उत्तराखंड में नगर आयुक्त की भूमि से संबंधित शक्तियाँ और अधिकार
नगर आयुक्त के पास शहरी भूमि प्रबंधन, अतिक्रमण हटाने, भूमि अधिग्रहण, संपत्ति कर, तथा भूमि उपयोग परिवर्तन से जुड़े कई अधिकार होते हैं। उत्तराखंड नगर निगम अधिनियम और राज्य सरकार के शहरी विकास विभाग के निर्देशों के तहत ये शक्तियाँ दी गई हैं।
1. नगर निगम की भूमि का प्रशासन और प्रबंधन
- नगर निगम के अंतर्गत आने वाली सरकारी भूमि और संपत्तियों का प्रशासन नगर आयुक्त के अधिकार क्षेत्र में आता है।
- नगर निगम की जमीन को किराए पर देना, पट्टे पर देना या उपयोग में लाना नगर आयुक्त की मंजूरी से होता है।
- नगर निगम के उपयोग के लिए सार्वजनिक पार्क, सामुदायिक केंद्र, मार्केट कॉम्प्लेक्स, और सरकारी इमारतों का निर्माण कराने का अधिकार होता है।
2. अतिक्रमण हटाने और अवैध निर्माण पर कार्रवाई
- नगर आयुक्त अवैध कब्जों (Encroachment) को हटाने के लिए अभियान चला सकता है।
- गैर-कानूनी निर्माणों को ध्वस्त (Demolition) करने का आदेश दे सकता है।
- सड़क किनारे, फुटपाथ, सरकारी भूमि पर अनधिकृत कब्जों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।
- अतिक्रमण करने वालों पर जुर्माना और कानूनी कार्यवाही कर सकता है।
3. भूमि अधिग्रहण (Land Acquisition)
- यदि नगर निगम को किसी विकास कार्य (सड़क, ड्रेनेज, पार्क, अस्पताल आदि) के लिए निजी भूमि की आवश्यकता होती है, तो नगर आयुक्त राज्य सरकार के माध्यम से भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के तहत भूमि का अधिग्रहण कर सकता है।
- भूमि अधिग्रहण के लिए मुआवजे और पुनर्वास योजना तैयार करनी होती है।
4. संपत्ति कर (Property Tax) वसूली और नियंत्रण
- नगर निगम के तहत आने वाली सभी संपत्तियों पर टैक्स लगाने और वसूलने का अधिकार नगर आयुक्त के पास होता है।
- भवनों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, खाली प्लॉट्स पर संपत्ति कर लगाने और उसका निर्धारण करने का अधिकार होता है।
- यदि कोई व्यक्ति संपत्ति कर का भुगतान नहीं करता, तो नगर आयुक्त उसकी संपत्ति जब्त (Seize) कर सकता है या उसे नीलाम करने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है।
5. भूमि उपयोग परिवर्तन (Land Use Change)
- किसी भी भूमि का उपयोग बदलने (जैसे कृषि भूमि को आवासीय या व्यावसायिक में बदलने) के लिए नगर आयुक्त की अनुमति आवश्यक होती है।
- भूमि उपयोग परिवर्तन के लिए शहरी विकास प्राधिकरण या राज्य सरकार से अनुमोदन लेना आवश्यक होता है।
- अवैध रूप से भूमि उपयोग बदलने वालों के खिलाफ कार्रवाई और जुर्माना लगाया जा सकता है।
6. अवैध कॉलोनियों और अनधिकृत निर्माणों पर कार्रवाई
- बिना अनुमति बनी कॉलोनियों (Unauthorized Colonies) को वैध (Regularize) करने या हटाने का अधिकार होता है।
- यदि कोई व्यक्ति बिना नक्शा पास कराए इमारत बनाता है, तो नगर आयुक्त उसे अवैध घोषित कर सकता है और गिराने का आदेश दे सकता है।
- नगर निगम की जमीन पर अवैध कब्जों (Encroachment) के खिलाफ नोटिस जारी करने और अतिक्रमण हटाने का आदेश देने का अधिकार होता है।
7. नगर निगम के विकास कार्यों में भूमि उपयोग
- नगर आयुक्त शहरी विकास योजनाओं के लिए भूखंड चिन्हित करता है और परियोजनाओं के लिए भूमि आवंटित करता है।
- नगर निगम के द्वारा बनाए जाने वाले सड़क, पुल, बस स्टैंड, अस्पताल, स्कूल, पार्क, ड्रेनेज सिस्टम आदि के लिए भूमि अधिग्रहण और विकास की योजना तैयार करता है।
- सरकारी भूमि का व्यावसायिक उपयोग (जैसे - नगर निगम की जमीन पर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, बाजार, और मल्टीलेवल पार्किंग) के लिए नीति बनाता है।
8. भूमि से जुड़े विवादों का समाधान
- यदि नगर निगम की जमीन पर कोई विवाद होता है, तो नगर आयुक्त विधि (Legal) और नगर निगम अधिनियम के तहत उसका निपटारा करता है।
- नगर आयुक्त कानूनी सलाह लेकर राज्य सरकार, राजस्व विभाग, और अदालतों के माध्यम से समाधान निकाल सकता है।
- नगर निगम द्वारा दी गई भूमि पट्टा (Lease) को रद्द करने का अधिकार भी नगर आयुक्त के पास होता है।
निष्कर्ष
➤ नगर आयुक्त के पास भूमि से जुड़े सभी प्रशासनिक, कराधान, अतिक्रमण हटाने और भूमि उपयोग परिवर्तन से जुड़े अधिकार होते हैं।
➤ नगर निगम की संपत्तियों का प्रबंधन, नए भूमि अधिग्रहण, और शहरी विकास परियोजनाओं में भूमि उपयोग की योजना बनाने का अधिकार भी होता है।
➤ लेकिन निजी भूमि के अधिग्रहण के लिए नगर आयुक्त को राज्य सरकार और शहरी विकास प्राधिकरण की मंजूरी लेनी पड़ती है।
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