डिजिटल करेंसी और सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC)
आज की अर्थव्यवस्था में पारंपरिक मुद्रा (Currency) धीरे-धीरे डिजिटल रूप में बदल रही है। डिजिटल करेंसी और CBDC (Central Bank Digital Currency) इसी परिवर्तन का हिस्सा हैं।
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1. डिजिटल करेंसी (Digital Currency) क्या है?
डिजिटल करेंसी किसी भी ऐसी मुद्रा को कहते हैं जो इलेक्ट्रॉनिक रूप से संग्रहीत और लेन-देन की जाती है। यह जरूरी नहीं कि सरकार के नियंत्रण में हो।
डिजिटल करेंसी के प्रकार:
1. क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) – ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित, विकेंद्रीकृत (Decentralized)।
उदाहरण: बिटकॉइन (BTC), एथेरियम (ETH), सोलाना (SOL)।
किसी सरकार या बैंक के नियंत्रण में नहीं।
2. स्टेबलकॉइन (Stablecoin) – ऐसी क्रिप्टोकरेंसी जो अमेरिकी डॉलर या अन्य संपत्तियों से जुड़ी होती है, ताकि इसका मूल्य स्थिर बना रहे।
उदाहरण: टेदर (USDT), यूएसडी कॉइन (USDC), DAI।
आमतौर पर डिजिटल लेन-देन और डीफाई (DeFi) में उपयोग होती है।
3. केंद्रीकृत डिजिटल पैसा (Centralized Digital Money) – बैंक या वित्तीय संस्थाओं में डिजिटल रूप में संग्रहीत धन।
उदाहरण: ऑनलाइन बैंक बैलेंस, पेटीएम, यूपीआई, डिजिटल वॉलेट।
निजी कंपनियों या बैंकों के नियंत्रण में।
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2. सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) क्या है?
CBDC किसी देश की आधिकारिक मुद्रा का डिजिटल संस्करण होती है, जिसे केंद्रीय बैंक जारी और नियंत्रित करता है। यह क्रिप्टोकरेंसी से अलग होती है क्योंकि यह सरकार द्वारा नियंत्रित होती है।
CBDC की विशेषताएँ:
✅ केंद्रीय बैंक द्वारा जारी – RBI, फेडरल रिजर्व जैसी संस्थाएँ इसे नियंत्रित करती हैं।
✅ कानूनी मान्यता – यह देश की आधिकारिक मुद्रा होती है।
✅ विकेंद्रीकृत नहीं – बिटकॉइन की तरह स्वतंत्र नहीं, बल्कि सरकार के अधीन।
✅ ब्याज अर्जित कर सकती है – कुछ CBDC डिज़ाइन ब्याज प्रदान कर सकते हैं।
दुनिया भर में CBDC के उदाहरण:
भारत – डिजिटल रुपया (RBI ने 2022 में पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया)।
चीन – डिजिटल युआन (e-CNY, सबसे उन्नत CBDC में से एक)।
यूरोप – डिजिटल यूरो (यूरोपीय सेंट्रल बैंक इसे विकसित कर रहा है)।
अमेरिका – डिजिटल डॉलर (अभी शोध चरण में)।
CBDC और क्रिप्टोकरेंसी में अंतर
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3. सरकारें CBDC क्यों विकसित कर रही हैं?
कैश (नकदी) पर निर्भरता कम करना – डिजिटल भुगतान बढ़ रहे हैं।
वित्तीय समावेशन बढ़ाना – बैंक रहित लोगों को वित्तीय सेवाएँ देना।
लेन-देन की दक्षता बढ़ाना – अंतरराष्ट्रीय भुगतान को तेज बनाना।
क्रिप्टोकरेंसी से प्रतिस्पर्धा – सरकारें मौद्रिक नीति पर नियंत्रण बनाए रखना चाहती हैं।
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निष्कर्ष
डिजिटल करेंसी में क्रिप्टोकरेंसी (विकेंद्रीकृत) और CBDC (सरकारी-नियंत्रित) दोनों शामिल हैं।
CBDC डिजिटल लेन-देन के लाभ प्रदान करती है, लेकिन यह सरकार के नियंत्रण में रहती है।
मेटा (Facebook) ने Libra/Diem नामक डिजिटल मुद्रा शुरू करने की कोशिश की थी, लेकिन नियामक बाधाओं के कारण इसे बंद करना पड़ा।
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