क्या विधायकों को सोशल वर्कर की श्रेणी में देखना चाहिए ?
विधायकों को पूरी तरह से सोशल वर्कर (सामाजिक कार्यकर्ता) की श्रेणी में रखना पूरी तरह उपयुक्त नहीं होगा, लेकिन वे लोक सेवक (Public Servant) और जनप्रतिनिधि के रूप में समाज सेवा से जुड़े होते हैं। दोनों की भूमिकाओं में कुछ समानताएँ और कुछ मूलभूत अंतर होते हैं।
1. समानताएँ (विधायक और सोशल वर्कर के बीच)
✅ जनसेवा का उद्देश्य – दोनों का मकसद समाज की भलाई करना और जनता की समस्याओं को हल करना होता है।
✅ नीतियों और विकास कार्यों में भागीदारी – विधायक नीतियाँ बनाते हैं और सामाजिक कार्यकर्ता उन नीतियों को जमीनी स्तर पर लागू करने में मदद करते हैं।
✅ समस्याओं की पहचान और समाधान – दोनों समाज के कमजोर वर्गों की समस्याओं को उजागर करते हैं और उनके समाधान की कोशिश करते हैं।
2. प्रमुख अंतर (विधायक और सोशल वर्कर में अंतर)
❌ संवैधानिक और कानूनी भूमिका – विधायक का मुख्य कार्य कानून बनाना, बजट पारित करना और सरकार की नीतियों पर निगरानी रखना है, जबकि सोशल वर्कर बिना किसी संवैधानिक दायित्व के सामाजिक कल्याण में सक्रिय रहते हैं।
❌ राजनीतिक जुड़ाव – विधायक किसी राजनीतिक दल से जुड़े होते हैं और चुनावी राजनीति का हिस्सा होते हैं, जबकि सामाजिक कार्यकर्ता आमतौर पर गैर-राजनीतिक रूप से कार्य कर सकते हैं।
❌ प्रशासनिक शक्तियाँ – विधायक के पास सरकारी मशीनरी को निर्देश देने की सीमित शक्ति होती है, जबकि एक सामाजिक कार्यकर्ता के पास कोई सरकारी शक्ति नहीं होती।
निष्कर्ष
विधायकों को पूरी तरह से सोशल वर्कर नहीं माना जा सकता, लेकिन वे जनसेवा से जुड़े जनप्रतिनिधि होते हैं। उनका मुख्य कार्य नीति निर्माण, प्रशासन पर निगरानी, और अपने क्षेत्र का विकास सुनिश्चित करना है। हालाँकि, एक आदर्श विधायक में सामाजिक कार्यकर्ता के गुण होने चाहिए, ताकि वे जनता की वास्तविक समस्याओं को समझ सकें और उनके समाधान के लिए सक्रिय रहें।
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