**नेशनल मिशन फॉर ग्रीन इंडिया (Green India Mission - GIM)**

 **नेशनल मिशन फॉर ग्रीन इंडिया (Green India Mission - GIM)** भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिसे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और देश में हरित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए **2014** में लॉन्च किया गया था। यह मिशन राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना (National Action Plan on Climate Change - NAPCC) के आठ प्रमुख मिशनों में से एक है।  


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## **मुख्य उद्देश्य:**

1. **वन क्षेत्र और हरित आवरण में वृद्धि** – पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने और जैव विविधता को बनाए रखने के लिए वन क्षेत्र को बढ़ाना।  

2. **वन-आश्रित समुदायों की आजीविका में सुधार** – स्थानीय समुदायों को वनीकरण कार्यक्रमों में शामिल करना और उनकी आजीविका को बेहतर बनाना।  

3. **पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का पुनर्स्थापन** – जल संरक्षण, भू-क्षरण नियंत्रण, जैव विविधता संरक्षण और कार्बन पृथक्करण (Carbon Sequestration) को बढ़ावा देना।  

4. **जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन में सुधार** – जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए वन और हरित क्षेत्रों का संरक्षण एवं पुनर्जीवन।  


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## **मुख्य विशेषताएँ:**

- **10 मिलियन हेक्टेयर** क्षेत्र में वनों की बहाली का लक्ष्य।  

- **स्थानीय समुदायों की भागीदारी** सुनिश्चित करने के लिए **ग्रामीण पंचायतों, वन प्रबंधन समितियों और स्वयंसेवी संगठनों** की भागीदारी।  

- वनीकरण के साथ-साथ **बांस, औषधीय पौधों और कृषि वानिकी** को भी बढ़ावा दिया जाता है।  

- जल स्रोतों का संरक्षण और बेहतर जल आपूर्ति के लिए **वेटलैंड पुनर्जीवन**।  


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## **बजट और वित्त पोषण:**

- यह मिशन केंद्र और राज्य सरकारों के **संयुक्त वित्त पोषण** से संचालित होता है।  

- वित्तीय सहायता को **CAMPA (Compensatory Afforestation Fund), MGNREGA और अन्य योजनाओं** के साथ जोड़ा जाता है।  


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## **अब तक की प्रगति:**

- कई राज्यों में **वनारोपण परियोजनाएँ** चलाई जा रही हैं, जैसे उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड आदि।  

- विभिन्न क्षेत्रों में **स्थानीय पौधों और जैव विविधता संरक्षण** पर ध्यान दिया गया है।  


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### **सिद्धपुर और कोटद्वार में GIM का संभावित उपयोग**  

आप सिद्धपुर गाँव और कोटद्वार में इस योजना के तहत **सामुदायिक वनीकरण, जल स्रोत संरक्षण और कार्बन क्रेडिट बढ़ाने के लिए** GIM के अनुदान और तकनीकी सहायता का लाभ उठा सकते हैं। इसके लिए राज्य वन विभाग और स्थानीय पंचायतों के सहयोग से परियोजनाएँ बनाई जा सकती हैं।  



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