उत्तराखंड में सतत (Sustainable) गौ पालन के लिए मॉडल एवं रणनीतियाँ
गाय पालन को पर्यावरणीय संरक्षण के साथ आर्थिक रूप से लाभकारी बनाने के लिए उत्तराखंड में कई सतत कृषि मॉडल अपनाए जा सकते हैं। ये मॉडल ग्लोबल वार्मिंग को कम करने, कृषकों की आय बढ़ाने और गांवों को आत्मनिर्भर बनाने में सहायक होंगे।
1. ज़ीरो-ग्रेज़िंग मॉडल और बायोगैस संयंत्र
✅ खुले चरागाह की जगह स्टॉल-फीडिंग अपनाना, जिससे जंगलों की कटाई रुके।
✅ गाय के गोबर से बायोगैस प्लांट लगाया जाए, जिससे खाना पकाने और बिजली उत्पादन में मदद मिले।
✅ लाभ: जंगल संरक्षण, जैविक खाद, और ईंधन पर खर्च कम होगा।
📌 उदाहरण: उत्तराखंड के कई गांवों में छोटे बायोगैस प्लांट सफलतापूर्वक चल रहे हैं। सिद्धपुर जैसे गांवों में इसे महिला मंगल दल एवं युवक मंगल दल के सहयोग से लागू किया जा सकता है।
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2. सिल्वोपैस्टोरल सिस्टम (वन कृषि + गाय पालन)
✅ चारा देने वाले पेड़ (जैसे भीमल, सबबूल, और शहतूत) लगाकर चारागाह बनाए जाएं।
✅ मिट्टी का कटाव रोकेगा, कार्बन उत्सर्जन कम होगा, और अधिक हरा-भरा पर्यावरण मिलेगा।
✅ लाभ: मवेशियों को प्राकृतिक चारा मिलेगा और किसानों को लकड़ी, चारा और फल-फूल से अतिरिक्त आय होगी।
📌 कैसे लागू करें? महिला मंगल दल और युवक मंगल दल इस मॉडल को सामूहिक खेती के रूप में अपना सकते हैं।
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3. जैविक दुग्ध उत्पादन (Organic Dairy Farming) और बद्री गाय का संवर्धन
✅ स्थानीय प्रजाति "बद्री गाय" को बढ़ावा देना, जो जलवायु-अनुकूल और कम चारा खाने वाली नस्ल है।
✅ बद्री गाय का दूध अत्यधिक पौष्टिक होता है, जिससे किसानों को अच्छा बाजार मूल्य मिलेगा।
✅ ऑर्गेनिक दूध को ब्रांडिंग कर बेचना, जैसे अमूल मॉडल।
📌 एक्शन प्लान: "हिमालयन जैविक डेयरी" ब्रांड के तहत बद्री गाय के दूध का व्यापार किया जा सकता है।
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4. हाई-टेक चारा: हाइड्रोपोनिक व एज़ोला फार्मिंग
✅ हाइड्रोपोनिक विधि से बिना मिट्टी के चारा उत्पादन (कम जगह, कम पानी में)।
✅ एज़ोला (जल में उगने वाला उच्च-प्रोटीन चारा) से पोषक चारा मिले।
✅ लाभ: सूखे में भी गायों को हरा चारा मिलेगा, भूमि और जल की बचत होगी।
📌 कैसे लागू करें? इसे उडैन फाउंडेशन द्वारा एक सामुदायिक पहल के रूप में शुरू किया जा सकता है।
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5. कार्बन क्रेडिट योजना एवं सस्टेनेबल डेयरी सर्टिफिकेशन
✅ पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं (बायोगैस, जैविक खेती, कम मीथेन उत्सर्जन वाले चारे) अपनाने से कार्बन क्रेडिट मिल सकते हैं।
✅ सस्टेनेबल डेयरी सर्टिफिकेट से किसानों को प्रीमियम बाजार मूल्य मिलेगा।
✅ लाभ: अतिरिक्त आय स्रोत और वैश्विक ऑर्गेनिक मार्केट में एंट्री।
📌 कैसे लागू करें? उत्तराखंड में एक "हिमालयन सस्टेनेबल डेयरी" ब्रांड विकसित कर सकते हैं।
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