ग्रामसभा की ताकत – लोकतंत्र की असली जड़"

"ग्रामसभा की ताकत – लोकतंत्र की असली जड़"


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भूमिका
भारत का लोकतंत्र केवल संसद और विधानसभा तक सीमित नहीं है। उसकी असली ताकत गांव की चौपाल में, ग्रामसभा की बैठक में, और स्थानीय जन की सहभागिता में निहित है। संविधान के 73वें संशोधन और पंचायत राज व्यवस्था के तहत ग्रामसभा को स्थानीय लोकतंत्र की आधारशिला माना गया है। लेकिन दुर्भाग्य से आज भी अधिकतर लोग ग्रामसभा की ताकत को पहचानते नहीं, और प्रशासनिक व्यवस्था में भी इसे नजरअंदाज किया जाता है।


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1. ग्रामसभा क्या है?

ग्रामसभा एक संवैधानिक संस्था है, जिसमें एक ग्राम पंचायत क्षेत्र के सभी 18 वर्ष से ऊपर के मतदाता शामिल होते हैं। यह गांव का सबसे बड़ा और सर्वोच्च निर्णय लेने वाला मंच है।
ग्रामसभा का मतलब है – जनता खुद अपने गांव के फैसले ले।


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2. ग्रामसभा के अधिकार और शक्तियाँ

ग्रामसभा केवल औपचारिक बैठक नहीं है। इसके पास कई महत्वपूर्ण कानूनी अधिकार हैं:

✅ विकास कार्यों की निगरानी:

ग्रामसभा तय कर सकती है कि गांव में किस काम की जरूरत है — सड़क बने या पानी की टंकी, स्कूल की मरम्मत हो या पशुशाला।

✅ बजट और योजनाओं पर फैसला:

पंचायत के बजट, सरकारी योजनाओं और खर्च की स्वीकृति ग्रामसभा ही देती है।

✅ भ्रष्टाचार पर रोक:

ग्रामसभा में ग्राम प्रधान और सचिव की कार्यप्रणाली की समीक्षा होती है। जरूरी हो तो घोटालों का खुलासा और विरोध भी यहीं से शुरू हो सकता है।

✅ भूमि और संसाधनों की सुरक्षा:

गांव की चरागाह, जलस्रोत, जंगल और अन्य सामूहिक संसाधनों की देखरेख ग्रामसभा करती है। बिना उसकी अनुमति कोई निजीकरण या हड़प नहीं हो सकता (PESA Act के तहत आदिवासी क्षेत्रों में और भी अधिकार हैं)।

✅ शांति और विवाद समाधान:

स्थानीय झगड़ों, सामाजिक अनुशासन, नशा विरोध और अन्य सामाजिक मुद्दों पर ग्रामसभा दिशा तय कर सकती है।


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3. ग्रामसभा: लोकतंत्र की असली पाठशाला

जहां जनता नेता नहीं, नीति बनाती है

जहां गांव के विकास का ब्लूप्रिंट तय होता है

जहां गांव की समस्याएं, गांव के लोग मिलकर सुलझाते हैं

जहां पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और भागीदारी का अभ्यास होता है



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4. क्यों कमजोर हो रही है ग्रामसभा?

ग्रामसभा की बैठकों में कम उपस्थिति

अफसरशाही और ठेकेदारी संस्कृति का दखल

ग्रामवासियों को अधिकारों की जानकारी का अभाव

पंच-सरपंच की सत्ता केंद्रित प्रवृत्ति

योजनाएं ऊपर से थोपे जाने वाली, न कि नीचे से सुझाई गईं



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5. समाधान – ग्रामसभा को कैसे मजबूत करें?

✔ जनजागरण अभियान चलाना – ग्रामसभा की भूमिका, अधिकार और जिम्मेदारियों पर
✔ सामाजिक कार्यकर्ताओं और संगठनों की सक्रिय भागीदारी
✔ ग्रामसभा की बैठक नियमित और पारदर्शी रूप से आयोजित करना
✔ योजनाएं ग्रामसभा से शुरू होकर ही स्वीकृत हों
✔ महिलाओं, दलितों और युवाओं की विशेष भागीदारी सुनिश्चित करना
✔ RTI और सोशल ऑडिट जैसे औजार ग्रामसभा में लागू करना


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6. निष्कर्ष

ग्रामसभा केवल लोकतंत्र की इकाई नहीं, वह लोकशक्ति की अनुभूति है।
यदि हम ग्रामसभा को सशक्त बना लें, तो भ्रष्टाचार रुक सकता है, योजनाएं प्रभावी बन सकती हैं और ग्रामीण भारत को सच में आत्मनिर्भर और स्वराज आधारित बनाया जा सकता है।


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नारा:
👉 “ग्रामसभा जगेगी, तभी गांव बदलेगा”
👉 “जहां जनता तय करे अपना हक, वो है असली लोकतंत्र”
👉 “गांव का विकास, गांव की राय से”

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