उत्तराखंड में लोकायुक्त की स्थिति
उत्तराखंड में भ्रष्टाचार की रोकथाम और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों की जांच के लिए लोकायुक्त की स्थापना का प्रावधान है। हालांकि, इस पद की नियुक्ति में कई वर्षों से देरी हो रही है।
उत्तराखंड लोकायुक्त अधिनियम, 2014
उत्तराखंड में लोकायुक्त की स्थापना के लिए उत्तराखंड लोकायुक्त अधिनियम, 2014 पारित किया गया था। इस अधिनियम का उद्देश्य राज्य में उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करना है। इसके तहत मुख्यमंत्री, राज्य मंत्री, विधायक, और राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों की जांच की जा सकती है।
नियुक्ति में देरी और वर्तमान स्थिति
हालांकि अधिनियम 2014 में पारित हुआ, लेकिन लोकायुक्त की नियुक्ति अभी तक नहीं हो पाई है। सितंबर 2023 में, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में चयन समिति की बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें लोकायुक्त चयन प्रक्रिया पर चर्चा हुई। इस बैठक में एक सदस्य के नाम पर सहमति बनी, जिसे राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया।
नवंबर 2024 में, कांग्रेस पार्टी ने लोकायुक्त की नियुक्ति में हो रही देरी पर सवाल उठाए और सरकार से नियुक्ति की तिथि के बारे में जानकारी मांगी।
न्यायिक हस्तक्षेप
फरवरी 2025 में, उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने लोकायुक्त की नियुक्ति न होने पर राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने मुख्य सचिव से प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, ताकि नियुक्ति प्रक्रिया में हो रही देरी का कारण स्पष्ट हो सके।
निष्कर्ष
उत्तराखंड में लोकायुक्त की स्थापना भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, नियुक्ति में हो रही देरी से इसकी प्रभावशीलता पर प्रश्नचिह्न लगते हैं। आवश्यक है कि राज्य सरकार शीघ्रता से लोकायुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया को पूर्ण करे, ताकि राज्य में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
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