बहिष्कार घूसखोरों का"

"

घूसखोरी का जाल बिछाकर, सत्ता में जो इतराते हैं,
जनता के हक को लूट-लूट कर, महल सजाने जाते हैं।
उनके हाथों में न्याय बिका है, सेवा की ना पहचान,
पैसे की ताकत को समझे, बस रिश्वत का है अभिमान।

(1) जनता का आह्वान

चलो मिलकर शंख बजाएँ, अन्याय से लड़ जाएँ,
जो रिश्वत ले, जो घूस माँगे, उसे सबक सिखाएँ।
न देंगे हम न्योता उनको, न उनका मान करेंगे,
भ्रष्टाचारी जहाँ मिलेगा, वहीं विरोध जगेगा।

(2) समाज की ताकत

जब समाज करेगा बहिष्कार, हर घर से आवाज उठेगी,
ईमानदारी का दीप जलाकर, नई रोशनी फूटेगी।
नहीं झुकेंगे, नहीं डरेंगे, सत्य का संग निभाएँगे,
भ्रष्टाचार के इस अंधकार को, मिलकर दूर भगाएँगे।

(3) ईमानदारी का सम्मान

जो अधिकारी सच का साथी, उसका मान बढ़ाएँ,
ईमानदार कर्मयोगियों को, माला पहनाएँ।
सत्य की राह पर चलने वालों का, सम्मान करें,
और जो रिश्वत के भूखे, उनको अपमान करें।

(4) परिवर्तन की लहर

एक-एक कर जब उठेंगे, सब भ्रष्टाचार मिटाएँगे,
अपने हक की लड़ाई लड़कर, न्याय नया बनाएँगे।
आज अगर हम चुप रहेंगे, कल हाल और बुरा होगा,
इसलिए सत्य का साथ दो, अब जागना ज़रूरी होगा।

✍️ शिक्षा:
"जो रिश्वत ले, जो घूस माँगे, उसका साथ न दो,
ईमानदारी की मशाल जलाकर, अंधकार से लड़ो!"


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