भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर कुछ प्रावधान शामिल किए गए हैं ।

भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर कुछ प्रावधान शामिल किए गए हैं, लेकिन अभी तक विशेष रूप से पत्रकारों की रक्षा के लिए कोई अलग धारा या कानून नहीं बनाया गया है। हालांकि, कुछ धाराएँ अप्रत्यक्ष रूप से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं।


---

1. पत्रकारों के खिलाफ हिंसा पर कड़े कानून

नए कानून में पत्रकारों पर हमले, धमकी, और उत्पीड़न के खिलाफ सख्त प्रावधान किए गए हैं:

(A) सार्वजनिक सेवकों पर हमले की तरह पत्रकारों की सुरक्षा

BNS धारा 195(1)(A) – यदि कोई व्यक्ति पुलिस, सरकारी अधिकारी या न्यायाधीश पर हमला करता है, तो उसे 5 से 10 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।

इसी तर्ज पर, कई राज्यों (महाराष्ट्र, कर्नाटक) ने पत्रकारों को सार्वजनिक सेवकों के समान सुरक्षा देने की माँग की है।


(B) पत्रकारों पर हमले के लिए कठोर सजा

BNS धारा 111(2) – किसी व्यक्ति को उसकी रिपोर्टिंग के कारण धमकी देना या शारीरिक रूप से नुकसान पहुँचाना अपराध होगा, जिसमें 3 से 7 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।


(C) संगठित अपराध और मॉब लिंचिंग के खिलाफ कार्रवाई

BNS धारा 106 और 107 – यदि कोई भीड़ (mob) किसी पत्रकार पर हमला करती है, तो इसमें कठोर सजा का प्रावधान है, जिसमें आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक हो सकता है।



---

2. मानहानि और गलत मुकदमों से सुरक्षा

BNS धारा 354 – यदि कोई व्यक्ति पत्रकार पर झूठा यौन शोषण या उत्पीड़न का आरोप लगाता है, तो इसके लिए सजा का प्रावधान है।

मानहानि कानून (Defamation Law) BNS धारा 357 – अगर कोई पत्रकार सरकार या किसी नेता के खिलाफ रिपोर्टिंग करता है और बदले में उस पर झूठा मानहानि केस किया जाता है, तो उसे कानूनी सुरक्षा मिल सकती है।



---

3. फेक न्यूज और पत्रकारिता की स्वतंत्रता

BNS धारा 166(4) – सरकार या किसी अधिकारी द्वारा गलत सूचना फैलाने पर सजा का प्रावधान है।

हालांकि, अगर कोई पत्रकार झूठी खबर फैलाता है, तो उस पर भी कार्रवाई हो सकती है।



---

4. सूचना तक पहुँच और व्हिसलब्लोअर संरक्षण

RTI कानून, 2005 (संशोधित प्रावधान) – पत्रकारों को सरकारी रिकॉर्ड तक पहुँचने का अधिकार मिलता है।

व्हिसलब्लोअर संरक्षण कानून, 2014 – यदि कोई पत्रकार भ्रष्टाचार उजागर करता है, तो उसे सुरक्षा दी जा सकती है।



---

5. यदि किसी पत्रकार को धमकी मिले तो क्या करें?

स्थानीय पुलिस में FIR दर्ज कराएं (धारा 111(2), 106, 195 के तहत)।

राज्य मानवाधिकार आयोग या प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में शिकायत करें।

उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करें।



---

निष्कर्ष

हालांकि भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कोई सीधे विशेष प्रावधान नहीं हैं, लेकिन हमले, धमकी, मॉब लिंचिंग और गलत मुकदमों से बचाने के लिए कई धाराएँ लागू हो सकती हैं। पत्रकारों की स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अभी और कड़े कानूनों की जरूरत है।


Comments

Popular posts from this blog

उत्तराखंड का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) वित्तीय वर्ष 2024-25

कृषि व्यवसाय और ग्रामीण उद्यमिता विकास