंट, या किराए के कमरे) में रह रहे हैं, तो भारतीय कानून के तहत यह कोई अपराध नहीं है
यदि एक बालिग महिला और पुरुष अपनी स्वेच्छा से किसी निजी स्थान (जैसे होटल, लॉज, अपार्टमेंट, या किराए के कमरे) में रह रहे हैं, तो भारतीय कानून के तहत यह कोई अपराध नहीं है, और पुलिस को सामान्य रूप से इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं होता। हालांकि, कुछ परिस्थितियों में पुलिस निम्नलिखित कानूनों के तहत कार्रवाई कर सकती है:
1. अनैतिक व्यापार (निरोध) अधिनियम, 1956 (ITPA)
यदि पुलिस को संदेह हो कि कोई होटल, लॉज या किराए का स्थान वेश्यावृत्ति (prostitution) या अनैतिक व्यापार के लिए उपयोग किया जा रहा है, तो वे जांच कर सकते हैं।
लेकिन यदि दो बालिग व्यक्ति आपसी सहमति से वहां रह रहे हैं, तो पुलिस इस अधिनियम के तहत कार्रवाई नहीं कर सकती।
2. सार्वजनिक स्थानों पर अश्लीलता (IPC धारा 294)
यदि कोई जोड़ा सार्वजनिक स्थान पर आपत्तिजनक हरकतें (Obscene Acts) कर रहा हो, तो पुलिस IPC की धारा 294 के तहत कार्रवाई कर सकती है।
लेकिन निजी स्थान (Private Place) में ऐसा करने पर यह धारा लागू नहीं होती।
3. अवैध तस्करी और संदिग्ध गतिविधियों पर जांच (धारा 370 IPC - मानव तस्करी और यौन शोषण रोकथाम)
यदि पुलिस को संदेह हो कि किसी महिला को बलपूर्वक बंधक बनाया गया है या तस्करी की गई है, तो वे जांच कर सकते हैं।
लेकिन यदि महिला स्वेच्छा से वहां रह रही है, तो यह धारा लागू नहीं होती।
4. होटल और लॉज में पुलिस रेड (Police Raid on Hotels & Lodges)
कई बार पुलिस किसी विशेष अभियान के तहत होटल और लॉज में छापेमारी करती है, लेकिन यदि कोई अवैध गतिविधि नहीं हो रही है, तो यह कानूनी रूप से अनुचित है।
2015 के मुंबई होटल रेड केस में बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई को अवैध बताया और कहा कि व्यस्क जोड़ों का होटल में ठहरना अपराध नहीं है।
संविधानिक अधिकार:
अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत, किसी भी बालिग व्यक्ति को अपनी मर्जी से रहने और संबंध बनाने की स्वतंत्रता है।
निष्कर्ष:
यदि दो बालिग व्यक्ति आपसी सहमति से किसी कमरे में रह रहे हैं, तो पुलिस किसी भी भारतीय कानून के तहत उन पर कार्रवाई नहीं कर सकती।
यदि पुलिस जबरन हस्तक्षेप करती है, तो व्यक्ति अपने मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) के उल्लंघन के आधार पर उच्च अधिकारियों या अदालत में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
Comments
Post a Comment