उत्तराखंड में नगर आयुक्त (Municipal Commissioner) की शक्तियाँ और अधिकार
उत्तराखंड में नगर आयुक्त एक IAS या वरिष्ठ PCS अधिकारी होता है, जिसे राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। नगर आयुक्त के पास नगर निगम का वास्तविक प्रशासनिक नियंत्रण होता है और यह कार्यकारी प्रमुख (Executive Head) के रूप में कार्य करता है। मेयर केवल एक निर्वाचित प्रतिनिधि होते हैं, जबकि नगर आयुक्त प्रशासनिक निर्णयों के लिए जिम्मेदार होते हैं।
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नगर आयुक्त की प्रमुख शक्तियाँ और अधिकार
1. प्रशासनिक शक्तियाँ
नगर निगम का प्रमुख कार्यकारी अधिकारी होता है और नगर निगम के सभी विभागों पर उसका नियंत्रण होता है।
नगर निगम कर्मचारियों की नियुक्ति, स्थानांतरण और अनुशासनिक कार्यवाही का अधिकार होता है।
नगर निगम की बैठकों में निर्णयों को लागू करने की जिम्मेदारी होती है।
राज्य सरकार की योजनाओं का कार्यान्वयन करता है, जैसे स्मार्ट सिटी परियोजनाएँ, स्वच्छ भारत मिशन, आदि।
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2. वित्तीय शक्तियाँ
नगर निगम के बजट का प्रशासन और वित्तीय निर्णयों पर अंतिम अधिकार रखता है।
नगर निगम के लिए राजस्व संग्रहण की निगरानी करता है, जैसे संपत्ति कर, जल कर, मनोरंजन कर आदि।
नगर निगम की संपत्तियों और संसाधनों का प्रबंधन करता है।
विभिन्न विकास योजनाओं और नगर निगम द्वारा लिए गए ऋणों को मंजूरी देता है।
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3. विधायी और नीतिगत शक्तियाँ
नगर निगम परिषद (Council) की बैठकों में भाग ले सकता है और अपनी राय प्रस्तुत कर सकता है।
नगर निगम की योजनाओं, नीतियों और प्रस्तावों को अंतिम रूप देने में भूमिका निभाता है।
नगर निगम अधिनियम और नियमों के तहत बनाए गए सभी उपनियमों को लागू कर सकता है।
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4. विकास एवं नगर नियोजन से जुड़ी शक्तियाँ
शहर के विकास के लिए नीतियाँ बनाता है और उन्हें लागू करता है।
सड़क निर्माण, जल निकासी, स्ट्रीट लाइटिंग, स्वच्छता और अन्य नागरिक सुविधाओं की निगरानी करता है।
शहरी योजनाओं को लागू करने के लिए आवश्यक भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास योजनाएँ तैयार करता है।
नगर निगम के तहत आने वाली सरकारी भूमि और भवनों का प्रशासन करता है।
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5. कानून और व्यवस्था संबंधी शक्तियाँ
नगर निगम क्षेत्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता, और सुरक्षा के मामलों को नियंत्रित करता है।
नगर पुलिस और जिला प्रशासन के साथ समन्वय करता है, लेकिन उसके पास पुलिस बल पर सीधा नियंत्रण नहीं होता।
अवैध निर्माणों और अतिक्रमण को हटाने का अधिकार रखता है।
शहर में सफाई व्यवस्था और कचरा प्रबंधन की निगरानी करता है।
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6. आपदा प्रबंधन और आपातकालीन शक्तियाँ
बाढ़, भूकंप, महामारी और अन्य आपदाओं के दौरान राहत कार्यों का नेतृत्व करता है।
नगर निगम क्षेत्र में आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए विशेष आदेश जारी कर सकता है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों (जैसे डेंगू, स्वाइन फ्लू, COVID-19) के दौरान आवश्यक कदम उठाने का अधिकार होता है।
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7. न्यायिक और दंडात्मक शक्तियाँ
नगर निगम अधिनियम के उल्लंघन पर दंड लगा सकता है।
अवैध निर्माण, अतिक्रमण, प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों, गंदगी फैलाने वालों, तथा नियमों का पालन न करने वालों पर कार्रवाई कर सकता है।
स्वास्थ्य, पर्यावरण और शहरी नियोजन से संबंधित अपराधों पर जुर्माना लगा सकता है।
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नगर आयुक्त बनाम मेयर – मुख्य अंतर
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निष्कर्ष
कोटद्वार में नगर आयुक्त ही नगर निगम का वास्तविक प्रमुख होता है।
मेयर की भूमिका केवल राजनीतिक और सांकेतिक होती है।
नगर आयुक्त प्रशासनिक, वित्तीय, विकास, कानून-व्यवस्था और आपदा प्रबंधन से जुड़े सभी कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है।
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