**“कैदी जो आज़ाद हो सकते थे”**
🎬 **“कैदी जो आज़ाद हो सकते थे”**
*(एक सच्ची कहानी उन 140 कैदियों की, जो रिहाई के पात्र थे, लेकिन सालों तक जेल में सड़ते रहे)*
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## 🎞️ **डॉक्यूमेंट्री स्क्रिप्ट**
### 🎬 शीर्षक: **"कैदी जो आज़ाद हो सकते थे"**
**अवधि:** 12-15 मिनट
**भाषा:** हिंदी
**फॉर्मेट:** नैरेशन + ग्राउंड विज़ुअल्स + केस स्टोरीज़ + कोर्ट टिप्पणियाँ
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### 🔊 **\[Opening Scene – ब्लैक स्क्रीन पर नैरेशन]**
🎙️ (धीमी आवाज में)
“कल्पना कीजिए…
आपने अपनी सजा पूरी कर ली है।
कोर्ट, समाज, और सरकार — सभी ने माना कि अब आप आज़ाद होने के योग्य हैं।
लेकिन फिर भी… आप आज़ाद नहीं।
आप जेल में ही बंद हैं... बिना कसूर के।
ऐसे हैं उत्तराखंड के वो 140 कैदी...
**‘जो आज़ाद हो सकते थे।’**”
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### 🎥 **\[सीन 1 – जेल के बाहर के शॉट्स, ताले लगे दरवाज़े, बंजर गलियाँ]**
🎙️ नैरेशन:
"उत्तराखंड की जेलें… जहाँ सैकड़ों कैदी अपने किए की सजा भुगतते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी हैं, जिनकी **सजा पूरी हो चुकी है**, पर रिहाई अब तक नहीं हुई।"
📋 टेक्स्ट ऑन स्क्रीन:
> *“140 कैदी, 5 से 6 साल से जेलों में बंद, जबकि वे रिहाई के पात्र हैं।”*
> — *उत्तराखंड हाईकोर्ट, जून 2025*
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### 🎥 **\[सीन 2 – डॉक्यूमेंट्स की क्लोज़-अप, पुराने सरकारी फाइलों की धूल भरी अलमारी]**
🎙️ नैरेशन:
"सरकारी फाइलों की भीड़ में, कहीं गुम हो जाती है इन कैदियों की **रिहाई की अपील**।
Sentence Review Board की बैठकें स्थगित होती रहीं…
और हर बार नई तारीख दी जाती रही।"
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### 🎥 **\[सीन 3 – कोर्ट रूम स्केच, न्यूज़ क्लिपिंग्स फ्लैश]**
📢 न्यूज़ एंकर (वॉइसओवर):
“उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जेलों में बंद 140 रिहाई के पात्र कैदियों की रिहाई में देरी पर जताई कड़ी नाराज़गी…”
🎙️ नैरेशन:
"हाईकोर्ट ने इसे **'प्रशासनिक उदासीनता'** कहा — और दो सप्ताह में सक्षम बोर्ड गठित करने का आदेश दिया।"
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### 🎥 **\[सीन 4 – एक पूर्व कैदी की कहानी (रीक्रिएटेड विज़ुअल्स)]**
👤 (वृद्ध व्यक्ति कैमरे की ओर)
"मेरी रिहाई 2020 में होनी थी…
लेकिन मैं 2024 तक जेल में ही था।
कहते थे – ‘बोर्ड नहीं बैठा अभी’।
वो 4 साल मेरी ज़िंदगी के सबसे काले साल थे।"
🎙️ नैरेशन:
"ऐसी कहानी अकेले एक की नहीं… **140 ज़िंदगियाँ** इस सिस्टम की चुप्पी का शिकार बनीं।"
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### 🎥 **\[सीन 5 – वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की क्लिप]**
🧑⚖️ अधिवक्ता (क्लिप):
"हमने कई बार अनुरोध किया कि Sentence Review Board नियमित हो…
लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।"
👩⚕️ सोशल वर्कर:
"बुजुर्ग कैदी मानसिक रूप से टूट चुके हैं। कई तो जेल में ही बीमार हो गए।"
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### 🎥 **\[सीन 6 – जेलों की भीड़भाड़, कैदियों की संख्या पर आंकड़े]**
📊 ग्राफिक्स ऑन स्क्रीन:
> "उत्तराखंड की जेलों की कुल क्षमता: 3000
> वर्तमान कैदी: 4600
> रिहाई के पात्र: 140+ (2025 रिपोर्ट)"
🎙️ नैरेशन:
"जब जेलें ओवरलोड हैं, तब भी जिन्हें छोड़ा जा सकता है, उन्हें रोकना न सिर्फ अन्याय है – बल्कि अमानवीयता है।"
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### 🎥 **\[सीन 7 – हाईकोर्ट के आदेश का फ्लैश, ऑडियो क्लिप (रीक्रिएटेड)]**
👨⚖️ *आवाज़ (नाटकीय पुनर्निर्माण)*
"यह न्याय का मज़ाक है…
पात्र कैदियों को अब और एक दिन भी जेल में नहीं रहना चाहिए।"
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### 🎥 **\[सीन 8 – सामाजिक संगठनों की अपील]**
🎙️ नैरेशन:
"Udaen Foundation और अन्य सामाजिक संगठन अब आवाज़ उठा रहे हैं –
कि सिर्फ आदेश नहीं, **प्रभावी कार्यवाही** हो।
हर पात्र कैदी को रिहा किया जाए।
और दोषी अधिकारियों की जवाबदेही तय हो।"
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### 🎥 **\[सीन 9 – उम्मीद और पुनर्वास के विज़ुअल्स]**
🎙️ नैरेशन:
"इन 140 कैदियों को सिर्फ आज़ादी ही नहीं चाहिए…
उन्हें चाहिए **सम्मान, पुनर्वास, और जीवन जीने का दूसरा अवसर।**
हमें उन्हें वो अवसर देना होगा… क्योंकि
**'न्याय में देरी, अन्याय होता है।'**"
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### 🎬 **\[अंतिम दृश्य – कैमरा ऊपर की ओर उठता है, बैकग्राउंड में धूप, खुला गेट, और आवाज़]**
🎙️ वॉइसओवर:
**"कैदी जो आज़ाद हो सकते थे —
अब वो कह रहे हैं,
'हमें और देर मत कीजिए…
अब हमें जीने दीजिए।'"**
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