कृषि क्षेत्र में कार्बन क्रेडिट और भारत की रणनीति



कृषि क्षेत्र कार्बन उत्सर्जन (Carbon Emissions) का एक बड़ा स्रोत होने के बावजूद कार्बन सिंक (Carbon Sink) बनने की क्षमता भी रखता है। भारत यदि सस्टेनेबल फार्मिंग (Sustainable Farming) और एग्रोफोरेस्ट्री (Agroforestry) जैसी नीतियाँ अपनाता है, तो वह वैश्विक कार्बन क्रेडिट बाजार से बड़ा आर्थिक लाभ कमा सकता है।


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1. कृषि से कार्बन उत्सर्जन और कार्बन क्रेडिट की संभावना

A. कृषि से होने वाला कार्बन उत्सर्जन

रासायनिक खाद (Fertilizers) और कीटनाशकों (Pesticides) का उपयोग – नाइट्रस ऑक्साइड (N₂O) और मीथेन (CH₄) उत्सर्जन करता है।

धान की खेती (Paddy Cultivation) – जलभराव के कारण मीथेन उत्सर्जन बढ़ता है।

फसल अवशेष जलाना (Crop Burning) – वायु प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन को बढ़ाता है।

डीजल पर आधारित सिंचाई पंप और ट्रैक्टर – CO₂ उत्सर्जन बढ़ाते हैं।


B. कार्बन क्रेडिट कमाने के तरीके

यदि किसान निम्नलिखित उपाय अपनाएँ, तो वे कार्बन क्रेडिट कमा सकते हैं और उन्हें वैश्विक बाज़ार में बेच सकते हैं:

1. जैविक खेती (Organic Farming) – रासायनिक खाद और कीटनाशक कम करने से कार्बन उत्सर्जन घटता है।


2. शून्य जुताई खेती (Zero-Tillage Farming) – मिट्टी के कटाव को रोकती है और कार्बन अवशोषण बढ़ाती है।


3. एग्रोफोरेस्ट्री (Agroforestry) – खेती के साथ पेड़ लगाने से कार्बन अवशोषण होता है।


4. संवहनीय चावल उत्पादन (Sustainable Rice Production) – वैकल्पिक जल प्रबंधन से मीथेन उत्सर्जन घटता है।


5. बायोगैस और सौर ऊर्जा का उपयोग – डीजल पंप और बिजली पर निर्भरता कम होती है।




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2. भारत में कृषि कार्बन क्रेडिट की संभावनाएँ

A. भारत के लिए अवसर

विश्व स्तर पर कार्बन क्रेडिट बाजार 850 अरब डॉलर (2030 तक) तक पहुँच सकता है।

भारत में 55% भूमि कृषि योग्य है, जिससे किसान कार्बन क्रेडिट से अतिरिक्त आय कमा सकते हैं।

बड़े कॉरपोरेट और निर्यातक कंपनियाँ पहले से ही कार्बन न्यूट्रल सप्लाई चेन बनाने में निवेश कर रही हैं।


B. किन फसलों और कृषि पद्धतियों में अधिक लाभ मिलेगा?


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3. कार्बन क्रेडिट से किसानों को कैसे लाभ मिलेगा?

A. किसानों के लिए आर्थिक लाभ

एक टन कार्बन क्रेडिट की वैश्विक कीमत 10-100 डॉलर तक हो सकती है।

यदि किसान 100 हेक्टेयर भूमि पर एग्रोफोरेस्ट्री अपनाते हैं, तो वे सालाना लाखों रुपये कमा सकते हैं।

बड़े निर्यातक (जैसे टाटा, आईटीसी, अडानी) किसानों से कार्बन क्रेडिट खरीद सकते हैं।


B. भारत में किसानों के लिए चुनौतियाँ

किसानों को कार्बन क्रेडिट पंजीकरण और प्रमाणीकरण (Certification) की जानकारी नहीं है।

बिचौलिए (Middlemen) और कंपनियाँ किसानों को उचित दाम नहीं देतीं।

कार्बन क्रेडिट अभी तक भारत में संगठित नहीं हुआ है, जिससे छोटे किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा।



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4. भारत को क्या करना चाहिए?

A. नीति और सरकारी योजनाएँ

भारत को राष्ट्रीय कृषि कार्बन क्रेडिट नीति (National Agricultural Carbon Credit Policy) बनानी चाहिए।

किसानों के लिए ऑनलाइन कार्बन क्रेडिट प्लेटफॉर्म (जैसे NSE/BSE पर ट्रेडिंग) बनाना होगा।

MSP की तरह सरकार कार्बन क्रेडिट की कीमत तय करे, ताकि किसानों को सही दाम मिले।


B. कार्बन क्रेडिट में Udaen Foundation की भूमिका

सिद्धपुर गाँव में एग्रोफोरेस्ट्री और जैविक खेती मॉडल लागू किया जा सकता है।

स्थानीय किसानों को प्रशिक्षित किया जा सकता है, ताकि वे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कार्बन क्रेडिट बेच सकें।

महिला मंगल दल और युवा मंगल दल को इस प्रक्रिया में जोड़ा जा सकता है।



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5. निष्कर्ष: क्या भारत कृषि क्षेत्र में कार्बन क्रेडिट से आगे बढ़ सकता है?

✔ हां! यदि भारत जैविक खेती, एग्रोफोरेस्ट्री, और सौर ऊर्जा को अपनाए, तो किसान जलवायु परिवर्तन से लड़ाई में आर्थिक रूप से भी सशक्त बन सकते हैं।
✔ सरकार को किसानों के लिए आसान पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।
✔ सिद्धपुर और अन्य गाँवों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू करके इसे एक राष्ट्रीय मॉडल बनाया जा सकता है।


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