भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 (Article 21 )
"किसी व्यक्ति को उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा, जब तक कि विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार न हो।"
(अनुच्छेद 21, भारत का संविधान)
🔍 मुख्य विशेषताएँ (मुख्य बिंदु):
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व्यापक अधिकार:
- यह अधिकार हर व्यक्ति को प्राप्त है — न केवल भारतीय नागरिकों को, बल्कि विदेशियों को भी।
- यह जीवन और स्वतंत्रता का मूल अधिकार है।
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जीवन का अधिकार (Right to Life):
- केवल शारीरिक रूप से जीवित रहने का अधिकार नहीं, बल्कि सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार भी शामिल है।
- जैसे — भोजन, पानी, स्वच्छ पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा, आश्रय, गरिमा से जीना, आदि।
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व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Personal Liberty):
- बिना किसी उचित प्रक्रिया के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार या बंदी नहीं बनाया जा सकता।
- मनमानी गिरफ्तारी, यातना, और अवैध हिरासत पर रोक।
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न्यायोचित प्रक्रिया (Due Process of Law):
- मैनका गांधी बनाम भारत सरकार (1978) केस के बाद न्यायालय ने कहा कि "विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया" का मतलब है — यह प्रक्रिया न्यायसंगत, निष्पक्ष और तर्कसंगत होनी चाहिए।
🧠 महत्वपूर्ण न्यायिक फैसले:
मामला | वर्ष | निर्णय का महत्व |
---|---|---|
मैनका गांधी बनाम भारत सरकार | 1978 | अनुच्छेद 21 को अनुच्छेद 14 और 19 से जोड़ा गया और प्रक्रिया को न्यायोचित होना जरूरी बताया। |
फ्रांसिस कोरेली मुलिन मामला | 1981 | जीवन में मानव गरिमा के साथ जीने का अधिकार शामिल। |
ओल्गा टेलिस बनाम BMC | 1985 | रोजगार का अधिकार भी जीवन के अधिकार में शामिल। |
के. एस. पुट्टस्वामी मामला | 2017 | निजता का अधिकार (Right to Privacy) को मूल अधिकार घोषित किया गया। |
✅ अनुच्छेद 21 के अंतर्गत अधिकारों के उदाहरण:
- सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार
- स्वास्थ्य व चिकित्सा सुविधा का अधिकार
- पर्यावरण और स्वच्छ हवा का अधिकार
- शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 21-A से जुड़ा)
- निजता का अधिकार
- यौन उत्पीड़न से संरक्षण
- गरिमा से मृत्यु (Passive Euthanasia) का अधिकार
- नशीली दवाओं या अवैध गिरफ्तारी से सुरक्षा
📌 निष्कर्ष (Summary):
अनुच्छेद 21 भारतीय संविधान का सबसे जीवंत और व्यापक मूल अधिकार है। यह समय और परिस्थितियों के अनुसार विकसित होता रहा है और नागरिकों को गरिमापूर्ण जीवन जीने की कानूनी गारंटी देता है।
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