मोला राम (Mola Ram): गढ़वाल चित्रकला के जनक
मोला राम (1743-1833) उत्तराखंड की गढ़वाल चित्रकला शैली के सबसे प्रसिद्ध कलाकार और विद्वान थे। वे न केवल एक महान चित्रकार थे बल्कि कवि, इतिहासकार और आध्यात्मिक विचारक भी थे।
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🔷 मोला राम का जीवन परिचय
जन्म: 1743 ईस्वी, श्रीनगर, गढ़वाल (उत्तराखंड)
परिवार: उनके पिता शिवराम भी एक चित्रकार और विद्वान थे।
संरक्षण: गढ़वाल के राजा जयकृत शाह और प्रद्युम्न शाह के राजदरबार में चित्रकार।
मृत्यु: 1833 ईस्वी
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🔷 मोला राम की चित्रकला की विशेषताएँ
✅ गढ़वाल शैली के प्रमुख कलाकार – उनकी चित्रकला कांगड़ा और बसोहली शैली से प्रेरित थी लेकिन उसमें स्थानीय गढ़वाली परंपरा जोड़ी गई।
✅ कृष्ण-भक्ति और शिव-पार्वती – उनकी कला में राधा-कृष्ण, गोपियों की रासलीला, शिव-पार्वती, नंदा देवी प्रमुख विषय थे।
✅ प्राकृतिक सौंदर्य – हिमालय, फूल, वृक्ष, नदियाँ, गढ़वाल के गाँवों का सुंदर चित्रण।
✅ कोमल रंग और बारीक ब्रशवर्क – उनके चित्रों में हल्के गुलाबी, पीले, हरे और नीले रंगों का प्रयोग किया गया।
✅ गढ़वाली लोक जीवन – उनके चित्रों में पहाड़ी समाज, स्त्रियों के आभूषण, पारंपरिक वेशभूषा और त्योहारों का चित्रण किया गया।
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🔷 मोला राम की प्रसिद्ध पेंटिंग्स
1️⃣ कृष्ण गोपियों के साथ – राधा-कृष्ण और गोपियों की रासलीला।
2️⃣ शिव-पार्वती हिमालय में – हिमालय की वादियों में शिव-पार्वती का दिव्य रूप।
3️⃣ नंदा देवी – उत्तराखंड की प्रमुख देवी, नंदा देवी की पूजा और यात्रा का चित्रण।
4️⃣ गढ़वाल के राजाओं के चित्र – राजा जयकृत शाह और प्रद्युम्न शाह के चित्र बनाए।
5️⃣ रामायण और महाभारत प्रसंग – राम-सीता, अर्जुन-कृष्ण के दृश्यों का चित्रण।
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🔷 मोला राम: एक कवि और इतिहासकार
उन्होंने गढ़वाल राज्य का इतिहास भी लिखा, जिसे "गढ़राजवंश कौ वर्णन" कहा जाता है।
उनकी कविताएँ संस्कृत और ब्रज भाषा में थीं और उनमें भक्ति रस देखने को मिलता है।
वे शिव और कृष्ण के भक्त थे और उनके काव्य में आध्यात्मिकता झलकती है।
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🔷 मोला राम की विरासत और योगदान
उन्होंने गढ़वाल में लघुचित्र परंपरा को समृद्ध किया और इसे एक पहचान दी।
उनकी चित्रकला की परंपरा उनके शिष्यों द्वारा आगे बढ़ाई गई।
वर्तमान में गढ़वाल विश्वविद्यालय और स्थानीय कला संस्थाएँ उनकी कृतियों को संरक्षित करने का प्रयास कर रही हैं।
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📌 निष्कर्ष:
मोला राम गढ़वाल चित्रकला के जनक थे और उन्होंने स्थानीय कला, संस्कृति और भक्ति परंपरा को चित्रों में संजोया। उनकी कृतियाँ गढ़वाल की अनमोल धरोहर हैं।
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