**स्क्रिप्ट: “औक़ात की जात”**

 **नुक्कड़ नाटक / वीडियो स्क्रिप्ट** के रूप में ढाला गया है — शीर्षक है **“औक़ात की जात”**। यह स्क्रिप्ट सामाजिक भेदभाव, जातिवाद और नैतिक पतन पर तीखा सवाल उठाती है। इसे नुक्कड़ नाटक, सोशल मीडिया वीडियो, या थिएटर प्रस्तुति के लिए प्रयोग किया जा सकता है।


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### 🎭 **स्क्रिप्ट: “औक़ात की जात”**


**शैली:** सामाजिक-संघर्ष आधारित नुक्कड़ नाटक

**समय:** 6-8 मिनट

**कलाकार:** 4-5 पात्र

**स्थान:** गाँव, चौराहा या कोई गली


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#### **\[दृश्य 1: चौराहे पर हलचल, दो लोग बहस कर रहे हैं जात को लेकर]**


**पात्र 1 (अहंकार से):**

अबे तू जानता नहीं, हम ऊँची जात वाले हैं!

हमारे सामने ज़्यादा मत बोल!


**पात्र 2 (गुस्से में):**

जात बड़ी है या इंसान?

तू चोरी करता है, घूस खाता है,

फिर भी खुद को बड़ा समझता है?


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#### **\[दृश्य 2: बाकी पात्र आते हैं और मंच के बीचोंबीच गोल घेरा बनाते हैं]**


**(सभी मिलकर तालियों की लय में बोलते हैं):**

जात पूछते हो?

पहले इंसानियत का चेहरा ढूंढो!


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#### **पात्र 3 (कविता की शैली में):**


जिसने औरत को बेचा,

जिसने ग़रीब का खून चूसा —

वो किस जात का था?


**पात्र 4 (आवेश में):**

जो धर्म के नाम पर

दंगा करवाता है,

और फिर वोट बटोरता है —

उसे किसने ऊँची जात दी?


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#### **पात्र 5 (तेज आवाज़ में, जनता की ओर मुंह करके):**


हरामियों की औकात होती है,

**जात नहीं!**

लेकिन समाज क्या करता है?

जो मेहनत करता है,

उसे नीच बना देता है।


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#### **\[तालियों की लय दोबारा शुरू]**


**सभी:**

नाम बड़े, काम सड़े —

फिर भी सर ऊँचा किए घूमते हैं,

दिल से बड़ा है जो —

वो झुका खड़ा है!


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#### **पात्र 2 (भावुक होकर):**


इतिहास गवाही देता है —

हर बड़ा इंकलाब

नीच कहे गए इंसान ने ही किया है।


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#### **पात्र 1 (अब बदले स्वर में):**


शायद मैं गलत था,

जात नहीं,

औकात देखनी चाहिए थी।


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#### **सभी पात्र (अंतिम नारा):**


अब वक़्त है —

शब्दों की दीवारें तोड़ो!

जात नहीं,

**चरित्र का तराजू जोड़ो!**


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### 🎬 **(पर्दा गिरता है / लाइट बंद)**


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