**"Doctrine of Public Trust"** के अनुसार सरकार **प्राकृतिक संसाधनों (जैसे जल, जंगल, ज़मीन, नदियाँ, पहाड़, समुद्र तट आदि)** की **मालिक नहीं**, बल्कि **"जनता की ओर से ट्रस्टी"** होती है।


**"Doctrine of Public Trust"** के अनुसार सरकार **प्राकृतिक संसाधनों (जैसे जल, जंगल, ज़मीन, नदियाँ, पहाड़, समुद्र तट आदि)** की **मालिक नहीं**, बल्कि **"जनता की ओर से ट्रस्टी"** होती है।


इस सिद्धांत का मूल भाव यही है कि —


> 🌿 **“सरकारी सत्ता इन संसाधनों को बेच नहीं सकती, लूट नहीं सकती, बल्कि इन्हें जनता की आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रखना उसका नैतिक और संवैधानिक कर्तव्य है।”**


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## 🔹 Doctrine of Public Trust क्या है?


**Public Trust Doctrine** एक **कानूनी सिद्धांत** है, जो कहता है कि:


* कुछ संसाधन इतने महत्वपूर्ण होते हैं कि वे किसी **निजी स्वामित्व** में नहीं जा सकते।

* **सरकार इन संसाधनों की केवल "प्रबंधक" (Trustee)** होती है।

* इनका **व्यावसायीकरण, निजीकरण, या दोहन** करके सरकार अपने अधिकारों का दुरुपयोग नहीं कर सकती।

* यह सिद्धांत पर्यावरणीय न्याय का आधार है।


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## 🔹 भारत में Public Trust Doctrine को मान्यता कब और कैसे मिली?


इस सिद्धांत को **भारत में सुप्रीम कोर्ट ने 1997 में** एक ऐतिहासिक फैसले में **स्वीकृत किया:**


📌 **Case: M.C. Mehta v. Kamal Nath (1997)**


> इस केस में अदालत ने कहा:

>

> **“State is the trustee of all natural resources. It has a legal duty to protect them.”**


इसके बाद यह सिद्धांत कई अन्य फैसलों में लागू हुआ — जैसे:


* **Fomento Resorts v. Minguel Martins (2009)** – समुद्र तट सार्वजनिक संपत्ति है

* **Hinch Lal Tiwari v. Kamala Devi (2001)** – जल स्रोतों (तालाबों, नदियों) को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया


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## 🔹 Public Trust Doctrine की 5 मुख्य बातें:


| क्रम | सिद्धांत                    | विवरण                                                                           |

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| 1    | **सरकार ट्रस्टी है**        | सरकार प्राकृतिक संसाधनों की मालिक नहीं, केवल जनता की ओर से संरक्षक है           |

| 2    | **जनहित सर्वोपरि**          | इन संसाधनों का उपयोग केवल जनता की भलाई और पर्यावरण की रक्षा के लिए होना चाहिए   |

| 3    | **निजीकरण पर रोक**          | नदियों, पहाड़ों, जंगलों को बेचने या निजी हाथों में सौंपने का अधिकार नहीं        |

| 4    | **न्यायपालिका की भूमिका**   | यदि सरकार दायित्व नहीं निभाती तो जनता न्यायालय में चुनौती दे सकती है            |

| 5    | **अंतर-पीढ़ी उत्तरदायित्व** | इन संसाधनों को अगली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखना सरकार की नैतिक ज़िम्मेदारी है |


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## 🔹 उत्तराखंड में Public Trust Doctrine क्यों ज़रूरी है?


* जल स्रोतों का **बॉटलिंग कंपनियों को सौंपा जाना**

* **हाइड्रो प्रोजेक्ट्स** द्वारा नदियों की दिशा मोड़ना

* **जंगलों का माफिया व सरकारी गठजोड़ द्वारा कटाव**

* **चारागाह और ग्राम समाज भूमि** का निजीकरण


➡ ये सभी Public Trust Doctrine का उल्लंघन हैं।


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## 🔹 क्या कर सकते हैं आप?


1. 🔸 **RTI दाखिल कर पूछिए:** किन जल/जंगल क्षेत्रों का निजीकरण हुआ?

2. 🔸 **ग्राम सभा प्रस्ताव पास करें:** यह भूमि/जल ग्रामसभा की सामूहिक संपत्ति है।

3. 🔸 **जनहित याचिका (PIL)** तैयार करें:

   न्यायालय को बताएं कि सरकार Public Trust Doctrine का उल्लंघन कर रही है।

4. 🔸 **जन जागरूकता अभियान:** पोस्टर, वीडियो, नुक्कड़ नाटक, सोशल मीडिया


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## 🔹 निष्कर्ष:


> ✊ **"जल-जंगल-जमीन पर पहला हक़ जनता का है, सरकार सिर्फ ट्रस्टी है!"**

>

> 🌱 *Public Trust Doctrine जनता को शक्ति देती है, कि वो सरकार से जवाब माँग सके — जब नदियाँ बेची जा रही हों, जब जंगल लुटाए जा रहे हों, जब पहाड़ों को उखाड़ा जा रहा हो।*


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