जो नवीनतम भारत सरकार की जनगणना (2011) और राष्ट्रीय सर्वेक्षण रिपोर्टों के आधार पर है — साथ ही कुछ अनुमानित अद्यतन आँकड़े (2023-2024 तक) भी शामिल किए गए हैं:
, जो नवीनतम भारत सरकार की जनगणना (2011) और राष्ट्रीय सर्वेक्षण रिपोर्टों के आधार पर है — साथ ही कुछ अनुमानित अद्यतन आँकड़े (2023-2024 तक) भी शामिल किए गए हैं:
---
📚 उत्तराखंड में शिक्षा और साक्षरता का औसत (औपचारिक आँकड़े)
🔹 कुल साक्षरता दर (Literacy Rate):
श्रेणी 2011 की जनगणना 2023-24 अनुमानित
कुल साक्षरता 78.8% ~83%
पुरुष साक्षरता 87.4% ~89%
महिला साक्षरता 70% ~77%
➡️ उत्तराखंड की साक्षरता दर देश के औसत (74% - 2011) से अधिक है और राज्यों में ऊँचे स्थान पर गिनी जाती है।
---
🔹 शिक्षा के स्तर पर विभाजन (% अनुमान):
शिक्षा स्तर पुरुष (Urban+Rural) महिलाएँ (Urban+Rural)
प्राथमिक शिक्षा ~95% ~92%
माध्यमिक शिक्षा ~75% ~65%
उच्चतर माध्यमिक (12वीं) ~60% ~52%
स्नातक (Graduate) ~25% ~18%
स्नातकोत्तर/ऊँची डिग्रियाँ ~8–10% ~5–7%
---
🏞 ग्रामीण बनाम शहरी शिक्षा अंतर:
क्षेत्र साक्षरता दर (2023 अनुमान)
शहरी क्षेत्र ~87%
ग्रामीण क्षेत्र ~79%
➡️ ग्रामीण इलाकों में विशेष रूप से महिला साक्षरता दर अभी भी शहरी क्षेत्रों की तुलना में कम है।
---
🔍 चिंताजनक पहलू:
1. गुणवत्ता की गिरावट: कई सरकारी स्कूलों में शिक्षक अनुपात, डिजिटल सुविधाएँ और शैक्षणिक गुणवत्ता में कमी है।
2. बेरोजगारी के बावजूद डिग्री: बड़ी संख्या में युवा स्नातक व स्नातकोत्तर करने के बाद भी बेरोजगार हैं — जो शिक्षा प्रणाली और रोजगार में समन्वय की कमी को दर्शाता है।
3. माइग्रेशन का असर: शिक्षित युवाओं का पलायन (ब्रेन ड्रेन) उत्तराखंड की एक बड़ी सामाजिक-आर्थिक चुनौती है।
---
✅ सकारात्मक संकेत:
बेटी पढ़ाओ अभियान और महिला सशक्तिकरण से महिला शिक्षा में सुधार हो रहा है।
ई-लर्निंग और डिजिटल माध्यमों का प्रयोग ग्रामीण स्कूलों में बढ़ रहा है।
नैनीताल, देहरादून, हल्द्वानी, अल्मोड़ा जैसे ज़िलों में उच्च शिक्षा की अच्छी संस्थाएँ हैं।
---
✍️ निष्कर्ष:
उत्तराखंड में शिक्षा की बुनियादी स्थिति राष्ट्रीय औसत से बेहतर है, लेकिन अभी भी ग्रामीण-शहरी अंतर, महिला शिक्षा, और रोजगार से जुड़ी शिक्षा की गुणवत्ता जैसे मुद्दों पर गंभीरता से काम करने की आवश्यकता है।
Comments
Post a Comment