जल जंगल जमीन और जानवर पर किसका हक़ ?
**जल, जंगल, जमीन और जानवर**—ये चारों प्रकृति के मूल संसाधन हैं, जिन पर हर जीव का समान अधिकार होना चाहिए। लेकिन ऐतिहासिक और कानूनी दृष्टि से देखें तो इन पर अलग-अलग दावे किए जाते हैं:
### 1. **संवैधानिक और कानूनी अधिकार**
- **सरकार का अधिकार**: भारतीय संविधान के अनुसार, जल, जंगल और जमीन पर मुख्य रूप से सरकार का नियंत्रण होता है। वन विभाग, जल संसाधन विभाग, और राजस्व विभाग इनके प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होते हैं।
- **आदिवासी और वनवासी समुदायों का अधिकार**: **वन अधिकार अधिनियम, 2006** के तहत, पारंपरिक रूप से जंगलों में रहने वाले लोगों को जंगलों पर सामुदायिक और व्यक्तिगत अधिकार दिए गए हैं।
- **किसानों और स्थानीय लोगों का अधिकार**: जमीन का स्वामित्व व्यक्तिगत, सामुदायिक या सरकारी हो सकता है। भूमि सुधार कानूनों के तहत किसानों को जमीन के स्वामित्व का अधिकार दिया गया है।
- **जल संसाधन**: जल पर राज्य सरकारों का अधिकार होता है, लेकिन नागरिकों को पानी के उपयोग का अधिकार है। नदी और झीलें सार्वजनिक संपत्ति मानी जाती हैं।
### 2. **पारंपरिक और सामाजिक अधिकार**
- पारंपरिक समाजों में जल, जंगल और जमीन को सामुदायिक संपत्ति माना जाता था। गाँवों में यह पंचायती या ग्राम सभा के नियंत्रण में रहते थे।
- आदिवासी समुदायों में जंगल और जीवों का संरक्षण उनकी संस्कृति और परंपराओं का हिस्सा रहा है।
### 3. **प्राकृतिक और नैतिक दृष्टिकोण**
- पृथ्वी पर जल, जंगल, जमीन और जानवर किसी एक समुदाय या सरकार की निजी संपत्ति नहीं हो सकते। ये संपूर्ण जीव जगत के साझा संसाधन हैं।
- गांधीजी ने ‘ट्रस्टीशिप’ का सिद्धांत दिया था, जिसके अनुसार मनुष्य को इन संसाधनों का उपयोग एक ट्रस्टी की तरह करना चाहिए, न कि मालिक की तरह।
### 4. **वर्तमान परिप्रेक्ष्य**
- औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण इन संसाधनों पर बड़े कॉर्पोरेट और सरकारी संस्थाओं का अधिक नियंत्रण हो गया है।
- पर्यावरणीय आंदोलनों जैसे **चिपको आंदोलन** और **नर्मदा बचाओ आंदोलन** ने जल, जंगल, जमीन पर स्थानीय समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया है।
- जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिक असंतुलन को देखते हुए, इन संसाधनों के संरक्षण और समान वितरण की आवश्यकता बढ़ गई है।
### **निष्कर्ष**
जल, जंगल, जमीन और जानवर पर किसी एक का अधिकार नहीं होना चाहिए। यह पूरे समाज, विशेषकर स्थानीय समुदायों और प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने वाले जीवों का समान अधिकार है। इनके संरक्षण और न्यायसंगत उपयोग के लिए सरकार, समुदाय और नागरिकों को मिलकर काम करना चाहिए।
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