shaitan ko pujne wale log
शैतान को पूजने वाले लोगों को आमतौर पर शैतानवादी (Satanists) कहा जाता है। हालांकि, शैतानवाद (Satanism) एक जटिल विचारधारा है और इसे कई अलग-अलग तरीकों से परिभाषित किया जाता है। इसे मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जा सकता है:
1. प्रतीकात्मक (Symbolic) शैतानवाद
इस श्रेणी में आने वाले लोग असली शैतान की पूजा नहीं करते बल्कि इसे एक विद्रोह और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का प्रतीक मानते हैं।
अमेरिका स्थित Church of Satan (शैतान चर्च) इसकी सबसे बड़ी संस्था है, जिसकी स्थापना एंटन लैवे (Anton LaVey) ने 1966 में की थी।
ये लोग तर्क, वैज्ञानिक सोच और आत्मनिर्भरता पर विश्वास करते हैं और ईसाई धर्म में मौजूद शैतान को सिर्फ एक प्रतीक मानते हैं।
2. धार्मिक (Theistic) शैतानवाद
इस समूह के लोग शैतान को एक वास्तविक देवी-देवता की तरह मानते हैं और उसकी पूजा करते हैं।
कुछ लोग इसे प्राचीन गुप्त परंपराओं से जोड़ते हैं और इसे ईसाई धर्म के विरोध में मानते हैं।
ये लोग खुद को स्वतंत्र मानते हैं और पारंपरिक धार्मिक मान्यताओं को नहीं मानते।
लोकप्रिय संस्कृति में शैतानवाद
कई बार हॉलीवुड फिल्मों, किताबों और म्यूजिक इंडस्ट्री में शैतानवाद को नकारात्मक रूप में दिखाया जाता है।
कई गुप्त संगठनों (Secret Societies) को भी शैतानवाद से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
भारत में शैतानवाद
भारत में शैतानवाद बहुत कम या लगभग न के बराबर है, क्योंकि यहां के लोग परंपरागत रूप से धर्म और आध्यात्मिकता से जुड़े रहते हैं।
कुछ विदेशी प्रभावों के कारण आधुनिक शैतानवाद के विचार इंटरनेट और पॉप संस्कृति के माध्यम से पहुंच रहे हैं, लेकिन यह मुख्यधारा में नहीं है।
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