लघु नाट्य स्क्रिप्ट: "एक रुपए की कहानी"
🎭 लघु नाट्य स्क्रिप्ट: "एक रुपए की कहानी"
🎬 पात्र:
- ₹1 का सिक्का (मुख्य पात्र, वृद्ध लेकिन गर्वीला)
- ₹500 का नोट (घमंडी)
- छोटा बच्चा (भावनात्मक जुड़ाव)
- दुकानदार
- आवाज (Narrator)
📜 दृश्य 1: एक पुराना दराज
(दराज के अंदर ₹1 का सिक्का और ₹500 का नोट रखे हैं)
₹500 का नोट (व्यंग्य में):
ओ भई सिक्के! अब तो तेरा ज़माना गया। तुझे कौन पूछता है अब? लोग मुझे देखते ही सलाम ठोकते हैं।
₹1 का सिक्का (शांति से):
शायद मेरी चमक फीकी हो गई हो, पर मेरी पहचान मिटी नहीं। मैं अब भी हर गणना की नींव हूँ। बिना मेरे कोई रकम पूरी नहीं।
Narrator:
एक समय था जब ₹1 में दूध, किताब, अखबार सब कुछ मिलता था। आज उसका मूल्य कम हुआ है, पर आत्मा अब भी जीवित है।
📜 दृश्य 2: मंदिर के बाहर बच्चा और सिक्का
(एक बच्चा मंदिर के बाहर दानपेटी में ₹1 डालता है)
बच्चा:
मां कहती है छोटा दान भी बड़ा पुण्य देता है।
(मुस्कुराकर ₹1 का सिक्का डालता है)
₹1 का सिक्का (गर्व से):
देखा! मैं सिर्फ धातु नहीं, आस्था और बचपन की समझ भी हूँ।
📜 दृश्य 3: दुकान पर लेनदेन
(ग्राहक: ₹10 देता है, बिल: ₹9.00, दुकानदार ₹1 लौटाता है)
दुकानदार:
लो भाई! पूरा हिसाब… ₹1 लौटाया।
Narrator:
₹1 – जो हिसाब पूरा करता है, जो लेन-देन को ईमानदार बनाता है, जो अब भी न्याय का तराजू है।
🪧 पोस्टर कंटेंट (हिंदी)
🪙 एक रुपए की कहानी — न छोटा, न बेकार!
🔹 ₹1 आज भी भारत सरकार द्वारा वैध मुद्रा (Legal Tender) है।
🔹 यह भारत की अर्थव्यवस्था की मूलभूत इकाई है।
🔹 बचत, दान, हिसाब, व्यापार — हर जगह इसकी भूमिका है।
🔹 ₹1 = मूल्य नहीं, सोच का प्रतीक।
🔹 "हर रुपया मायने रखता है", क्योंकि हर बड़ा आंकड़ा ₹1 से शुरू होता है।
🌱 "अगर ₹1 की कद्र नहीं, तो ₹100 की औकात भी नहीं।"
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